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India News UP (इंडिया न्यूज़), Cm Yogi Adityanath: पांच साल पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश इंसेफेलाइटिस से ग्रसित था। 15 जुलाई से 15 नवंबर के बीच 1200 से 1500 मौतें हुई थीं। अकेले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 500 से 700 मौतें हुई थीं। यह क्रम पिछले 40 साल से चल रहा था। इस दौरान 50 हजार बच्चों की मौत हुई, लेकिन पिछली सरकारों को इससे कोई लेना-देना नहीं था।
जब इसे रोकने के लिए सुविधाएं देनी थीं, तो वे भ्रष्टाचार में लिप्त हो गईं। यह सिस्टम की विफलता थी। सांसद रहते हुए मैंने सड़क से लेकर सदन तक इस मुद्दे को उठाया, जिसके बाद काम शुरू हुआ। यह बात यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कही। सीएम शुक्रवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के चौथे स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इंसेफेलाइटिस से एक भी बच्चे की मौत नहीं हुई है। यह सब बेहतर समन्वय और संवाद के कारण संभव हुआ। आज इंसेफेलाइटिस पूरी तरह से खत्म हो चुका है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इस पर अब तक कोई अध्ययन पत्र नहीं लिखा गया, जबकि यह सफलता का मॉडल है।
वहीं, वर्ष 2020 में जब कोविड-19 महामारी आई तो टीम 11 बनाकर इसे नियंत्रित किया गया। इंसेफेलाइटिस के सफलतापूर्वक समाधान के बाद मिले अनुभव के कारण यह संभव हो सका। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंसेफेलाइटिस पर अंकुश लगाने के लिए गोरखपुर को एम्स दिया। उसी का नतीजा है कि आज पूर्वी उत्तर प्रदेश इंसेफेलाइटिस से मुक्त है। आज यहां मृत्यु शून्य हो गई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऋषि परंपरा के अनुरूप डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान एक अस्पताल से संस्थान में तब्दील हो गया है। संस्थान उत्तर भारत में चिकित्सा स्वास्थ्य का सबसे अच्छा केंद्र बनकर उभर रहा है। यह संस्थान की बड़ी उपलब्धि है।
उन्होंने कहा कि अच्छा काम अच्छे परिणाम लाता है। संस्थान बनाना समस्या का समाधान नहीं है, महत्वपूर्ण यह है कि यह किसके हाथ में है। सीएम योगी ने कहा कि लखनऊ उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है। यहां करीब 70 लाख की आबादी रहती है। आरएमएल को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
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