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Lahar Assembly Constituency: लहार सीट पर कांग्रेस का दबदबा, बीजेपी नहीं ढाह सकी ये किला; जानें क्या कहते है चुनावी समीकरण

Shubham Pathak • LAST UPDATED : October 18, 2023, 2:17 pm IST
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Lahar Assembly Constituency: लहार सीट पर कांग्रेस का दबदबा, बीजेपी नहीं ढाह सकी ये किला; जानें क्या कहते है चुनावी समीकरण

Lahar Assembly Constituency

India News (इंडिया न्यूज),Lahar Assembly Constituency: मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारे में भूचाल सा आया हुआ है। वहीं प्रदेश में कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली भिंड जिले की लहार सीट को लेकर बातें भी तेज हो गई है। क्योंकि ये सीट अपने आप में एक बड़ी उपल्बधी है। जिसका कारण ये है कि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉक्टर गोविंद सिंह पिछले 33 सालों से लगातार लहार सीट से विधायक हैं। गोविंद सिंह को चुनौती देने की बीजेपी की हर कोशिश अभी तक असफल रही है। जिसके बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि, क्या भाजपा इस बार इस सीट को लेकर कोई कठोर रणनीति तैयार करने वाली है या एक बार फिर गोविंद सिंह बाजी मार जाएंगे।

जानिए क्या हुआ था 2018 में

बात अगर इस सीट पर 2018 हुए विधानसभा चुनाव की करें तो लहार सीट पर कुल 22 उम्मीदवारों ने अपनी चुनौती पेश की थी, लेकिन यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया था। कांग्रेस के डॉक्टर गोविंद सिंह को 62,113 वोट मिले तो बीजेपी के रसाल सिंह के खाते में 53,040 वोट आए। वहीं इस सीट पर तीसरे नंबर पर बहुजन समाज पार्टी के अंबरिश शर्मा को 31,367 वोट मिले। गोविंद सिंह को 9,073 मतों के अंतर से जीत हासिल हुई। बता दें कि, 2018 में इस सीट पर कुल 2,40,172 वोटर्स थे जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,33,592 थी जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1,06,577 थी। इसमें कुल 1,54,500 (64.5%) वोट पड़े। जबकि NOTA के पक्ष में 345 (0.1%) वोट आए।

जानिए लहार सीट का इतिहास

चलिए अब आपको इस खास सीट के इतिहास के बारे में कुछ बतातें है। आपके जानकारी के लिए बता दें कि, लहार सीट प्रदेश से उन विधानसभा सीटों में से एक है जिसे जीतना भारतीय जनता पार्टी के लिए बेहद कठीन और चुनौतीपूर्ण रहा है। भाजपा को इस सीट पर आखिरी बार आज से 38 साल पहले यानी 1985 में जीत मिली थी। जिसके बाद से भाजपा ने कई सारी रणनीति बनाकर भी इस सीट को नहीं जीत पाई। बता दें कि, गोविंद सिंह 1990 में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े और विजयी हुए। फिर इसके बाद कांग्रेस में आ गए और फिर से यहां लगातार जीत रहे हैं.

एक नजर खास समीकरण पर

वहीं बात इस विधानसभा सीट को लेकर समीकरण की करें तो इस विधानसभा में क्षत्रिय और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या लगभग बराबर ही है। इसके अलावा पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के वोटरों की बारी आती है। जिसके बाद भाजुपा ने डॉक्टर गोविंद सिंह को कई बार हराने की कोशिश की, लेकिन हर बार चुनाव जीतने में सफल हो जाते है। 2018 के चुनाव में भी उनके सामने बीजेपी ने पूर्व विधायक रसाल सिंह को उतारा, लेकिन चुनाव हार गए। इस बार भी विधानसभा से केवल गोविंद सिंह का नाम ही चुनाव लड़ने के लिए चर्चा में है हालांकि वह एक दो बार चुनाव न लड़ने की घोषणा भी कर चुके हैं।

जानिए लहार की विशेषता

जानकारी के लिए बता दें कि, लहार क्षेत्र सिंध नदी से रेत के व्यापक अवैध उत्खनन के लिए जानी जाती है। जिसको लेकर भाजपा द्वारा कई बार अवैध उत्खनन के आरोप विधायक गोविंद सिंह पर भी लगाए जा चुके हैं। लहार विधानसभा गोविंद सिंह के अलावा यहां के रावतपुरा धाम के लिए भी जानी जाती है और रावतपुरा धाम हनुमान मंदिर के लिए और यहां के महंत रवि शंकर दास के कारण प्रसिद्ध का चुका है. यहां हर साल कम से कम एक बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं।

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