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India News (इंडिया न्यूज), Trending News: आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे, जिसने 54 साल पहले चुराए गए 37 रुपये को ब्याज के साथ लौटाने का निर्णय लिया और उसने लौटा भी दिए। दरअसल रंजीत नाम के इस शख्स ने 1970 में 37 रुपये चुराए थे। इन पैसों की चोरी की वजह से रंजीत काफी परेशान रहने लगा था। ये चीज उसे अंदर ही अंदर खा रही थी। बीबीसी के मुताबिक, रंजीत उस समय जितने गरीब थे, उतने ही युवा भी थे। वह श्रीलंका के नुवारा इलाके में एक चाय बागान के पास रहते थे और मजदूरी करते थे।
जब एक दिन बागान में काम करने वाले एक जोड़े ने उन्हें अपना घरेलू सामान उठाने के लिए बुलाया क्योंकि वे नए घर में शिफ्ट हो रहे थे। इस बारे में जानकारी देते हुए रंजीत कहते हैं कि सामान निकालते समय उन्हें तकिए के नीचे 37 रुपये मिले। अगर हम आज के समय के हिसाब से देखें तो यह रकम बहुत छोटी है, लेकिन 70 के दशक में एक गरीब व्यक्ति के लिए यह बहुत बड़ी रकम थी। इसलिए रंजीत ने चोरी करने के इरादे से 37 रुपये उठाए और जेब में रख लिए।
कुछ समय बाद मकान मालिक मसरूफ सागुई को याद आया कि उसने तकिए के नीचे 37 रुपये रखे थे और उसने रंजीत से पूछताछ की लेकिन रंजीत ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। रंजीत के माता-पिता चाय के बागानों में काम करते थे और उनका परिवार काफी बड़ा था, इसलिए आमदनी की कमी के कारण वह अपनी स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाए।
17 साल की उम्र में रंजीत ने तमिलनाडु जाने का फैसला किया। 1977 में उनके जीवन में बदलाव आने लगे। उन्होंने भारत आकर एक छोटी सी दुकान खोली, जहां उन्हें मुनाफा नहीं हुआ। फिर इसके बाद उन्होंने एक रेस्टोरेंट में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम किया,इसके बाद उन्होंने खाना बनाना सीखा और अपनी खुद की फूड कंपनी खोली जो धीरे-धीरे बड़ी हुई और आज के वक्त में इसमें 125 लोग काम करते हैं। जब वो एक दिन बाइबिल पढ़ रहे थे तभी उन्होंने एक श्लोक पढ़ा जिसमें लिखा था कि दुष्ट कभी किसी का पैसा नहीं लौटाता और धर्मी व्यक्ति सभी के साथ साफ-सुथरा हिसाब रखता है। यह बात रंजीत को बहुत बुरी लगी और उन्होंने 50 साल पहले चुराए गए पैसे ब्याज समेत लौटाने का फैसला किया।
पैसे लौटाने के लिए रंजीत काफी मशक्कत करने लगा। उन्होंने अपने दोस्तों की मदद से दंपत्ति के वारिसों की तलाश शुरू की क्योंकि उन्हें पता था कि वे अब जीवित नहीं हैं। दंपत्ति के छह बच्चे थे, तीन बेटे और तीन बेटियां। एक बेटे की मौत हो चुकी थी जबकि एक पलानिधि कोलंबो में था जबकि दूसरा बेटा कृष्णा नुवारा एलिया में रह रहा था। रंजीत ने दोनों से संपर्क किया और बताया कि वह उनके माता-पिता से लिया गया कर्ज वापस करना चाहता है। रंजीत इस साल 21 अगस्त को श्रीलंका गया और एक रेस्टोरेंट में उनसे मिला। यहां उसने 1970 में हुई घटना के बारे में बताया और हिसाब-किताब करके वारिसों को 70 हजार रुपए की रकम लौटा दी।
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