Indian Nationals Deportation Data
Indian Nationals Deportation Data: ट्रंप जब दूसरी बार अमेरिका के सत्ता में लौटें तो उन्होने इलीगल ढंग से रह रहे दूसरे देश के नागरिकों को उनके मुल्क डिपोर्ट कराया. जिसमे कई भारतीय भी शामिल थे. जिस तरीके से भारतीय नागरिकों के हिंदुस्तान लाया गया उसकी चर्चा हर तरफ हुई. लेकिन आप ये जान कर हैरान रह जाएंगे कि पिछले पांच सालों में US नहीं बल्कि किसी और देश ने भारतीय नागरिकों को सबसे ज्यादा डिपोर्ट किया है.
विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा राज्यसभा में पेश किए गए ऑफिशियल डेटा के अनुसार, सऊदी अरब ने पिछले पांच सालों में US की तुलना में काफी ज़्यादा भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट किया है. अधिकारियों ने बताया कि ये आंकड़े खाड़ी क्षेत्र में माइग्रेशन से जुड़े उल्लंघनों के पैमाने को दिखाते हैं, खासकर वीज़ा ओवरस्टे और लेबर लॉ के उल्लंघन से जुड़े, न कि गैर-कानूनी बॉर्डर क्रॉसिंग से.
18 दिसंबर, 2025 को एक सवाल के लिखित जवाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि हालांकि कई विदेशी सरकारें रेगुलर तौर पर डिटेंशन डेटा शेयर नहीं करती हैं लेकिन इमरजेंसी सर्टिफिकेट के ज़रिए जारी डिपोर्टेशन के आंकड़े विदेशों में भारतीय नागरिकों के खिलाफ की गई कार्रवाई का एक भरोसेमंद इंडिकेटर देते हैं.
सरकार के जवाब के अनुसार सऊदी अरब ने 2021–2025 के समय के दौरान दुनिया भर में सबसे ज़्यादा भारतीय डिपोर्टेशन दर्ज किए. रियाद में इंडियन मिशन के डेटा से पता चलता है:
अधिकारियों ने कहा कि ये ज़्यादा संख्या सऊदी अरब के रेजिडेंसी (इकामा) नियमों को सख्ती से लागू करने लेबर सुधारों और वीज़ा ओवरस्टे पर समय-समय पर होने वाली कार्रवाई को दिखाती है खासकर सऊदीकरण नीतियों और लेबर मार्केट पर कड़े कंट्रोल के बाद. डेटा से वाकिफ एक सीनियर अधिकारी ने कहा, “खाड़ी क्षेत्र, खासकर सऊदी अरब में, वीज़ा ओवरस्टे करने, बिना परमिट के काम करने या रेजिडेंसी नियमों का उल्लंघन करने के कारण बड़े पैमाने पर डिपोर्टेशन होते रहते हैं.”
इसके उलट वॉशिंगटन में इमिग्रेशन एनफोर्समेंट पर बढ़ती बहस के बावजूद US से भारतीय नागरिकों का डिपोर्टेशन काफी कम बना हुआ है.
दूसरे US मिशन (सैन फ्रांसिस्को, न्यूयॉर्क, अटलांटा, ह्यूस्टन, शिकागो): डिपोर्टेशन के आंकड़े ज़्यादातर डबल डिजिट या सैकड़ों में ही रहते हैं, जो गल्फ देशों के आंकड़ों से बहुत कम हैं. अधिकारियों ने बताया कि डिपोर्टेशन में ज़्यादातर वीज़ा ओवरस्टे या स्टेटस वायलेशन शामिल हैं न कि बड़े पैमाने पर डिटेंशन और कई भारतीय नागरिकों के पास वैलिड ट्रैवल डॉक्यूमेंट हैं जिससे इमरजेंसी सर्टिफिकेट की ज़रूरत कम हो जाती है.
सरकार ने कहा कि वह “विदेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, सिक्योरिटी और भलाई को सबसे ज़्यादा प्राथमिकता देती है”. भारतीय मिशन सही प्रोसेस और समय पर वापसी पक्का करने के लिए होस्ट सरकारों के साथ एक्टिव रूप से जुड़ते हैं. गैर-कानूनी माइग्रेशन और धोखाधड़ी को रोकने के लिए, सरकार ने ये किया है.
अक्टूबर 2025 तक ई-माइग्रेट पोर्टल पर 3,505 से ज़्यादा रिक्रूटिंग एजेंट रजिस्टर्ड हैं, शिकायतों के कारण गलत ऑपरेटरों को डीएक्टिवेट किया गया है.
डेटा साफ़ तौर पर दिखाता है कि सऊदी अरब US नहीं भारतीय नागरिकों के डिपोर्टेशन का सबसे बड़ा सोर्स बना हुआ है जो शरण या बॉर्डर क्रॉसिंग के बजाय लेबर मोबिलिटी से होने वाले माइग्रेशन पैटर्न को दिखाता है. अधिकारियों ने ज़ोर देकर कहा कि नौकरी ढूंढने वालों में जागरूकता बढ़ाना और रिक्रूटमेंट एजेंटों की कड़ी जांच भविष्य में डिपोर्टेशन को कम करने के लिए बहुत ज़रूरी है खासकर खाड़ी देशों में.
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