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सरकारी कर्मचारियों के करप्शन पर लगेगी लगाम, सम्पत्ति का ब्यौरा नहीं दिया, तो प्रमोशन नहीं

BY: Itvnetwork Team • LAST UPDATED : August 20, 2023, 3:06 pm IST
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सरकारी कर्मचारियों के करप्शन पर लगेगी लगाम, सम्पत्ति का ब्यौरा नहीं दिया, तो प्रमोशन नहीं

UP government

India news (इंडिया न्यूज़), Nikita Sareen, Lucknow: यूपी सरकार ने अपने कर्मचारियों के करप्शन पर लगाम कसने की तैयारी शुरू कर दी है। 31 दिसंबर तक अपनी चल और अचल संपत्ति का ब्यौरा न देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रमोशन नहीं मिलेगा। राज्य सरकार के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को चल-अचल संपत्ति का पूरा ब्यौरा मानव संपदा पोर्टल पर देना होगा। इसके लिए मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की ओर से सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और विभागाध्यक्षों को शासनादेश जारी कर दिया है।

अब जो कर्मचारी और अधिकारी 31 दिसंबर तक चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं देंगे। इसे ठीक नहीं माना जाएगा। ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों को 1 जनवरी, 2024 के बाद होने वाली किसी भी मीटिंग में प्रमोशन नहीं दिया जाएगा। ये प्रमोशन कर्मचारियों और अधिकारियों को तब तक नहीं मिलेगा, जब तक अपना ब्यौरा दे नहीं देते।

पहली बार दिया जाएगा पोर्टल पर ब्यौरा

सरकार की ओर से पहली बार इस तरह का आदेश दिया गया है जब सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों का मानव संपदा पोर्टल पर ब्यौरा इकट्ठा किया जा रहा है। इस व्यवस्था के शुरू होने से किसी भी अधिकारियों और कर्मचारी की संपत्ति का ब्यौरा एक क्लिक में ऑनलाइन देखा जा सकेगा। राज्य सरकार पहले भी चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा लेती रही है। आईएएस और पीसीएस अफसरों को हर साल संपत्ति का ब्यौरा देना होता है। वहीं राज्य कर्मचारियों से हर पांच साल में संपत्ति का ब्यौरा लिया जाता था। मगर पिछले कई साल से कर्मचारियों का हर साल ब्यौरा लिया जाने लगा है।

क्यों लिया जा रहा है ब्यौरा

सरकार के कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ शिकायतें मिलती रहती हैं कि वह अकूत संपत्ति इकट्ठा कर रहे हैं। सरकारी सिस्टम में करप्शन पर लगाम कसने के लिए के लिए ही यह फैसला लिया है। दरअसल प्रदेश में बड़े पैमाने पर ऐसे अधिकारी और कर्मचारी हैं, जो बार-बार रिमाइंडर दिए जाने के बाद भी अपनी चल और अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं दे रहे हैं। इस शासनादेश के बाद ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों का प्रमोशन रुकेगा, तो उन्हें संपत्ति का ब्यौरा देना पड़ेगा। इस व्यवस्था के ऑनलाइन शुरू होने से विभागाध्यक्ष भी अपने पसंदीदा कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा ऐसी जानकारी न देने की बात छिपा नहीं सकेंगे। शासन में बैठे अफसर अब सीधे सभी की संपत्ति का ब्यौरा देख सकेंगे।

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