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Chhath Puja 2023: छठ पर्व पर कैसे करें पूजा, जानें संस्कृति में क्या है इसका महत्त्व

BY: Anubhawmani Tripathi • LAST UPDATED : November 14, 2023, 4:12 pm IST
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Chhath Puja 2023: छठ पर्व पर कैसे करें पूजा, जानें संस्कृति में क्या है इसका महत्त्व

Chhath Puja 2023: How to worship on Chhath festival, know its importance in culture

India News (इंडिया न्यूज़) Chhath Puja 2023 : भारत में त्यौहारों की शुरुआत हो गई है। दिवाली के बाद अब पूरे उत्तर भारत में छठ पूजा (Chhath Puja 2023) की तैयारी शुरु हो चुकी है। छठ (Chhath Puja) बिहार-यूपी के मुख्य त्योहार माना जाता है। छठ पूजा (Chhath Puja) में सूर्य देव और षष्ठी माता की पूजा की जाती है। हर साल यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है।

कब मनाया जाता है छठ

दिवाली के तुरंत बाद कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को छठ महापर्व मानाया जाता है।इस साल यह त्योहार 17 नवंबर से शुरू हो रहा है और 20 नवंबर तक चलेगा। इस महापर्व में छठी मैया के साथ सूर्य भगवान की विशेष पूजा की जाती है। छठ पूजा के उपरांत छठव्रती को 36 घंटे के कठिन व्रत का पालन करना पड़ता है।

दो दिनों के क्रियाकलापों के बाद पूजा के तीसरे दिन, व्रती डूबते हुए सूर्य को जल देती है और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को जल अर्पित कर महापर्व का समापन करती है। हिंदू धर्म में सूर्य को प्रत्येक ऊर्जाओं का स्रोत माना जाता है। यह व्रत पुरुषों और महिलाओं द्वारा मुख्य रूप से अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।

सूर्य भगवान की आराधना का क्या है विशेष महत्व

हिंदू धर्म में सूर्य भगवान की पूजा करना फलदायी माना गया है। रोजाना प्रात: काल सूर्य भगवान को जल अर्पित करने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं और जीवन में सारे दुख धीरे-धीरे कम होने लगते हैं। छठ महापर्व पर सूर्य भगवान की पूजा करने से इसका महत्व और अधिक हो जाता है। हिन्दु धर्म के अनुसार, नियमित तौर से सूर्य भगवान को जल अर्पित करने से घर के सभी दोष दूर होते हैं और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। समाज में आपका मान- सम्मान और गौरव में भी वृद्धि होता है।

कैसे हुई छठी मैया की उत्पति

हिंदु ग्रंथो के मुताबिक छठी मैया भगवान विष्णु की मानस पुत्री हैं। और यह भी माना जाता है कि छठी मैया सूर्य भगवान की बहन हैं। उन्हें दुर्गा के रूप में देवी कात्यायनी का अवतार माना जाता है। यह भी माना जाता है कि जब ब्रह्मांड के निर्माण के वक्त ब्रह्मा जी ने खुद को दो हिस्सों में बाट लिया था। जिसमें एक हिस्सा पुरुष बना और दुसरे ने महिला का रूप धारण कर लिया। यही बाद में प्रकृति माँ बन गईं जो कि प्रकृति मां ने अपने आप को छः हिस्सों में बांट दिया। इसमें से अंतिम रूप ‘छठी’ को कहा गया है।

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