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India News (इंडिया न्युज)अभिषेक सिंह,लखनऊ/उत्तर प्रदेश : चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर बच्चों से लेकर बड़े तक हर कोई उत्साहित था। इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला में बच्चों की जिज्ञासाओं पर जानकारी देने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान वैज्ञानिक डॉ अनिरुद्ध उनियाल ने स्कूली बच्चों को चंद्रमा की सतह और चंद्रयान के बारे में विस्तार से बताया।
आयोजन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के संयुक्त निदेशक राजेश गंगवार और इंदिरा गांधी नक्षत्रशाला के वैज्ञानिक अधिकारी सुमित श्रीवास्तव समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. अनिरुद्ध उनियाल ने चंद्रमा से जुड़ी हुई हर जानकारी बच्चों को साझा की। साथ ही चंद्रयान मिशन समेत भारत के हर मिशन के बारे में भी बच्चों को बताया। कई स्कूलों से लगभग 100 से अधिक बच्चे इस अवसर पर इकट्ठा हुए तो वहीं कई लोग अखबारों में पढ़कर जानकारी लेने के लिए कार्यशाला में शामिल हुए।
डॉ उनियाल ने चंद्रमा पर होने वाले भगौलिक बदलाओ के साथ साथ चंद्रयान की लैंडिंग के बारे में विस्तार से बताया।
कार्यशाला में मौजूद बच्चों ने जब डॉ उनियाल से पूछा की चंद्रमा पर क्रेटर है, लेकिन पृथ्वी पर क्यों नहीं? इस पर रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के वैज्ञानिक डॉ. अनिरुद्ध उनियाल ने जवाब दिया की उल्का पिंड से टकराने के बाद पृथ्वी का एक हिस्सा चंद्रमा बन गया। चंद्रमा पर पानी बर्फ के रूप में उपस्थित है। वह पानी पृथ्वी पर तरल पदार्थ में है। इसके अलावा पृथ्वी का एक दिन चंद्रमा के 14 दिन के बराबर है।
डॉ. उनियाल ने बताया कि भारत की ओर से चंद्रमा पर जाने के लिए अब तक तीन मिशन संचालित किया जा चुके है। 2008 में पहली बार चंद्रयान को प्रक्षेपित किया गया था। वहीं, चंद्रयान दो 2019 में भेजा गया था। यह पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया था। अब यदि बुधवार को चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक हो जाती है तो भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा हैं।
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