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Bahraich Case : हिंसा मामले पर इलाहबाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना, अगली सुनवाई तक बुल्डोजर एक्शन पर रोक

BY: Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : October 23, 2024, 7:10 pm IST
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Bahraich Case : हिंसा मामले पर इलाहबाद कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना, अगली सुनवाई तक बुल्डोजर एक्शन पर रोक

Bahraich Case : बहराइच हिंसा (फाइल फोटो)

India News UP(इंडिया न्यूज), Bahraich Case : बहराइच मामले में बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना। इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों, सरकार और पीड़ितों को मामले में अपने साक्ष्य और दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी। तब तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक जारी रहेगी।

इससे पहले 20 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 दिनों के लिए बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। पीडब्ल्यूडी विभाग ने जिन 23 मकानों और दुकानों पर नोटिस चिपकाए थे, उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। पीडब्ल्यूडी ने बहराइच हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद समेत 23 लोगों के मकानों और दुकानों पर नोटिस चिपकाए थे। विभाग ने यह नोटिस सरकारी सड़क पर अतिक्रमण हटाने के लिए लगाया था।

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आरोपियों की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

वहीं, बहराइच हिंसा के बाद प्रस्तावित बुलडोजर कार्रवाई को रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। बहराइच सांप्रदायिक हिंसा मामले में ध्वस्तीकरण नोटिस के खिलाफ तीन आरोपियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया और जल्द सुनवाई की मांग की।

अधिवक्ता सी यू सिंह ने पीठ से कहा, “यह उन तीन व्यक्तियों की याचिका है, जिन्हें ध्वस्तीकरण को लेकर नोटिस मिले हैं। प्रदेश सरकार ने नोटिस का जवाब देने के लिए महज तीन दिन का वक्त दिया है।” सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता नंबर 1 के पिता और भाइयों ने सरेंडर कर दिया है और कथित तौर पर नोटिस 17 अक्टूबर को जारी किए गए और 18 की शाम को चिपकाए गए। उन्होंने कहा, ‘‘हमने रविवार को सुनवाई का अनुरोध किया था लेकिन ऐसा नहीं हो सका।’’ राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने अदालत को बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामले पर विचार किया है और नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है।

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