संबंधित खबरें
मुस्लिम लड़कियां दूसरे धर्म के लड़कों से करती है आंखें चार, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा, इस्लामिक देशों के उड़ गए होश
Viral Video: 8 बार पलटी बोलेरो, फिर भी नहीं लगी किसी को कोई खरोंच, गाड़ी से बाहर निकल लोगों ने कहा- लाओ चाय पिलाओ
Viral Video : लड़की के बाल नोंचे…फाड़ा टॉप, छपरियों की तरह लड़ीं 3 पापा की परियां, वीडियो देख कांप जाएंगे
20 साल के पोते संग भाग गई दादी, प्यार में तार-तार हुए रिश्ते? साथ में जो लेकर गई…जानकर ठनक जाएगा माथा
'महिलाओं की अरमान मलिक' हुई वायरल, दो पतियों संग कैसे खुश रहती है? वीडियो में दिए सारे सवालों के जवाब
डूब जाएगा सूरज नहीं दिखेगी कहीं रोशनी, आज क्यों होगी सबसे लम्बी रात…चंद घंटों में दिखेगी काली गहरी रात
India News (इंडिया न्यूज़), Prediction Of Earth End: धरती पर लगातार तापमान बढ़ रहा है, जो बड़ी तबाही मचा सकता है। एक नए शोध से पता चला है कि भविष्य में अत्यधिक तापमान डायनासोर के बाद पहली बार पृथ्वी पर बड़े पैमाने पर विलुप्ति का कारण बन सकता है। भविष्य के सुपरकॉन्टिनेंट और अन्य जलवायु परिवर्तनों के प्रभाव का पता लगाने के लिए ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के अलेक्जेंडर फ़ार्नस्वर्थ के नेतृत्व में नेचर जियोसाइंस में शोध किया गया है। इस शोध में ये डराने वाले संकेत मिले हैं। शोध में कहा गया है कि पृथ्वी के महाद्वीप अंततः पैंजिया अल्टिमा नामक भूभाग में विलीन हो जाएंगे। यह सुपरकॉन्टिनेंट पृथ्वी की जलवायु को नाटकीय रूप से बदल सकता है। इससे बहुत गर्म और शुष्क परिस्थितियां पैदा होंगी, जहां जीवित रहना संभव नहीं होगा। इससे मानव विलुप्त हो जाएगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस शोध में टीम ने सुपरकंप्यूटर क्लाइमेट मॉडल का इस्तेमाल किया है। इस मॉडल के जरिए टीम ने दिखाया कि कैसे यह लेआउट इंसानों के लिए एक बुरा ग्रह बन सकता है। डॉ. फार्न्सवर्थ का कहना है कि नया उभरता हुआ सुपरकॉन्टिनेंट तीन गुना ज़्यादा नुकसान पहुंचाएगा। इसमें महाद्वीपीय प्रभाव, गर्म सूरज और वायुमंडल में ज़्यादा कार्बन डाइऑक्साइड शामिल हैं। इससे ग्रह के ज़्यादातर हिस्सों में गर्मी काफ़ी बढ़ जाएगी।
क्यों जहर खाने पर मजबूर हो गई थीं सुपरस्टार Sapna Choudhary? वीडियो में कहा ‘कभी मत करना ये काम’
फ़ार्नस्वर्थ के ‘ट्रिपल व्हैमी’ से पता चलता है कि ये तीन कारक असहनीय तापमान वृद्धि का कारण बनेंगे। पहला, यानी महाद्वीपीय प्रभाव, इसका मतलब है कि जैसे-जैसे भूमि ठंडे समुद्री प्रभावों से दूर होती जाएगी, महाद्वीप पर तापमान बढ़ता जाएगा। दूसरा, यानी सूरज का चमकीला होना, इसका मतलब है कि सूरज बहुत ज़्यादा ऊर्जा उत्सर्जित करेगा और धरती लगातार गर्म होती रहेगी। दूसरी ओर, अगर हम बढ़ी हुई कार्बन डाइऑक्साइड की बात करें, तो टेक्टोनिक शिफ्ट के कारण ज्वालामुखी गतिविधि से ज़्यादा कार्बन डाइऑक्साइड निकलेगी, जो वातावरण में गर्मी बनाए रखेगी।
डॉ. फ़ार्नस्वर्थ ने चेतावनी दी है कि इस संयोजन से तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और 50 डिग्री सेल्सियस (104 डिग्री से 122 डिग्री फ़ारेनहाइट) के बीच हो जाएगा। साथ ही, दैनिक चरम और आर्द्रता भी बढ़ सकती है। यह गर्मी मनुष्यों सहित अन्य जीवों के लिए सहन करना मुश्किल हो जाएगा। शोध से पता चलता है कि पैंजिया अल्टिमा का केवल 8 प्रतिशत से 16 प्रतिशत स्तनधारियों के लिए उपयुक्त होने की संभावना है। अधिकांश भूमि अत्यधिक गर्मी और सूखे का सामना करेगी, जिससे विनाशकारी भोजन और पानी की कमी होगी।
शोध ने बताया है कि हालांकि यह परिदृश्य लाखों साल दूर है, फिर भी शोधकर्ता आज के जलवायु संकट पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के एक शोध साथी डॉ. यूनिस का कहना है कि हमारे वर्तमान जलवायु संकट को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है, जो ग्रीनहाउस गैसों के मानव उत्सर्जन का परिणाम है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.