अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब:
सनातन धर्म और अन्य धर्मों में यह मान्यता है कि मृत्यु के बाद आत्मा एक दूसरी दुनिया में प्रवेश करती है, जहां उसके अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब होता है।
- सनातन धर्म में:
- यमलोक और चित्रगुप्त: हिंदू मान्यता के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा यमलोक जाती है। यहां यमराज और उनके सहायक चित्रगुप्त आत्मा के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। कर्मों के आधार पर आत्मा को स्वर्ग या नरक भेजा जाता है।
- पुनर्जन्म का सिद्धांत: अच्छे कर्मों के परिणामस्वरूप आत्मा को अगला जन्म उत्तम मिलता है, जबकि बुरे कर्म अगले जन्म में कष्टकारी जीवन का कारण बनते हैं।
- इस्लाम में: यह माना जाता है कि मरने के बाद इंसान की आत्मा बरज़ख में जाती है, जहां उसके कर्मों का हिसाब-किताब होता है। पुनरुत्थान के दिन अच्छे कर्मों वालों को जन्नत और बुरे कर्मों वालों को जहन्नुम का सामना करना पड़ता है।
- ईसाई धर्म में: इस धर्म में स्वर्ग और नरक की अवधारणा है। अच्छे कर्म करने वालों को ईश्वर के पास स्थान मिलता है, जबकि बुरे कर्म करने वालों को दंड मिलता है।
20 मिनट के लिए मृत व्यक्ति का अनुभव
एक ऐसा व्यक्ति, जिसने चिकित्सकीय रूप से 20 मिनट के लिए मृत्यु का अनुभव किया और फिर पुनर्जीवित हुआ, ने अपनी आपबीती साझा की। उसने अपने अनुभव में जो बातें बताईं, वे इस प्रकार हैं:
- अंधकार और प्रकाश: उसने बताया कि मृत्यु के तुरंत बाद गहरा अंधकार छा गया, लेकिन फिर उसने एक उज्ज्वल प्रकाश देखा। उस प्रकाश में उसे अपनी पूरी जिंदगी एक चलचित्र की तरह दिखी।
- कर्मों का हिसाब: उसने अनुभव किया कि उसके अच्छे और बुरे कर्म सामने आ रहे थे। अच्छे कर्म उसे शांति और गर्व का अनुभव करा रहे थे, जबकि बुरे कर्म उसके लिए अफसोस और दुख का कारण बने।
- निर्णय का अहसास: उसने महसूस किया कि वह स्वयं ही अपने कर्मों का निर्णय कर रहा था। ऐसा लगा कि कोई अदृश्य शक्ति उसके हर कर्म का आकलन कर रही है।
- शांति और डर का अनुभव: अच्छे कर्मों के कारण उसने आत्मिक शांति का अनुभव किया, लेकिन बुरे कर्म उसे डर और बेचैनी का कारण बने।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिक दृष्टि से मृत्यु के निकट अनुभव को न्यूरोलॉजिकल प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है।
- मस्तिष्क की गतिविधि: जब दिल की धड़कन बंद हो जाती है, तब भी मस्तिष्क कुछ समय तक सक्रिय रहता है। यह मस्तिष्क की अंतिम गतिविधि को दिखाता है, जिसमें व्यक्ति को प्रकाश, चलचित्र या अजीब अनुभव होते हैं।
- डॉपामाइन और एंडोर्फिन: मौत के समय शरीर में रसायनिक बदलाव होते हैं। डॉपामाइन और एंडोर्फिन के प्रवाह से व्यक्ति शांति और प्रकाश का अनुभव करता है।
- अव्याख्य अनुभव: कई वैज्ञानिक मानते हैं कि NDE केवल एक मनोवैज्ञानिक अनुभव हो सकता है, लेकिन इसका आध्यात्मिक पहलू भी नकारा नहीं जा सकता।
अच्छे-बुरे कर्मों का महत्व
मृत्यु के बाद आत्मा के सफर और कर्मों के लेखा-जोखा पर सभी धर्मों और अनुभवों का मुख्य संदेश यही है कि व्यक्ति को अपने कर्मों का ध्यान रखना चाहिए।
- सकारात्मक कर्म: दूसरों की मदद, दान-पुण्य, और सत्य का पालन अच्छे कर्म माने जाते हैं।
- नकारात्मक कर्म: छल, कपट, हिंसा और दूसरों को दुख पहुँचाना बुरे कर्म हैं।
मृत्यु के बाद अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब केवल धार्मिक मान्यता ही नहीं, बल्कि कुछ हद तक मृत्यु के निकट अनुभवों और वैज्ञानिक तथ्यों से भी जुड़ा है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमारे कर्म न केवल हमारे जीवन, बल्कि हमारी आत्मा के भविष्य को भी प्रभावित करते हैं। अतः हमें सदैव अच्छे कर्म करने का प्रयास करना चाहिए ताकि मृत्यु के बाद भी आत्मिक शांति प्राप्त हो सके।