India News (इंडिया न्यूज), RC Transfer, नई दिल्ली: क्या आप गाड़ी खरीदने वाले हैं या फिर आप अपनी किसी गाड़ी को बेचने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो गाड़ी का आरसी जरुर ट्रांसफर करवा लें। खास कर तब जब आप कोई सेकेंड हैंड गाड़ी खरीद रहे हों या बेच रहे हों।
क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको कानूनी परेशानी हो सकती है। बहुत से लोग होते हैं जो सेकेंड हैंड वाहन खरीदते हैं। कई बार ऐसा करते वक्त हम कुछ बातों को नजरअंदाज कर देते हैं। जिसका हर्जाना हमें बाद में भरना पड़ता है। जब भी आप किसी से सेकेंड हैंड वाहन खरीदे या बेचें तो आरसी ट्रांसफर जरूर करवाएं। नहीं तो Section 2(30) मोटर व्हीकल एक्ट-1988 के तहत आपको भारी नुकसान हो सकता है।
आगे बढ़ने से पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि Registration Certificate (RC) को हिन्दी में पंजीयन प्रमाणपत्र कहा जाता है, इसे Vehicle Registration certificate (VRC) भी कहा जाता है जिसका हिंदी अर्थ होता है वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र।
मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act), 1988 भारत के संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है। जिसे केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम भी कहते है। इस एक्ट की धारा (Section) 2(30) में इस बात का जिक्र है कि वाहन का मालिक वही माना जाता है जिसके नाम पर वाहन की RC होती है।
इसलिए वाहन के साथ अगर कुछ भी होता है या किसी तरह के अपराध में शामिल पाया जाता है तो उसकी जवाबदेही मालिक की ही होगी।
आरसी यानी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट. वाहन से जुड़ी एक जरुरी दस्तावेज है। जिसे RC कहते हैं। RC इस बात का सबूत होता है कि आपकी कार या मोटरसाइकिल RTO (Regional Transport Office) से Registered है।
RTO एक सरकारी संगठन है. जो भारत सरकार के परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए काम करता हैं। भारत के लगभग हर शहर में RTO की स्थापना की गई है। RTO अपने एरिया में लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी करता हैं। नई गाड़ियों का पंजीकरण और गाड़ियों के नंबर प्लेट भी RTO ही जारी करता हैं। एक RTO के पास शहर के सभी वाहनों की पूरी जानकारी होती है।
जब आप कोई नई कार या मोटरसाइकिल लेते है। तो आपको उसका रजिस्ट्रेशन अपने नाम पर करवाना होता है। जिसके बाद Regional Transport Authority आपके नाम पर गाड़ी को Register कर देती है और आपको RC Card मिल जाता है। जिसके बाद वाहन जिसके नाम पर रजिस्टर होता है वही उसका मालिक हो जाता है। RC CARD भी उसी के नाम पर बनता है।
वक्त के साथ टेक्नोलॉजी ने लोगों का काम आसान कर दिया है। अब किसी भी काम को घर बैठे- बैठे ही आसानी से कर सकते हैं। पहले जहां RC Transfer के लिए RTO के बाहर लंबी लाइन लगानी पड़ती थी। अब ये उतना ही आसान हो गया है। अब आप आसानी से ऑनलाइन घर बैठे – बैठे ही अपना RC Transfer कर सकते हैं।
1.सबसे पहले आप परिवहन विभाग भारत सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट (https://parivahan.gov.in/parivahan/hi) पर जाएं।
2.एक अकाउंट बनाएं।
3. इसमें जरूरी जानकारी भरें।
4. आरसी ऑनलाइन ट्रांसफर करने पर 525 रुपये का शुल्क देना होगा।
5.फॉर्म भरने के बाद इसे डाउनलोड करें।
6. उसे आरटीओ में जमा करें जिस आरटीओ ऑफिस को आपने फॉर्म भरते समय चुना था।
आरसी ट्रांसफर के लिए जब आप ऑनलाइन अप्लाई करेंगे. तब आपके पास निम्नलिखित दस्तावेजों का होना जरूरी है
जरुरी दस्तावेज
• आर.सी. बुक
• चेसिस और इंजन पेंसिल प्रिंट
• पंजीकरण का प्रमाण पत्र
• टैक्स क्लीयरेंस सर्टिफिकेट
• विक्रेता और खरीदार का पैन कार्ड
• इंश्योरेंस सर्टिफिकेट
• एड्रेस प्रूफ
• पासपोर्ट साइज फोटो
• पॉल्यूशन सर्टिफिकेट
• खरीदारी की जन्मतिथि का प्रमाण साथ रखना जरूरी है।
इन सभी डॉक्यूमेंट्स को स्कैन करके अपने कंप्यूटर में सेव कर लें, क्योंकि जब आप ऑनलाइन आवेदन करेंगे। तब आपको इनमें से कुछ दस्तावेजों को अपलोड करने की जरूरत पड़ेगी।
ध्यान रहें वाहनों के खरीद- बिक्री के साथ RC का Transfer भी बहुत जरूरी है। नहीं तो भविष्य में आपको परेशानी हो सकती है। आरसी ट्रांसफर का अर्थ है कि कानूनी रूप से गाड़ी का मालिकाना हक किसी को देना या अपने नाम करना
• RC जिसके नाम पर होगा, वाहन का मालिक वही होगा
• अगर आपने अपनी कार या मोटरसाइकिल किसी को बेच दी है या खरीदी है और RC Transfer नहीं किया है तो मालिक वही होगा जिसके नाम पर पहले RC पहले थी
• अगर गाड़ी किसी भी तरह के गलत कामों में लिप्त पाई जाती है. तब पुलिस उसे ही पकड़ेगी जिसके नाम पर RC होगी
• भारी चालान से बचने के लिए आरसी ट्रांसफर करना बेहद जरूरी है
• ये मोटर व्हीकल एक्ट के तहत अनिवार्य भी है
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