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जानें क्यों आधी रात में होता है किन्नरों का अंतिम संस्कार, क्या है पूरी प्रक्रिया

India News (इंडिया न्यूज़), Last rites of Eunuchs: महिला-पुरूष के अलावा भी एक और जेडर है जो हमारे ही समाज का अभिन्न अंग है। मैं बात किन्नर समाज के लोगों की कर रहा हूं। यह वर्ग हमारे देश में सबसे अधिक हाशिए पर है। हलांकि हमारे धर्म शास्त्रों में इन्हें काफी सम्मान प्रप्त है। ऐसा माना जाता है कि किन्नरों पर देवताओं की विशेष कृपा होती है। इनके आशीर्वाद का भारतीय समाज में विशेष महत्व माना जाता है। किन्नरों के अपने रीति-रिवाज और परंपराएं है। आज हम आप को ऐसे ही किन्नरों के रिवाज के बारे में बताएंगे। क्या आपको पता है किन्नरों के दाह संस्कार में कोई भी बाहरी व्यक्ति शामिल नहीं हो सकता। आइए जानते है इस प्रथा के पीछे की वजह और मान्यता क्या है?

किन्नर जब मृत्यु के समीप होता है….

किन्नर अपनी मौत से कुछ दिन पहले खाना- पीना बंद कर देते हैं। इस दौरान वे कहीं भी जाना पसंद नहीं करते। वे अपने आखिरी समय सिर्फ पानी पीकर बिताते हैं। वे मरते समय अपने लिए और बाकी किन्नरों के लिए प्रार्थना करते हैं कि उन्हें अगले जन्म में यह जन्म न मिले। आसपास से किन्नर मरने वाले व्यक्ति से आशीर्वाद लेने आते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मरने वाले किन्नरों का आशीर्वाद बहुत प्रभावी होता है और उनकी समस्याएं दूर होती हैं।

वहीं, किन्नर हमेशा इस बात का ध्यान रखते हैं कि उनकी मौत के बारे में अपने करीबी लोगों के अलावा किसी और को न बताएं। किन्नर का अंतिम संस्कार करने से पहले उसे चप्पल- जूतों से मारा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि अगर उस व्यक्ति ने कोई अपराध किया हो तो उसे पश्चाताप हो। इस तरह अगले जन्म में वह एक सामान्य इंसान के रूप में जन्म लेगा।

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किन्नरों का अंतिम संस्कार:

मृतक किन्नर को अंतिम संस्कार स्थल तक चार कंधों पर नहीं ले जाया जाता, बल्कि उन्हें खड़ा करके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर कोई बाहरी व्यक्ति मृत किन्नर को देख लेता है, तो वह व्यक्ति अगले जन्म में किन्नर के रूप में ही जन्म लेता है। किन्नरों का अंतिम संस्कार आधी रात को किया जाता है ताकि कोई बाहरी व्यक्ति इसे देख न सके। किन्नर के शव जलाने के बजाय दफनाया जाता है।

किसी किन्नर की मृत्यु के बाद उनके साथी एक सप्ताह तक उपवास रखते हैं और मृतक के लिए प्रार्थना करते हैं कि वह व्यक्ति अगले जन्म में एक सामान्य व्यक्ति के रूप में जन्म ले। ऐसा कहा जाता है कि किन्नर अपने साथी किन्नर की मौत पर दुखी या शोक नहीं मनाते, बल्कि खुशी महसूस करते हैं। इनके बीच ऐसी मान्यता है कि किन्नर की मृत्यु के बाद उस व्यक्ति को इस जीवन से मुक्ति मिल जाती है।

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Mahendra Pratap Singh

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