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2025 पर लग गई मनहूसियत…मरे हुए इस जीव के रूप में भगवान ने भेजी चेतावनी, तस्वीर देखकर कांप जाएगी रूह

BY: Sohail Rahman • LAST UPDATED : January 23, 2025, 2:12 pm IST
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2025 पर लग गई मनहूसियत…मरे हुए इस जीव के रूप में भगवान ने भेजी चेतावनी, तस्वीर देखकर कांप जाएगी रूह

Oarfish (पहले कैलिफोर्निया में दिखी थी ओअरफिश)

India News (इंडिया न्यूज), Oarfish: मेक्सिको के तट पर एक दुर्लभ ‘डूम्सडे’ मछली के देखे जाने से आपदा की संभावना को लेकर चिंता बढ़ गई है। ओअरफिश के नाम से जानी जाने वाली इस विशालकाय मछली को दक्षिणी बाजा कैलिफोर्निया प्रायद्वीप के तट पर देखा गया। यह मछली सर्फबोर्ड जितनी लंबी थी और इसकी चांदी-नीली चमकदार त्वचा पर एक सुंदर लाल पंख था, लेकिन इसकी पूंछ घायल थी। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, इस मछली को इस साल 2025 में पहली बार मेक्सिको के तट पर देखा गया है। हालांकि, समुद्र तट पर मौजूद युवा सर्फर्स ने तुरंत इस मछली को उठाया और वापस समुद्र में छोड़ दिया। वहीं, पिछले साल कैलिफोर्निया में एक ओअरफिश देखी गई थी, जिसके कुछ हफ्ते बाद 7.0 तीव्रता का भूकंप आया था।

क्या है इस मछली का रहस्य?

बताया जाता है कि, ओअरफिश 36 फीट तक लंबी हो सकती है और इसका वजन 441 पाउंड से अधिक हो सकता है। उन्हें अक्सर जापानी पौराणिक कथाओं में ‘समुद्र के ड्रैगन भगवान के महल के दूत’ के रूप में वर्णित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मछली तब सतह पर आती है जब कोई बड़ा भूकंप या प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, मेक्सिको के एक स्थानीय निवासी ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि यह मछली बहुत तेज सुनामी के आने का संकेत देती है। हालांकि वैज्ञानिकों ने इस मछली और आपदाओं के बीच कोई स्पष्ट संबंध स्थापित नहीं किया है, लेकिन 2011 में जापान में आई विनाशकारी सुनामी और 9.0 तीव्रता के भूकंप से कुछ महीने पहले समुद्र तट पर 20 ओअरफिश मृत पाई गई थीं।

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क्या कहती हैं मान्यताएं?

जापानी मान्यताओं के अनुसार, ओअरफिश समुद्र की गहराई में रहती हैं और कोई बड़ा प्राकृतिक खतरा होने पर ही सतह पर आती हैं। ऐसा माना जाता है कि ये मछलियां जापान के द्वीपों के नीचे रहती हैं और भूकंप के बारे में लोगों को सचेत करने के लिए सतह पर आती हैं। यह मछली आमतौर पर समुद्र की गहराई में 656 फीट से लेकर 3,280 फीट तक पाई जाती है। इसकी त्वचा पर कोई शल्क नहीं होता है। इसकी नुकीली परत ग्वानिन नामक पदार्थ से ढकी होती है।

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