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India News (इंडिया न्यूज़), Chandramani Shukla, Lucknow: घोसी उपचुनाव को लेकर अब प्राचर का शोर थम चुका है इसके साथ ही भाजपा और सपा के बीच में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चरम पर पहुंच गया है। भाजपा की ओर से डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सपा समर्थकों पर पुलिसकर्मियों को धमकाने का आरोप लगाया है। वहीं, सपा की ओर से शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा पर पुलीस प्रशासन के दुरुपयोग का आरोप लगाया। इन सबके बीच दोनों तरफ से अपनी अपनी जीत का दावा किया जा रहा है। इस उपचुनाव को जहां इंडिया और एनडीए के मुकाबला के तौर पर देखा जा रहा है तो वहीं इस सीट पर अखिलेश यादव के PDA के फॉर्मूले का भी परिक्षण होने वाला है क्योंकी इस सीट का जातीय समीकरण यही कहता है कि जिसकी तरफ पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक मुसलमान का झुकाव अधिक होगा, जीत उसकी उतनी ही बड़ी होगी। यानी इस सीट पर भाजपा को भी PDA से ही उम्मीद है।
2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल कहलाने वाले इस उपचुनाव के महत्व को देखते हुए दोनों ओर से जमकर पसीना बहाया गया है। एक तरफ जहां एनडीए के उत्तर प्रदेश में साथी निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद और सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने लगातार घोसी में जनसभाएं की। दूसरी तरफ इंडिया की ओर से समाजवादी पार्टी को इस सीट पर कांग्रेस समेत कई अन्य दलों का समर्थन मिला हुआ है। सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव लगातर क्षेत्र में रहकर पार्टी को संगठन स्तर पर मजबूत करने में लगे हुए देखे गए। उपचुनाव से दूर रहने वाले अखिलेश यादव ने जनसभा करके अपने प्रत्याशी सुधाकर सिंह के सर्मथन में वोट जुटाने का प्रयास किया। जिसके जवाब में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी घोसी में जनसभा कर भाजपा के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को जिताने की जनता से अपील की।
घोसी विधानसभा के जातीय गुणा गणित को देखें तो इस विधानसभा सीट पर 4,30,452 मतदाता है। इस चुनाव में जब सपा और भाजपा की सीधी लड़ाई है तो यहां किसी भी दल के लिए जातिगत समीकरण साधना काफी मायने रखता है क्योंकि घोसी विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा मतदाता दलित समुदाय के हैं। बसपा की तरफ से कोई प्रत्याशी ना होने की दशा में इनमें बिखराव होने की पूरी आशंका है। ऐसे में कौन सा दल इन वोटरों को लुभा पाएगा यह निर्णायक होगा।
वहीं यहां पर दूसरी सबसे बड़ी आबादी मुस्लिम समुदाय की है मुस्लिम समुदाय के करीब यहां पर 60,000 के आसपास मतदाता हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में भूमिहार मतदाताओं का भी अपना एक प्रभाव है और वह किसी भी दल की हार जीत पर अंतर डाल सकते हैं। घोसी विधानसभा सीट पर भूमिहारों की कुल संख्या 48,500 के करीब बताई जाती है तो वहीं यहां यादव मतदाता भी बड़ी संख्या में है। जिनकी संख्या 42,000 के आसपास है। इसके अलावा राजभर मतदाता लगभग 40,000, लेनिया लगभग 36,000, निषाद लगभग 16,000, राजपूत लगभग 15,000, कोईरी लगभग 6,200, कुर्मी लगभग 5,700, दुसाध लगभग 5,400, खटीक लगभग 4,200, ब्राह्मण लगभग 4,100, गौड़ तथा खरवार लगभग 3,500, लाला लगभग 1600, नाई 1300, कुम्हार 1200, मुसहर 900, सिंधी 800, तथा अन्य बिरादरी के लगभग 75,000 के आस पास मतदाता हैं।
2022 के विधानसभा चुनाव में जब दारा सिंह चौहान समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। तब उन्हें 108,430 वोट मिले थे। वहीं भाजपा की ओर से प्रत्याशी रहे विजय राजभर को 86,214 वोट मिले थे, जबकि बसपा के उम्मीदवार वसीम इकबाल को 54,248 मिले थे। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार प्रियंका यादव को 2,012 मिले थे। मतलब साफ है इस सीट पर बसपा के वोटर निर्णायक भूमिका में रहने वाले हैं। ऐसे में सामाजवादी पार्टी को अपना पीडीए का फॉर्मूला ही नज़र आ रहा है। वहीं भाजपा भी इस फॉर्मूले को अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रही है।
भाजपा ने पिछड़ों में अपने प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के आलावा संजय निषाद और ओम प्रकाश राजभर के जरिए पैठ बनाने की रणनीति पर काम किया तो दलित वोटरों को बसपा प्रत्याशी की गैर मौजूदगी में अपनी तरफ मोड़ने की कोशिश की है साथ ही अल्पसंख्यक मुसलमानों के वोटों पर पसमांदा मुस्लिम के जरिए लुभाने पर काम किया गया है। अब यह देखने वाला होगा कि इस सीट पर पीडीए को कौन अपने पक्ष में ला पाता है। एक तरफ जहां अखिलेश यादव ने पीडीए के फॉर्मूले का खुलेआम ऐलान करके उपचुनाव में सवर्ण प्रत्यासी उतारा है तो दूसरी तरफ भाजपा ने ओबीसी प्रत्याशी उतार कर उसे चुनौती दी है। घोसी विधानसभा के उपचुनाव के लिए 5 सितंबर को वोट डाले जायेंगे और 8 सितम्बर को परिणाम आएंगे।
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