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Shivaji Jayanti 2024: शिवाजी महाराज की जंयती पर आपको भी होगा गर्व, जानिए उनकी पहली मुद्रा से लेकर पहला शब्दकोश

Itvnetwork Team • LAST UPDATED : March 28, 2024, 9:18 am IST

India News (इंडिया न्यूज़),Shivaji Jayanti 2024: छत्रपति शिवाजी महाराज न केवल महाराष्ट्र, हिंदुओं, बल्कि सभी भारतीयों, दुनिया भर के लोगों की प्रेरणा हैं।इस तिथि के अनुसार 24 अप्रैल को शिव जयंती मनाई जाएगी। शिवाजी महाराज के बारे में यह बातें आपको पता होनी चाहिए। छत्रपति शिवाजी महाराज न केवल महाराष्ट्र, हिंदुओं, बल्कि सभी भारतीयों, दुनिया भर के लोगों की प्रेरणा हैं।

इसलिए बहुत से लोग शिवराय को आदर्श मानकर उनके संस्कारों को अपनाने का प्रयास कर रहे हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को फाल्गुन वद्य तृतीया को हुआ था इसलिए तिथि के अनुसार 19 फरवरी और तिथि के अनुसार फाल्गुन वद्य तृतीया को दो शिव जयंती मनाई जाती हैं। इस तिथि के अनुसार 28 मार्च को शिव जयंती मनाई जाएगी।

ये हैं शिवाजी महाराज के बारे में कुछ बातें जो हमें जरूर जाननी चाहिए।

  1. गनिमी कावा – गुरिल्ला कावा एक युद्ध तकनीक है। ऐसे कई उदाहरण हैं जब शिवाजी महाराज ने गुरिल्ला युद्ध तकनीक से कई शक्तिशाली शत्रुओं को भी कुचला हैं।
  2. अरमार – महाराष्ट्र को सैकड़ों किलोमीटर की लंबी तटरेखा का हैं। शिवाजी महाराज को यह मालूम था कि शत्रु समुद्र के रास्ते भी आक्रमण कर सकता है। शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की रक्षा के लिए अरमारा की स्थापना की। छत्रपति शिवाजी महाराज ने समुद्र कवच की नीति लागू की। उन्होनें कोंकण तट पर अनेक किले बनवाकर स्वराज्य की सीमाओं की रक्षा की गई।
  3. महान वास्तुकला-  महाराजाओं का हर एक किला अच्छी वास्तुकला और प्रबंधन का प्रतीक है। प्रबंधन का एक अच्छा उदाहरण अष्टप्रधान मंडल है, जो महाराजा के विभिन्न विभागों की योजना बनाता है।
  4. पहला मुद्रा – शिवराय ने यह मुद्रा जारी की। एक नये कालक्रम का सूत्रपात कर एक नये युग का सूत्रपात किया गया
  5. पहला शब्दकोष – शिवाजी महाराज ने फ़ारसी एवं संस्कृत शब्दकोष की रचना की। साथ ही फ़ारसी के स्थान पर संस्कृत शब्दों का प्रयोग करने का आदेश भी जारी किया।
  6. न्यायपालिका – महाराजा के दरबार में न्याय के लिए आने वाले मामलों का निपटारा आमने-सामने बैठकर तुरंत किया जाता था।
  7. पर्यावरण प्रेम -उनका मानना पेड़ों की हत्या का मतलब है लोगों को कष्ट देना। यदि अरमारा के लिए लकड़ी की आवश्यकता होती है, तो पेड़ को केवल तभी काटा जाना चाहिए जब वह पुराना, जीर्ण-शीर्ण हो। यह महाराजा के पर्यावरण प्रेम को दर्शाता है।

 

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