India News (इंडिया न्यूज), Sudha Murty: सुधा मूर्ति ने अपने पति और इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति के सप्ताह में 70 घंटे काम करने के विचार का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि वह इस उम्र में भी इससे अधिक काम करते हैं। सुधा मूर्ति ने कहा कि यदि कोई काम का आनंद लेता है, तो काम भी छुट्टी जैसा हो जाता है। सुधा मूर्ति ने कहा कि “मेरी परिभाषा है कि आपको अपने काम का आनंद लेना चाहिए। आपको अपने काम के प्रति जुनूनी होना चाहिए। तब छुट्टी काम जैसा होता है।”
नारायण मूर्ति ने कहा कि “मेरा हमेशा से यह विचार रहा है कि भारत में रहने वाले हममें से जिन लोगों ने देश से, करदाताओं से बहुत कुछ प्राप्त किया है। उन पर समाज के गरीब वर्गों के जीवन को बेहतर बनाने का मौका लाने के लिए बहुत कड़ी मेहनत करने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसलिए, मुझे यह कहते हुए कोई अफसोस नहीं है कि 70 घंटे की कार्य संस्कृति आदर्श होनी चाहिए।” इंडिया टूडे से बात करते हुए उन्होंने कहा कि नारायण मूर्ति ने यह कहकर कार्य-जीवन संतुलन पर बहस शुरू कर दी कि युवाओं को प्रति सप्ताह 70 घंटे से अधिक काम करना चाहिए। इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई के साथ एक पॉडकास्ट में कहा कि भारत की कर उत्पादकता दुनिया में सबसे कम है। युवाओं को अतिरिक्त घंटे लगाने चाहिए।
कड़ी मेहनत और स्मार्ट वर्क के बीच अंतर पर सवाल उठाने वाली बहस के बावजूद, नारायण मूर्ति ने अपना रुख बरकरार रखा। उन्होंने कहा कि अपने पूरे 40 से अधिक वर्षों के पेशेवर जीवन के दौरान, उन्होंने सप्ताह में 70 घंटे काम किया। “जब हमारा सप्ताह छह दिन का था 1994 तक, तब मैं सप्ताह में कम से कम 85 से 90 घंटे काम करता था। यह बर्बादी नहीं है।” उन्होंने बताया कि उनकी टिप्पणी पर विवाद थम नहीं रहें। इसके बाद भी वो यही कहेगें कि हमें अधिक मेहनत करने की जरुरत है।
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