संबंधित खबरें
India's 1st Beta Generation Baby: मिजोरम में पैदा हुआ भारत का पहला जेनरेशन बीटा बेबी, 1 जनवरी से न्यू जनरेशन की ऐतिहासिक शुरुआत
ड्रिल मैन ने एक मिनट में रोक डाले तेज रफ्तार 57 पंखे, वीडियो देख आंखों पर नहीं होगा यकीन
हे भगवान…पिज्जा में निकला चाकू का टुकड़ा, बाल-बाल बचा शख्स, कंपनी के मैनेजर को फोटो भेजने के बाद नाक घसीट कर लगाने लगा ये गुहार
Panipuri Vendor Gets GST Notice: एक पानीपुरी वाले की जबरदस्त कमाई, कि GST विभाग ने भेज डाला 40 लाख का नोटिस, जानें रोज का गल्ला?
मौत के साथ मजाक! बिजली के नंगे तारों पर सोया शख्स, इसके बाद जो हुआ… यकीन करना असंभव
कलियुग के अंत का इशारा है संभल में मिली खौफनाक बावड़ी? सुरंग से निकली ऐसी प्राचीन चीज, जलने लगीं देखने वालों की आखें
India News (इंडिया न्यूज), क्या आपने कभी सोच है कि आजीवन कारावास की सजा सिर्फ 14 से 20 साल के लिए ही होती है? और अगर इसका जवाब हैं है तो इसे आजीवन कारावास या आजीवन कारावास क्यों कहा जाता है? आजीवन कारावास की सजा पाए दोषी 14 से 20 साल में कैसे रिहा हो जाते हैं?
हो न हो आपने बॉलीवुड फिल्मों में देखा होगा कि कोर्ट दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाती है। सजा के 14 साल बाद ही कैदी को रिहा किया जाता है। अगर यह सच है, तो 14 साल की सजा का क्या मतलब है? आम तौर पर लोगों की धारणा होती है कि आजीवन कारावास की सजा पाए दोषी 14 साल में रिहा हो जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।
यह जानकारी सही कर लें कि भारतीय कानून में 14 साल या 20 साल का कोई नियम नहीं है। कानून में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि आजीवन कारावास की सजा 14 साल होगी। यानी आजीवन कारावास का सीधा मतलब है आजीवन कारावास। जब किसी दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो उसे आखिरी सांस तक जेल में रखा जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी 2012 में एक फैसले में साफ किया था कि आजीवन कारावास का मतलब आजीवन कारावास है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। कोर्ट ने इस मामले की आगे व्याख्या करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट का काम सजा सुनाना है। सजा पर अमल राज्य सरकार करती है। सजा के किसी भी मामले में राज्य सरकार को कैदी की सजा माफ करने या कम करने का अधिकार है। आजीवन कारावास के मामले में राज्य सरकार अपने विवेक के अनुसार कैदी को 14 साल बाद रिहा कर सकती है। यानी अगर 14 साल बाद राज्य सरकार को लगता है कि कैदी में सुधार आ गया है, तो उसे रिहा किया जा सकता है। हालांकि, उसे कम से कम 14 साल जेल में रहना होगा। अब यह राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वह आजीवन कारावास की सजा पाए अपराधी को 14 साल, 20 साल या फिर आखिरी सांस तक जेल में रखे। हालांकि, देशद्रोह और जघन्य अपराधों जैसे मामलों में सजा कम या माफ नहीं की जाती।
UP में बढ़ी कड़ाके की ठंड..कोहरे का जारी है सितम! इन जिलों में हो सकती है बारिश
लोगों में जेल को लेकर एक और गलत धारणा है। आम धारणा यह है कि जेल की सजा में दिन और रात अलग-अलग गिने जाते हैं। यानी दिन और रात का मतलब पूरे दो दिन होता है। ऐसा नहीं है। कानून में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि दिन और रात अलग-अलग गिने जाएंगे। जेल में एक दिन का मतलब भी 24 घंटे होता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.