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अगर पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तो हम भी स्वस्थ रहेंगे। हाल ही में संपन्न हुए दुर्गा पूजा (Durga Puja) महोत्सव के बाद नदियों-तालाबों की हालत देखने लायक है। विसर्जन के बाद देश की अनेक नदियां प्रदूषित हो गई हैं। कारण है प्लास्टर आफ पेरिस (पीओपी) (plaster of Paris (PoP)) से बनने वाली मूर्तियां। पहले मूर्तियों को परंपरागत रूप से मिट्टी से बनाया जाता था। जो विर्सजन के बाद दोबारा पानी में घुल जाती थीं। लेकिन प्लास्टर आफ पेरिस के साथ ऐसा नहीं है। यह पानी को दूषित कर देता है।
अब मूर्तियों का निर्माण प्लास्टर आफ पेरिस का उपयोग करके बनाए जाते हैं। यह भारी धातुओं से युक्त हानिकारक पेंट से युक्त होते हैं, जो नदियों को प्रदूषित करते हैं और जल निकायों के लिए हानिकारक होते हैं। पर्यावरणविद और नदी विशेषज्ञ एक दशक से अधिक समय से इन मूर्तियों के विसर्जन (idol immersions) के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। इन सब के बावजूद ये तस्वीरें दिखाती हैं कि दुर्गा पूजा की मूर्ति विसर्जन के बाद नदियां कितनी भयानक दिखती हैं।
नदियों में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के साथ, कुछ राज्य अब मूर्ति विसर्जन को रोकने या कम करने के तरीके विकसित कर रहे हैं।
नदी में विसर्जित की गई मूर्तियों की एक बड़ी संख्या कथित तौर पर प्लास्टर आॅफ पेरिस से बनाई गई थी, जिसे घुलने में वर्षों लगते हैं, और पेंट, जिसमें पारा, कैडमियम और सीसा जैसी भारी धातुएं होती हैं।
पटना में गंगा के पास एक तालाब में देवी दुर्गा की मूर्तियों के विसर्जन के बाद दीघा घाट पर दुर्गा पूजा का कचरा डंप किया गया। इस कारण प्रदूषण बढ़ रहा है।
जहां कुछ साल पहले यमुना नदी में मूर्तियों का विसर्जन प्रतिबंधित था, वहीं इस साल डीपीसीसी ने न केवल नदी बल्कि शहर के किसी भी जल निकाय में मूर्तियों के विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इस वर्ष, मूर्ति विसर्जन ज्यादातर स्थानीय अधिकारियों द्वारा कृत्रिम टैंक सेटअप में किया गया था। लेकिन फिर भी, अधिकांश राज्यों को अभी भी इसके खिलाफ कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
नदी पर मूर्ति विसर्जन केवल भारतीय नदियों पर प्रदूषण बढ़ा रहा है, जो पहले से ही सबसे प्रदूषित नदियां हैं। पहले गणेश चतुर्थी और फिर दुर्गा पूजा ने नदी की बदहाली को और बढ़ा दिया।
न केवल भारत में बल्कि बांग्लादेश में हिंदू भक्त ढाका में दुर्गा पूजा उत्सव के अंतिम दिन देवी दुर्गा की मूर्ति को बुरीगंगा नदी में विसर्जित करते हैं।
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