India News UP(इंडिया न्यूज), Bareilly News: कोर्ट ने यूपी पुलिस द्वारा की गई जांच की गुणवत्ता पर बार-बार सवाल उठाए हैं। दरअसल, जांच के दौरान पुलिस आरोपियों पर बिना किसी वास्तविक सबूत के बीना ही चार्जशीट लगा देती है। बरेली के इन हाई-प्रोफाइल मामलों में से एक में कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए आरोपी को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि सहमति से बनाया गया शारीरिक संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आता है। घटिया और तथ्यहीन जांच करने वाले इंस्पेक्टर और कमांडर के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश एसएसपी को दिया गया।
कर्मचारी नगर में रहने वाली 34 साल की इस महिला के तीन बच्चे हैं। इस महिला का शिवम के साथ रिश्ता 2016 से 2019 तक चला। महिला ने मिस्टर शिवम पर शादी का झांसा देकर तीन साल तक बलात्कार करने का आरोप लगाया। इस महिला ने प्रेमनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद पुलिस ने युवक को जेल भेज दिया। लेकिन कोर्ट में पूछताछ के दौरान महिला ने अपने आरोपों से इनकार कर दिया। युवक को बरी कर दिया गया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि तीन बच्चों की मां शादी के जाल में कैसे फंस सकती है, अगर महिला न तो तलाकशुदा है और न ही शादीशुदा है? कोर्ट ने कहा कि पुलिस ने मामले की जांच नहीं की और महिला की मदद कर युवक को जेल भेज दिया। कोर्ट ने एसएसपी को विवेचक निरीक्षक सोनिया यादव, तत्कालीन प्रेमनगर कोतवाली निरीक्षक बलवीर सिंह और प्रथम अधिकारी श्वेता यादव के खिलाफ धारा 219 के तहत कार्रवाई करने और आंतरिक विभागीय जांच करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने महिला पर जुर्माना लगाया। कोर्ट को बताया गया कि महिला ने युवक पर शादी करने का दबाव बनाया और पुलिस से सहमति बनाकर युवक को जाल में फंसा लिया।
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