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India News (इंडिया न्यूज़), Income Tax Exemption, नई दिल्ली: बात जब टैक्स की आती है तो आप कहेंगे ये तो हर कोई देता है. हमारे देश में हर वो व्यक्ति जिनकी सलाना आय नए टैक्स स्लैब के तहत तीन लाख से अधिक है उनका टैक्स देना अनिवार्य है, वहीं अगर कोई टैक्स नहीं जमा करता तो उनके लिए कानून भी है.
आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के सेक्शन 234F के मुताबिक, तय समय सीमा के बाद ITR दाखिल करता है तो उसे जुर्माना भी देना पड़ता है.
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अनुसार देश में टैक्स फाइलिंग करना अनिवार्य है, लेकिन क्या आप जानते हैं हमारे देश में एक ऐसा राज्य है जहां लोगों को इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है. अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे मुमकिन है तो ये सच है. चलिए जानते हैं कैसे.
जानकारी के लिए आपको बता दूं कि भारत में सिक्किम ही वह राज्य है जहां के लोगों की सैलरी चाहे जितनी भी हो उन्हे टैक्स नहीं देना पड़ता है, लेकिन ऐसा क्यों इसका जवाब जानने के लिए हमें साल 1975 में जाना होगा. सिक्किम पहले भारत का हिस्सा नहीं था वर्ष 1975 में सिक्किम भारत में शामिल हुआ. इस शर्त पर कि सिक्किम भारत में मिलने के बाद भी वह अपने पुराने और स्पेशल स्टेट के दर्जे को बरकरार रखेगा. इस कारण इस राज्य को स्पेशल स्टेट का दर्जा भी प्राप्त हुआ.
विलय के बाद सिक्किम अपने ही टैक्स नियमों का पालन करता रहा, जो कि 1948 में बनाए गए थे.आयकर कानून के तहत मिलने वाली छूट पहले सीमित लोगों को ही मिलती थी. Sikkim Income Tax Manual, 1948 के तहत वो लोग जिनके पास स्पेशल नागरिक होने का सर्टिफिकेट था उन्हे और उनके परिवार को टैक्स देने की जरुरत नहीं पड़ती थी. लेकिन वो लोग जिनके पास ये सर्टिफिकेट नहीं था उन्हे टैक्स देना पड़ता है.
1989 में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के एक आदेश के बाद Income Tax छूट की इस कैटेगरी में अन्य लोग भी शामिल हो गए जिसके बाद इसका लाभ लेने वाले लोगों की इस राज्य में संख्या 95 फीसदी कर दी गई .
साल 2008 में नियमों में बदलाव किए गए और सिक्किम के लोगों को पूरी तरह टैक्स से संबंधित नियम में छूट दिया गया है. सिक्किम में लागू टैक्स कानून को हटा लिया गया.
उस साल के केंद्रीय बजट में इनकम टैक्स एक्ट में एक अलग से सेक्शन जोड़ा गया और वह है Section 10 (26AAA), जिसके तहत राज्य के निवासियों को टैक्स नहीं भरना होगा. साथ ही सेक्शन 371(f) जोड़ा गया, जो कि सिक्किम को दिए गए विशेष दर्जे को भी संवैधानिक सुरक्षा देता है.
चलिए अब कानून पर नजर डालते हैं. धारा (Section) 10 (26AAA) ही वो नियम है जो सिक्किम के मूल निवासियों को इनकम टैक्स स्लैब के दायरे से बाहर करती है चाहे उनकी आय किसी भी तरह के सिक्योरिटी से मिले इंटरेस्ट से आई हो या डिविडेंड से.
इसमें कहा गया है कि सिक्किम के भारत में विलय से पहले जो भी लोग वहां बस गए थे, चाहे उनका नाम Sikkim Subjects Regulations, 1961 के रजिस्टर में हो या नहीं, उन्हें इनकम टैक्स एक्ट के Section 10 (26AAA) के तहत छूट मिलेगी.
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