होम / ट्रेंडिंग न्यूज / Mark Zuckerberg Success Story in Hindi ऐसे शुरू हुआ मार्क जुकरबर्ग की जिंदगी का सफर

Mark Zuckerberg Success Story in Hindi ऐसे शुरू हुआ मार्क जुकरबर्ग की जिंदगी का सफर

PUBLISHED BY: Amit Gupta • LAST UPDATED : October 20, 2021, 10:49 am IST
ADVERTISEMENT

संबंधित खबरें

Mark Zuckerberg Success Story in Hindi ऐसे शुरू हुआ मार्क जुकरबर्ग की जिंदगी का सफर

Mark Zuckerberg Success Story in Hindi

Mark Zuckerberg Success Story in Hindi

Mark Zuckerberg Success Story in Hindi ऐसे शुरू हुआ मार्क जुकरबर्ग की जिंदगी का सफर

इंडिया न्यूज, अंबाला:
14 मई 1984 को न्यू यार्क के प्लेंस में जन्में फेसबुक (Facebook) के स्वामी मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) का पूरा नाम मार्क एलियट जुकरबर्ग (Mark Eliot Zuckerberg) है। पिता डेंटिस्ट एडवर्ड जुकरबर्ग (Edward Zuckerberg) और माता करेन केम्प्नेर (Ren Kempner) के आंगन में खेल का बड़े हुए मार्क की राष्ट्रीयता अमेरिकी है। धर्म के मामले में वे नास्तिक रहे हैं। आइये अब बात करते हैं उनके परिवार और उनसे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों की।

New Name of Facebook फेसबुक का नया नाम क्या होगा?

यहां से शुरू हुई तकनीकी शिक्षा

Controversy of Facebook

कंप्यूटरी ज्ञान के मामले में उनका कोई सानी नहीं है। फेसबुक की शुरुआत फरवरी 4, 2004 में पढाई करने के दौरान उन्होंने अपने यूनिवर्सिटी के हॉस्टल कमरे में रहने वाले मित्रों के साथ शुरू किया था। प्रोग्रामिंग तभी शुरू दी थी जब वे मिडिल स्कूल में थे। तभी से ही वे कंप्यूटर प्रोग्राम विकसित करने पर आमादा थे।

Controversy of Facebook फेसबुक का रहा विवादों से पुराना नाता

वो भी विशेष रूप से संचार उपकरण और खेलों के क्षेत्र में। उन्होंने हाई स्कूल में ग्रीक रोमनिय भाषा साहित्य का अध्ययन किया। बाद में माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें फिलिप्स एक्सेटर अकादमी, हैम्पशायर चले गए। सबसे पहले जुकरबर्ग के पास सोशल नेटवर्क वेबसाइट बनाने का विचार लेकर दिव्य नरेन्द्र आए थे।

दिव्य नरेन्द्र (दिव्य नरेन्द्र) एक अमेरिकी कारोबारी हैं जिन्होंने अपने शिक्षा के समय हार्वड यूनिवर्सिटी (Harvard University) में जुकरबर्ग को एक सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट (social networking website) बनाने की सलाह दी थी जिसका नाम हावर्ड कनेक्शन (howard connection) रखा गया, लेकिन बाद में जुकरबर्ग को अपना सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट बनाने का विचार आया जिसका डोमेन नाम उन्होंने दफेसबुकडॉटकाम्म लिया था जो आज फेसबुक डॉट कॉम के नाम से मशहूर है।

विज्ञान और साहित्य में पुरस्कार

New Name of Facebook

समय-समय पर उन्होंने विज्ञान और साहित्यिक अभ्यास में कई पुरस्कार जीते। एक कॉलेज पत्र में जुकरबर्ग ने यह कहा था की वे अच्छी तरह से फ्रेंच, हिब्रू, लैटिन और प्राचीन ग्रीक पढ़ और लिख सकते है। हाई स्कूल की शिक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय जाने का मन बनाया। यहां वे एकयहूदी बिरादरी, अल्फा एप्सिलोन में भर्ती हुए। वे कॉलेज में कविताओं की पंक्तियों को पढ़ने के लिए प्रसिद्ध थे।

Meaning of Metaverse in Hindi मेटावर्स का मतलब क्या है?

ऐसे हुई फेसबुक की स्थापना

New Name of Facebook

जुकरबर्ग ने अपने हार्वर्ड छात्रालय के कमरे से 4 फरवरी 2004 को फेसबुक शुरू किया। फेसबुक का विचार उसे अपने फिलिप्स एक्सेटर अकादमी के दिनों से जैसे अधिक कालेजों और स्कूलों, वार्षिक छात्र निर्देशिका सभी विद्यार्थियों, संकाय और स्टाफ की तस्वीरों के साथ प्रकाशन करने की एक अर्से की परंपरा से परिचित हुआ था फेसबुक। कॉलेज में जुकरबर्ग की फेसबुक शुरू हुई। तब जुकरबर्ग ने फेसबुक को अन्य स्कूलों में प्रसार करने का निश्चय किया और अपने रूममेट डस्टिन मोस्कोवित्ज के मदद ली। उन्होंने पहले उसे स्टानफोर्ड, डार्टमाउथ कोलम्बिया, कोर्नेल और येल में प्रसार किया और हार्वर्ड के सामाजिक संपर्कों के साथ अन्य स्कूलों में प्रसार किया।

Favorite Cars of Mark Zuckerberg: फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग की पसंदीदा गाड़ियां

जुकरबर्ग का कैलिफोर्निया जाना

New Name of Facebook

जुकरबर्ग मोस्कोवित्ज और अन्य दोस्तों के साथ पालो आल्टो, कैलिफोर्निया चले गए। उन्होंने एक छोटा सा घर किराये पर लिया जो उनका पहला आॅफिस बना। ग्रीष्मकाल में जुकरबर्ग पीटर थिएल से मिले, जिसने उनकी कंपनी में पूंजी लगाई। उनका पहला आॅफिस उन्हें 2004 के ग्रीष्मकाल में मिला। जुकरबर्ग बताते हैं कि समूह ने पतझड़ के समय में हार्वर्ड वापस जाने का फैसला किया अंत में कैलिफोर्निया में रुकने का निश्चय किया।

संसार की दूसरी सबसे व्यस्त वेबसाइट फेसबुक

पांच सितंबर 2006 को फेसबुक ने समाचार फीड करना शुरू किया। फेसबुक इंक एक अमेरिकी मल्टीनेशनल इंटरनेट कॉरपोरेशन है, जो सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक चलाता है इसका मुख्यालय मेनलो पार्क कैलिफोर्निया में है फेसबुक सबसे पुरानी नहीं है और इसे फरवरी 2004 में शुरू किया गया था कंपनी की अधिकतर आमदनी विज्ञापनों से होती है। 2011 में एशिया मध्य में 3.71 अरब डॉलर थी इसमें 3539 कर्मचारी थे और 15 देशों में इसके कार्यालय है फेसबुक गुगल के बाद संसार की सबसे व्यस्त वेबसाइट है, लोग हर महीने फेसबुक पर 700 अरब मिनट से भी अधिक समय बिताते है ।

भारत में पहला एशियाई आफिस

Meaning of Metaverse in Hindi

2010 में उन्होने एशिया में अपना पहला आफिस हैदराबाद, भारत में खोला। मई 2012 में फेसबुक के 90 करोड सक्रिय सदस्य थे, जिनमें से अधिकतर मोबाइल के जरिये फेसबुक पर जाते हैं। 2011 में भारत में इसकी 2.3 करोड़ सदस्य है जनवरी 2011 में फेसबुक ने एफबीआई कॉम डोमेन को 85 लाख डॉलर में खरीद लिया । फेसबुक की लोकप्रियता को देखते हुए इसके शुरुआती वर्षों पर 2010 में द सोशल नेटवर्क नामक फिल्म भी बनी।

महारथ और पुरस्कार

मार्क जुकरबर्ग बचपन से बहुत ही बुद्धिमान थे। उन्हें अपने स्कूल के गणित, खगोल विज्ञानं, भौतिकी और शास्त्रीय अध्ययन के लिए पुरस्कृत भी किया गया था। उनके कॉलेज के अनुसार वह फ्रेंच, हिब्रू, लैटिन, और प्राचीन यूनानी भाषा बोल और लिख सकते हैं। 26 वर्षीय मार्क जुकरबर्ग को अमरीकी पत्रिका टाइम ने 2010 का पर्सन आॅफ द ईयर घोषित किया है, सी लिंडबर्ग (1927) के बाद सबसे युवा व्यक्ति है। अक्टूबर 2006 में जैसे ही फेसबुक पर 50 करोड़ ट्रैफिक पूरे हुए तो गुगगल ने फेसबुक को 1 अरब डॉलर में खरीदने का आॅफर दिया पर मार्क जुकरबर्ग ने मना कर दिया था।

एक नजर इन उपलब्धियों पर भी: 23 साल की उम्र में अरबपति बने जुकरबर्ग

सवाल यह नहीं कि लोग आपके बारे में क्या जानना चाहते हैं, बल्कि सवाल यह है कि लोग अपने बारे में क्या बताना चाहते हैं। यह बात मार्क जकरबर्ग ने 2011 में एक इंटरव्यू में कही थी। फेसबुक के लिए कही गई यह बात साबित करती है कि लोगों के लिए कम्युनिकेशन का इससे बढ़िया कोई तरीका नहीं है। फेसबुक की जबरदस्त सफलता के चलते मार्क जकरबर्ग 2007 में अरबपति बन गए थे। उस वक्त वो सिर्फ 23 साल के थे।

पिता से मिले गिफ्ट का बेहतरीन इस्तेमाल

मार्क के जुनून का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि 12 साल की उम्र से ही उन्हें कंप्यूटर से लगाव था। उनका लगाव प्रोग्रामिंग डेलवपमेंट तब और बढ़ा जब उनके पिता ने उन्हें सी++ नाम की एक किताब दी। इसके बाद जुकरबर्ग ने एक ऐसा बेसिक मैसेजिंग प्रोग्राम जकनेट बनाया था जिसका इस्तेमाल उनके पिता अपने डेंटल आॅफिस में करते थे। इस प्रोग्राम के जरिए उनकी रिसेपशनिस्ट उन्हें इंफॉर्म करती थी।

लाइफ में रिक्स लेना सफलता की गारंटी

जकरबर्ग का मानना है कि सफलता की एक ही गारंटी हैं लाइफ में रिस्क लेना। मार्क ने कभी भी नौकरी का लालच नहीं किया। 17 साल की उम्र में मार्क ने दोस्तों के साथ मिलकर सिनेप्स मीडिया प्लेयर बनाया जो यूजर की पसंद के गानों को स्टोर कर लेता था।

सीखने की ललक ऐसी कदर

जकरबर्ग में सीखने की इतनी ललक थी कि फेसबुक से पहले उन्होंने फेसेसमास नाम से एक वेबसाइट बनाई थी। इस साइट में दो स्टूडेंट के फोटो की एक साथ तुलना की जा सकती और यह तय किया जा सकता था कि कौन ज्यादा हॉट है। इस वेबसाइट से स्कूल में काफी विवाद हो गया। स्टूडेंट्स का मानना था कि इस तरह फोटो अपलोड करना उनकी पर्सनल लाइफ में दखलअंदाजी करने के बराबर है। लेकिन मार्क ने हिम्मत नहीं हारी और फेसेसमास के यूजर्स की संख्या करीब 10 लाख तक पहुंच गई।

खुद काबिल मित्र भी बेहतरीन

2004 में जकरबर्ग ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर द फेसबुक नाम से एक ऐसी साइट बनाई थी जिस पर यूजर अपना प्रोफाइल बना सके और फोटो अपलोड कर सकें। इसके बाद जकरबर्ग ने कॉलेज छोड़ दिया और अपना पूरा समय फेसबुक को देने लगे। फेसबुक की कामयाबी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि 2004 के आखिर तक तरह फेसबुक के 1 मिलियन यूजर्स हो गए।

2005 में मेंबरशिप हो गई 5.5 मिलियन

2005 में वेंचर कैपिटल एक्सेल पार्टनर ने 12.7 मिलियन डॉलर फेसबुक नेटवर्क में निवेश किए। सबसे पहले फेसबुक को आईवे लीग के स्टूडेंट्स के लिए खोला गया इसके बाद दूसरे कॉलेजों, स्कूलों, इंटरनेशनल स्कूलों के लोग भी इससे जुड़ने लगे। दिसंबर 2005 तक इस साइट की मेंबरशिप 5.5 मिलियन यूजर्स हो गई

परेशानी झेली और कारवां बन गया

फेसबुक को इस ऊंचाई तक पहुंचाने में जकरबर्ग को काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। एक बार तो हावर्ड कनेक्शन के क्रिएटर्स ने उन पर आरोप लगाया कि जकरबर्ग ने उनका आइडिया चुराया है। इस वजह से मार्क को उन्हें नुकसान की भरपाई करनी होगी।

एक मैग्जीन ने सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में मार्क जुकरबर्ग को 35वीं रैंक दी। मार्च 2015 में जारी आंकड़ों के मुताबिक फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग की अनुमानित आय 35।1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति है। फेसबुक के सीईओ के तौर पर जकरबर्ग की सैलरी एक डॉलर है।

28 साल के सबसे कम उम्र के सीईओ

2013 में फेसबुक ने फॉर्च्यून की लिस्ट में जगह बनाई और जुकरबर्ग इस लिस्ट में 28 साल के सबसे कम उम्र के सीईओ थे।

जुकरबर्ग पर आधारित फिल्म ‘द सोशल नेटवर्क’

2010 में अमेरिका में मार्क जुकरबर्ग की लाइफ पर आधारित फिल्म ‘द सोशल नेटवर्क’ भी रिलीज हो चुकी है। जकरबर्ग के नाम पर 50 पेटेंट्स हैं। इनमें से सबसे पहला 2004 में जारी किया गया, जिसका नाम सिनेप्स मीडिया प्लेयर है।

Connect With Us : Twitter Facebook

Tags:

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

पटना विश्विद्यालय को केंद्र सरकार से बड़ी सौगात, मिलेगी 100 करोड़ रुपये की राशि, PU का बदलेगा भविष्य
पटना विश्विद्यालय को केंद्र सरकार से बड़ी सौगात, मिलेगी 100 करोड़ रुपये की राशि, PU का बदलेगा भविष्य
महाकुंभ को लेकर अफसरों को 1 हफ्ते का अल्टीमेटम, अब 30 दिसंबर तक पूरे करने होंगे काम
महाकुंभ को लेकर अफसरों को 1 हफ्ते का अल्टीमेटम, अब 30 दिसंबर तक पूरे करने होंगे काम
इंडस्ट्रियल कॉपरेशन, टूरिज्म एंड वोकेशनल एजुकेशन के क्षेत्र में साथ मिलकर काम करेंगे UP और जापान का यामानाशी प्रान्त
इंडस्ट्रियल कॉपरेशन, टूरिज्म एंड वोकेशनल एजुकेशन के क्षेत्र में साथ मिलकर काम करेंगे UP और जापान का यामानाशी प्रान्त
युवाओं के लिए दिल्ली BJP का बड़ा दांव,10 हजार लोगों को नौकरी देने का है संकल्प
युवाओं के लिए दिल्ली BJP का बड़ा दांव,10 हजार लोगों को नौकरी देने का है संकल्प
अरविंद केजरीवाल का बड़ा बयान,’दिल्लीवालों का हक नहीं छीनने देंगे’
अरविंद केजरीवाल का बड़ा बयान,’दिल्लीवालों का हक नहीं छीनने देंगे’
अनैतिक संबंधों का विरोध पड़ा भारी, पड़ोसी ने मजदूर को रॉड से उतारा मौत के घाट
अनैतिक संबंधों का विरोध पड़ा भारी, पड़ोसी ने मजदूर को रॉड से उतारा मौत के घाट
Jaya Prada के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी, जानें क्या है पूरा मामला
Jaya Prada के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी, जानें क्या है पूरा मामला
क्रिसमस की धूम: चर्चों में सजावट पूरी, बाजारों में उमड़ी रौनक
क्रिसमस की धूम: चर्चों में सजावट पूरी, बाजारों में उमड़ी रौनक
24-29 दिसंबर तक अमेरिकी दौरे पर रहेंगे PM Modi के खास दूत, इन मुद्दों पर होने वाली है चर्चा, पूरा मामला जान थर-थर कांपने लगा चीन-पाकिस्तान
24-29 दिसंबर तक अमेरिकी दौरे पर रहेंगे PM Modi के खास दूत, इन मुद्दों पर होने वाली है चर्चा, पूरा मामला जान थर-थर कांपने लगा चीन-पाकिस्तान
बिना अर्थदण्ड दिये स्टाम्प वादों से मिलेगा छूटकारा, योगी सरकार ने लागू की समाधान योजना
बिना अर्थदण्ड दिये स्टाम्प वादों से मिलेगा छूटकारा, योगी सरकार ने लागू की समाधान योजना
धर्म गुरु मौलाना शहाबुद्दीन ने की अपील, मुस्लिम लोग महाकुंभ के मेले में नहीं जाएं
धर्म गुरु मौलाना शहाबुद्दीन ने की अपील, मुस्लिम लोग महाकुंभ के मेले में नहीं जाएं
ADVERTISEMENT