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Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today साधु प्रवेश शाही स्नान के ऐतिहासिक कपालमोचन मेला आरंभ

Harpreet Singh • LAST UPDATED : November 15, 2021, 10:35 pm IST
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Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today साधु प्रवेश शाही स्नान के ऐतिहासिक कपालमोचन मेला आरंभ

Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

प्रभजीत सिंह लक्की, मोहित कुमार, बिलासपुर :
Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today :
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कपालमोचन में लगने वाले राज्य स्तरीय धार्मिक मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान कर मोक्ष की कामना करते है। प्रशासन की ओर से मेले की शुरूआत 15 नवंबर को की गई। साधु प्रवेश एवं शाही स्नान के साथ सोमवार से मेला विधिवत रूप से शुरू हो गया। Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

वितायुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व आपदा प्रबंधन विभाग हरियाणा सरकार संजीव कौशल ने रिबन काटकर मेला प्रदर्शनी एवं हवन कर 5 दिवसीय मेले का शुभारंभ कर दीप प्रज्वलित कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ किया। संजीव कौशल ने मेले बारे जानकारी देते हुए कहा कि इस मेले का अपना एक अहम स्थान है। हम सब का कर्तव्य बनता है कि हम सेवा भाव से अपनी डयूटी दें व श्रदाुलओं का सहयोग करें। कोविड के नियमों का पालन करें।

गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह भी यहां आ चुके Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

संजीव कौशल ने कहा कि यह मेला हमारी धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं। यहां पर पंजाब सहित कई राज्यों से लाखों श्रद्धालु स्नान कर पुण्य के भागी बनते हैं। उन्होंने कहा कि यहां पर पहले बहुत बड़े जलसे होते थे। गुरु नानक देव व गुरु गोबिंद सिंह भी यहां पर आए। मेले में आने वाले श्रदालुओं को हर सुविधा मिले हम सबका यही प्रयास हैं। उन्होंने अपनी पुरानी यादें ताजा करते हुए लोहगढ़ साहिब व आदिबद्री के बारे भी विस्तार से बताया।

उन्होंने कहा कि मेला को सही तरीके से संपन्न कराने के लिए प्रशासन मुस्तैद हैं। फिर भी हमें कोविड नियमों का पालन करना है मास्क लगाकर रखना हैं। जिन श्रद्धालुओं को कोविड वैक्सीन नहीं लगी नाकों पर उन्हें वैक्सीन लगाने का प्रबंध किया गया। मेला प्रशासक जसपाल सिंह गिल ने बताया कि प्रदर्शनी में हरियाणा के विभिन्न विभागों के प्रदर्शनी स्टाल लगाए गए हैं इस अवसर पर जिले के सभी विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहें।

सरोवरों में स्नान के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

खंड बिलासपुर के विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। भारत रक्षा संत समिति द्वारा षट साधु समाज एकता मंडल के तत्वाधान में साधुओं ने कपालमोचन के पवित्र सरोवरों में स्नान किया। साधुओं के स्नान के बाद सरोवरों में स्नान करने के लिए श्रद्घालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। शाही स्नान शोभायात्रा में खेड़ा मंदिर बिलासपुर से बैड़ बाजों के साथ शुरू हुई। Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

महंत रामस्वरूप ब्रह्रमचारी राष्ट्रीय अध्यक्ष भारत रक्षा संत समिति, महंत बलजीन्द्र दास, ब्रह्रमचारी शोभादास मंदिर ठाकुर द्वारा गऊशाला साढौरा, मनोज शर्मा शिव मंदिर बिलासपुर की अध्यक्षता में सबसे पहले सुबह खेड़ा मंदिर बिलासपुर पर चल रहे रामायण के पाठ का समापन किया गया। उसके पश्चात हवन यज्ञ किया गया। जिसमें साधु संतों सहित कस्बे के गणमान्य लोगों ने पूर्ण आहुति डाली। कस्बा बिलासपुर के वेद व्यास सरोवर में साफ सफाई न होने स्नान के लिए वेद व्यास सरोवर में पानी नहीं होने से साधु संतों व स्नान करने आए श्रदालुओं को निराश ही मिली।

शाही यात्रा बैंड बाजों के साथ निकली Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

साधु स्नान शाही यात्रा बैंड बाजों के साथ खेड़ा मंदिर बिलासपुर से शुरू होकर मेन बाजार छोटा बस स्टैंड, से होते हुए पालकी को उठाए साधु संत कपालमोचन सरोवर में पहुंचे। यहां पर साधुओं ने सबसे पहले कपालमोचन सरोवर, ऋण मोचन सरोवर व सूरजकुंड सरोवर पर स्नान किया। ब्रह्रमचारी रामस्वरूप, महंत शोभादास दास, महंत हाकम दास ने बताया कि जिस तरह से कुंभ मेले की शुरुआत साधुओं के स्नान के बाद होती है उसी तरह कपालमोचन मेले का शुभारंभ साधु प्रवेश शाही स्नान के साथ किया जाता है।

साधु क्यों करते हैं पहले स्नान Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

संत एकादशी पर पहला स्नान इसलिए करते हैं क्योंकि साधु अपनी जिंदगी में जो तप करते हैं, स्नान करने से उस तप की शक्तियां सरोवरों के पानी में मिल जाती हैं। इससे इन सरोवरों में स्नान करने का महत्व ओर भी ज्यादा बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि कपालमोचन का न सिर्फ हरियाणा बल्कि पूरे देश में अपना अलग महत्व है।

कपालमोचन ऋषि मुनि व तपस्वियों की धरती रही हैं। साधु संतों के अलावा भगवान शिव, श्रीराम, पांडवों व गुरु गोबिंद सिंह जी के अलावा गुरु नानक देव जी ने यहां पर अपने पवित्र चरण रख कर इस धरती को पवित्र किया है। Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

एकता और भाईचारे का प्रतीक है मेला Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

कपालमोचन में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले राज्य स्तरीय मेले का शुभारंभ साधु प्रवेश शाही स्नान के साथ सोमवार से शुरू हो गया। मेले में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, दिल्ली, चंडीगढ़, सहित कई राज्यों से श्रदालु पहुंचते है। उत्तरी भारत का सबसे बड़ा सुप्रसिद्ध प्राचीन ऐतिहासिक एवं पौराणिक पवित्र तीर्थ राज कपालमोचन मेला विभिन्न धर्मों,जातियों और समुदायों की एकता और भाईचारे का प्रतीक है। Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

ग्रंथों में इस स्थान को विश्व के महानत्म ग्रंथ की रचना करने वाले महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास की तपो व कर्म स्थली तथा सिन्धु वन के नाम से जाना जाता है। इसके दक्षिण में ब्यासपुर जिसे आज बिलासपुर के नाम से जाना जाता है। बिलासपुर में वेद व्यास सरोवर व सरस्वती सरोवर तट पर महर्षि वेद व्यास जी का सरोवर है।

इसके साथ ही पश्चिम दिशा में सरस्वती नदी प्रवाहित होती है कहते हैं कि इसी स्थान पर बैठकर महर्षि वेद ब्यास जी ने सरस्वती जी के तट पर महाभारत की रचना की थी। कपालमोचन से उत्तर की दिशा में हिमाचल की पहाडिय़ों से सटा हुआ ज्ञान की देवी पवित्र सरस्वती नदी का उद्गम स्थल आदिबद्री है। Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

यहां पर केदारनाथ और माता मंत्रा देवी का भव्य मन्दिर विराजमान है। कपाल मोचन मेले में आने वाले श्रद्धालु आदिबद्री, केदारनाथ और माता मंत्रा देवी जी व पंचमुखी हनुमान मंदिर ढाका बसातियावाला, शिव बाड़ी मिलक खास के दर्शनों के लिए भी जाते हैं। यह स्थान धार्मिक आस्था से जुड़ा होने के कारण तो पूजनीय है ही,पर्यटन की दृष्टि से भी यह स्थान काफी सुन्दर,मनोहारी और शोभनीय है,यहां आने वाले श्रदालुओं को बरबस ही शांति की अनुभूति होती है।

कपालमोचन सरोवर की महता Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

मेले में आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले कपाल मोचन सरोवर में स्नान करते हैं। पुराणों में कपालमोचन सरोवर का प्राचीन नाम सोमसर एवं औशनस तीर्थ था। जिसका उल्लेख महाभारत और वामन पुराण में मौजूद है। पौराणिक कथा के अनुसार ब्राहमण की हत्या करने के कारण बछड़े व उसकी माता को ब्रहम हत्या का घोर पाप लग गया था, जिससे बछड़े व गाय का रंग काला पड़ गया था। Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

गाय और बछड़े ने कपालमोचन सरोवर में स्नान किया और वह इस पाप से मुक्त हो गए। पुन: दोनों का रंग सफेद हो गया। यह कथा भगवान शंकर ने इस सरोवर के पास बसे एक ब्राहमण के घर रात को इसी गाय व बछड़े से सुनी। स्वयं भगवान शंकर को भी ब्रह्रम हत्या का दोष लगा हुआ था और मुक्ति के लिए विभिन्न धामों की यात्रा कर रहे थे। भगवान शंकर को यह पाप सरस्वती की रक्षा करते लगा था। शंकर भगवान जी ने उस समय ब्रह्रमा जी का एक मुख काट दिया था। ब्रह्रमा जी ने कलियुग के वशीभूत सरस्वती जी पर बुरी नजर डाली थी।

शंकर भगवान ने कपालमोचन सरोवर में स्नान करके अपने आप को ब्रह्रम हत्या के दोष से मुक्ति पाई थी। इसी स्थान पर भगवान श्री रामचंद्र जी,भगवान कृष्ण जी, गुरु नानक देव जी, गुरु गोबिंद सिंह जी भी दो बार यहां पर आए थे। सभी ने यहां के पवित्र सरोवरों में स्नान किया था। इसी सरोवर के निकट गुरु गोबिंद सिंह जी ने माता चंडी की मूर्ति की स्थापना की थी। वहीं मंदिर तथा प्रतीकात्मक रूप में गऊ और बच्छड़े पत्थर की मूर्ति के रूप में यहां आज भी विद्यमान हैं।

ऋण मोचन सरोवर की महता Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

कपालमोचन सरोवर की पूर्व दिशा व कपालमोचन के मध्य ऋणमोचन सरोवर विद्यमान है। कपालमोचन सरोवर में स्नान करने के बाद श्रद्धालु ऋणमोचन सरोवर में स्नान करते हैं। मान्यता है कि इस सरोवर में सच्चे मन से श्रद्धा के साथ स्नान करने से सभी प्रकार के ऋणों से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद धर्मराज युधिष्टिर व भगावान श्री कृष्ण जी ने ब्यासपुर में कपालमोचन सरोवर के नजदीक खुदाई की और भूमि से अमृत जल की धारा निकली ।

इस सरोवर का नाम उन्होंने सत्यनारायण सरोवर रखा था। यहीं भगवान श्री कृष्ण जी ने पांडवों के साथ ठहरकर यज्ञ किया और पांडवों के पूर्वजों का पिंडदान करवाया और पांडव पितृ ऋण से मुक्त हुए थे । पितृ ऋण से मुक्त होने के कारण इस सरोवर का नाम ऋणमोचन प्रसिद्ध हो गया। त्रेता युग मे रावण के वध के बाद भगवान श्री रामचंद्र भी यहां आए थे।

सिख गुरुओं से संबंध Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

गुरु गोबिंद सिंह जी भी यहां दो बार आए और यहां 52 दिन रहकर पूजा अर्चना की। युद्ध के बाद यहां अपने अस्त्र-शस्त्र धोए थे तथा सिख संगतों को पगड़ी बंधवाई थी। गुरु गोबिंद सिंह जी के यहां एक बार आने का उल्लेख मिलता है। ऋण मोचन सरोवर के साथ अनेक किंवदतियां जुड़ी हुई हैं।

सूरजकुंड सरोवर की महता Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

कपालमोचन और ऋणमोचन सरोवर में स्नान करने के बाद श्रद्धालु सूरज कुंड सरोवर में स्नान करते हैं। इस सरोवर के साथ भी अनेक दंत कथाएं जुडुी हुई हैं। दंत कथाओं के अनुसार भगवान श्री रामचंद्र जी रावण का वध करने के बाद माता सीता और भाई लक्ष्मण जी व हनुमान जी सहित पुष्पक विमान द्वारा कपालमोचन सरोवर में स्नान करके ब्रह्रा हत्या के दोष से मुक्त हुए और यहां पर ठहरे थे। Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

यहां पर भगवान ने एक कुंड का निर्माण किया जिसे सूरजकुंड के नाम से जाना जाने लगा। सूरज कुंड में भगवान शंकर व माता पार्वती जी ने भी स्नान किया था। जन श्रुति के अनुसार सिंधु वन के इस पवित्र स्थान पर माता कुंती ने सूर्य देव की तपस्या की थी। जिस कारण उन्हें कर्ण नामक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। श्री कृष्ण जी ने महाभारत युद्ध के बाद पांडवों के साथ इस सरोवर में स्नान किया था। Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

एक अन्य मान्यता के अनुसार इस स्थान पर एक सिद्ध पुरूष जिसका नाम दुधाधारी बाबा था वह यहां पर रहते थे और पूजा अर्चना करते थे। कहते हैं कि आस पास के क्षेत्र में उनकी काफी मान्यता थी और समय समय पर उनसे मुरादे मांगने आते थे। लोगों की मुरादे पुरी होती थी। आज भी मेले के समय इस सरोवर के तट पर देश के कोने-कोने से साधु आकर सूरज कुंड सरोवर के तट पर तपस्या करते हैं और धूना रमाते हैं। Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

यह केवल सूरज कुण्ड पर ही होता है। कहा जाता है कि इसमें स्नान करने से अध्यात्मिक शांति मिलती है। दुखों, कलेशों और रोगों से मुक्ति मिलती है। सूरज कुण्ड सरोवर के तट पर कदम का पेड़ है किंवदति है कि भगवान श्री कृष्ण जी इस पर बैठकर बांसुरी बजाया करते थे और गोपियां सरोवर में स्नान करती थी। ऐसी मान्यता है कि कदम के पेड़ पर सच्चे मन से सूत का धागा बांधकर मांगी गई हर मुराद पुरी होती हैं। Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

इसी के साथा दुधाधारी बाबा की समाध है,जिसके ऊपर बहुत ही अजीबो गरीब तरीके से आज भी एक बेरी का पेड़ लगा हुआ है जिस पर जाने का रास्ता समाध के साथ बनाई गई सीढ़िय़ों से है। ऐसी मान्यता है कि बेरी के पेड़ पर सच्चे मन से परांदा बाधने से मांगी गई दुध-पुत की मुरादें पुरी होती हैं। दुधाधारी समाज की मान्यता मुस्लिम धर्म से भी जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर भी यहां आया था। Historical 5 Day Mela Kapal Mochan Started Today

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