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ऐसा खौफनाक होगा धरती का अंत, इंसानों को खा जाएगी ये गैस, काल बन जाएंगे ये देवता

BY: Nishika Shrivastava • LAST UPDATED : November 12, 2024, 7:03 pm IST
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ऐसा खौफनाक होगा धरती का अंत, इंसानों को खा जाएगी ये गैस, काल बन जाएंगे ये देवता

Prediction Of Earth End

India News (इंडिया न्यूज़), Prediction Of Earth End: धरती पर लगातार तापमान बढ़ रहा है, जो बड़ी तबाही मचा सकता है। एक नए शोध से पता चला है कि भविष्य में अत्यधिक तापमान डायनासोर के बाद पहली बार पृथ्वी पर बड़े पैमाने पर विलुप्ति का कारण बन सकता है। भविष्य के सुपरकॉन्टिनेंट और अन्य जलवायु परिवर्तनों के प्रभाव का पता लगाने के लिए ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के अलेक्जेंडर फ़ार्नस्वर्थ के नेतृत्व में नेचर जियोसाइंस में शोध किया गया है। इस शोध में ये डराने वाले संकेत मिले हैं। शोध में कहा गया है कि पृथ्वी के महाद्वीप अंततः पैंजिया अल्टिमा नामक भूभाग में विलीन हो जाएंगे। यह सुपरकॉन्टिनेंट पृथ्वी की जलवायु को नाटकीय रूप से बदल सकता है। इससे बहुत गर्म और शुष्क परिस्थितियां पैदा होंगी, जहां जीवित रहना संभव नहीं होगा। इससे मानव विलुप्त हो जाएगा।

शोध में इस्तेमाल किया गया खास मॉडल

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस शोध में टीम ने सुपरकंप्यूटर क्लाइमेट मॉडल का इस्तेमाल किया है। इस मॉडल के जरिए टीम ने दिखाया कि कैसे यह लेआउट इंसानों के लिए एक बुरा ग्रह बन सकता है। डॉ. फार्न्सवर्थ का कहना है कि नया उभरता हुआ सुपरकॉन्टिनेंट तीन गुना ज़्यादा नुकसान पहुंचाएगा। इसमें महाद्वीपीय प्रभाव, गर्म सूरज और वायुमंडल में ज़्यादा कार्बन डाइऑक्साइड शामिल हैं। इससे ग्रह के ज़्यादातर हिस्सों में गर्मी काफ़ी बढ़ जाएगी।

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फ़ार्नस्वर्थ के ‘ट्रिपल व्हैमी’ से पता चलता है कि ये तीन कारक असहनीय तापमान वृद्धि का कारण बनेंगे। पहला, यानी महाद्वीपीय प्रभाव, इसका मतलब है कि जैसे-जैसे भूमि ठंडे समुद्री प्रभावों से दूर होती जाएगी, महाद्वीप पर तापमान बढ़ता जाएगा। दूसरा, यानी सूरज का चमकीला होना, इसका मतलब है कि सूरज बहुत ज़्यादा ऊर्जा उत्सर्जित करेगा और धरती लगातार गर्म होती रहेगी। दूसरी ओर, अगर हम बढ़ी हुई कार्बन डाइऑक्साइड की बात करें, तो टेक्टोनिक शिफ्ट के कारण ज्वालामुखी गतिविधि से ज़्यादा कार्बन डाइऑक्साइड निकलेगी, जो वातावरण में गर्मी बनाए रखेगी।

नहीं बचेगा खाना और पानी?

डॉ. फ़ार्नस्वर्थ ने चेतावनी दी है कि इस संयोजन से तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और 50 डिग्री सेल्सियस (104 डिग्री से 122 डिग्री फ़ारेनहाइट) के बीच हो जाएगा। साथ ही, दैनिक चरम और आर्द्रता भी बढ़ सकती है। यह गर्मी मनुष्यों सहित अन्य जीवों के लिए सहन करना मुश्किल हो जाएगा। शोध से पता चलता है कि पैंजिया अल्टिमा का केवल 8 प्रतिशत से 16 प्रतिशत स्तनधारियों के लिए उपयुक्त होने की संभावना है। अधिकांश भूमि अत्यधिक गर्मी और सूखे का सामना करेगी, जिससे विनाशकारी भोजन और पानी की कमी होगी।

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शोध ने बताया है कि हालांकि यह परिदृश्य लाखों साल दूर है, फिर भी शोधकर्ता आज के जलवायु संकट पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के एक शोध साथी डॉ. यूनिस का कहना है कि हमारे वर्तमान जलवायु संकट को अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है, जो ग्रीनहाउस गैसों के मानव उत्सर्जन का परिणाम है।

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