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'मरकर भी नहीं छोड़ेंगे तेरा साथ'…कलयुग के इस जोड़े ने किया इस कहावत को सच, अपनी ब्रेन डेड पत्नी की ICU में मांगभर घायल पति ने कहा अलविदा!

BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : November 9, 2024, 5:21 pm IST
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'मरकर भी नहीं छोड़ेंगे तेरा साथ'…कलयुग के इस जोड़े ने किया इस कहावत को सच, अपनी ब्रेन डेड पत्नी की ICU में मांगभर घायल पति ने कहा अलविदा!

Indore Couple Accident: भाई दूज के अवसर पर इंदौर गए भूपेंद्र राठौर और उनकी पत्नी मनीषा का एक सड़क हादसे में घायल हो जाना और मनीषा का ब्रेन डेड हो जाना, एक हृदयविदारक घटना थी। ICU में पास-पास रखे पति-पत्नी के बीच इस दृश्य ने जीवन के वास्तविक अर्थ को व्यक्त कर दिया। जैसे ही डॉक्टरों ने मनीषा को ब्रेन डेड घोषित किया

India News (इंडिया न्यूज), Indore Couple Accident: इंदौर की इस घटना ने न केवल पति-पत्नी के सात जन्मों के संबंध की गहराई को उजागर किया है बल्कि अंगदान के महत्व और मानवता की सेवा के प्रति उनके समर्पण को भी दिखाया है। हाल ही में इंदौर से एक खबर सामने आई है जिसे सुनकर अगर आपकी आँखों से भी आंसू न छलक उठे तो कहियेगा।

ICU में भरी मांग

भाई दूज के अवसर पर इंदौर गए भूपेंद्र राठौर और उनकी पत्नी मनीषा का एक सड़क हादसे में घायल हो जाना और मनीषा का ब्रेन डेड हो जाना, एक हृदयविदारक घटना थी। ICU में पास-पास रखे पति-पत्नी के बीच इस दृश्य ने जीवन के वास्तविक अर्थ को व्यक्त कर दिया। जैसे ही डॉक्टरों ने मनीषा को ब्रेन डेड घोषित किया, भूपेंद्र ने अपनी पत्नी की अंतिम विदाई देने का निर्णय लिया। ICU में ही पत्नी की मांग भर कर उन्हें विदाई देना उस विवाह संबंध की मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति थी जो जीवन और मृत्यु से परे जाकर भी एकजुटता का प्रतीक बन गया।

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मनीषा के अंगदान की इच्छा

इस घटना के बाद, मनीषा के अंगदान की इच्छा को पूरा करते हुए भूपेंद्र और उनके परिजनों ने इंसानियत के लिए अपने दुःख को ताक पर रखकर दूसरों को जीवनदान देने का एक महान कार्य किया। उनकी बेटी, जो पुणे में एक आईटी कंपनी में काम करती हैं, ने भी इस निर्णय में उनका साथ दिया और कहा कि अंगदान से किसी को नया जीवन देने से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता।

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अंगदान

अंगदान के इस प्रयास में, इंदौर के अस्पतालों में दो ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए ताकि अंगों को सही समय पर उन मरीजों तक पहुंचाया जा सके जिन्हें इसकी जरूरत थी। इस पूरी घटना ने इस बात को फिर से साबित किया कि असली जीवनसाथी वही होते हैं जो अपने साथी के दुःख-सुख में खड़े रहते हैं और उनका प्यार मृत्यु के बाद भी अमर रहता है। यह घटना न केवल हमारे समाज को अंगदान के प्रति जागरूक करती है बल्कि विवाह के वास्तविक अर्थ की पुनः पुष्टि करती है।

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इस कहानी ने विवाह की पवित्रता और मानवता के प्रति सच्चे प्रेम को एक अनोखी मिसाल बना दिया है।

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