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दूसरे देश को कैसे और कितनी देर में लगती है Nuclear Attack की भनक? हैरान करके रख देगी यह गजब की तकनीक

BY: Deepak • LAST UPDATED : January 22, 2025, 8:11 pm IST
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दूसरे देश को कैसे और कितनी देर में लगती है Nuclear Attack की भनक? हैरान करके रख देगी यह गजब की तकनीक

Nuclear Attack

India News (इंडिया न्यूज), Nuclear Attack: परमाणु बम… करीब आठ दशक पहले अमेरिका ने हिरोशिमा-नागासाकी पर इसका इस्तेमाल किया था। इस हमले को काफी समय बीत चुका है, लेकिन इसकी भयावह यादें आज भी ताजा हैं। इसके बाद दुनिया के किसी भी युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल नहीं हुआ है, लेकिन हर युद्ध में इसका जिक्र होता है।

रूस ने यूक्रेन और उसके मित्र देशों को कई बार परमाणु हमले की चेतावनी दी है। वहीं, जब मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा तो परमाणु हमले की चर्चा तेज हो गई। हालांकि परमाणु हमला इतना आसान नहीं है और इस हमले के लिए एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। हालांकि, अगर किसी देश पर परमाणु हथियारों से हमला होता है, तो इसका पता कैसे चलेगा? इससे कितनी तबाही मचेगी? हमले से कितने समय पहले इसका सामना करने वाले देश को इसके बारे में पता चल सकता है? आये आइए जानते हैं।

दुनिया के 9 देशों के पास परमाणु बम

दुनिया के सिर्फ 9 देश ही परमाणु शक्ति संपन्न हैं। इनमें अमेरिका, रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजरायल, दक्षिण कोरिया, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं। खास बात यह है कि दुनिया के कुल परमाणु बमों का एक हिस्सा सिर्फ अमेरिका और रूस के पास है। आंकड़ों पर गौर करें तो दुनिया के पास इस समय 12,121 परमाणु बम हैं, जिसमें से रूस के पास 5580 और अमेरिका के पास 5044 परमाणु हथियार हैं। यानी इन दोनों देशों के पास दुनिया के 90 फीसदी परमाणु बम हैं।

कैसे मिलती है परमाणु हमले की खबर?

जब कोई भी देश किसी दुश्मन देश पर परमाणु हमला करता है तो उसके लिए काफी तैयारी करनी पड़ती है। परमाणु हमले को लेकर हर देश में नियम बनाए गए हैं। परमाणु शक्ति संपन्न देशों को परमाणु बम के इस्तेमाल का आदेश देने से पहले एक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी को सक्रिय करने से पहले पूरे मंत्रिमंडल की सहमति जरूरी होती है। इसके अलावा खुफिया एजेंसियां ​​भी ऐसे हमलों पर खास नजर रखती हैं।

सैटेलाइट बताते हैं सच्चाई

जब दो देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बनते हैं तो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के परमाणु स्थलों पर सैटेलाइट के जरिए नजर रखी जाती है। इन साइट्स की गतिविधियों और रिपोर्ट के आधार पर परमाणु हमले की चेतावनी दी जाती है। अमेरिका, रूस जैसे देशों के कई सैटेलाइट परमाणु शक्ति संपन्न देशों पर नज़र रखते हैं और हमले की तैयारी कर रहे देशों के बारे में चेतावनी देते रहते हैं।

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फॉलआउट क्या है?

जब परमाणु हमला होता है, तो उसका शुरुआती फॉलआउट बहुत ख़तरनाक होता है। फॉलआउट साइट्स पर रेडियोएक्टिव किरणें तेज़ी से फैलती हैं, जो आस-पास की संरचनाओं को नुकसान पहुंचाती हैं। इसके अलावा विस्फोट के बाद आग और गर्मी तेज़ी से निकलती है, जो कई मील तक तबाही फैला सकती है। परमाणु हमले के बाद आस-पास के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी काम करना बंद कर सकते हैं।

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