संबंधित खबरें
'बाबा साहब को लेकर ज्ञान न दें…', डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने मायावती को दी नसीहत; जानिए ऐसा क्यों बोले?
झोला छाप डॉक्टर से प्रेम.. लिव इन में दोनों, मंगेतर से फोन पर बात करने से हो गया ये बड़ा कांड
इस मामले में असदुद्दीन ओवैसी को नहीं मिली राहत, बरेली कोर्ट ने जारी किया नोटिस
यूपी के इस यूट्यूबर को लॉरेंस बिश्नोई की गैंग ने दी जान से मारने की धमकी, एक करोड़ की मांग
कार का ब्लोअर चला कर सो गए लड़के, फिर सुबह कार से बाहर निकाली गई लाश; जानें पूरा मामला
कांग्रेस घड़ियाली आंसू बहा रही है…, राहुल गांधी के परभणी दौरे के बीच बसपा चीफ मायावती का बयान
अजय त्रिवेदी, लखनऊ:
Donkey Fair In Chitrakoot: महामारी के उबरने के बाद इस बार फिर से यूपी के चित्रकूट में गधों का मेला गुलजार हुआ। दो सालों से कोरोना के चलते ठंडे रहे मेले में इस बार देश-विदेश के गधे बिकने पहुंचे। मेले (Donkey Fair In Chitrakoot) में 20 करोड़ रुपए लगभग गधों व खच्चरों का कारोबार हुआ। मेले में सबसे मंहगी दीपिका नाम की गधी बिकी जिसकी कीमत सवा लाख रुपए लगायी गयी। चित्रकूट के निवासी मनीष यादव बताते हैं कि गधों की बिक्री इस बार 5000 रुपए से शुरू होकर 1.25 लाख तक गयी जबकि खच्चर 10000 रुपए की शुरूआती कीमत में बिके हैं।
उनका कहना है कि पहाड़ी और पठारी इलाकों में आवागमन के साथ ही माल ढोने के काम में अभी भी गधों व खच्चरों का बहुतायत में इस्तेमाल किया जाता है। बीते दो सालों के मेले के ठंडा पड़ने के चलते पशुपालकों के पास जानवरों की तादाद भी खासी हो गयी थी। इसी के चलते इस बार मेले में 15000 से ज्यादा गधे व खच्चर बिकने आए थे। उनका कहना है कि चित्रकूट मेले के बाद पशुपालक राजस्थान के पुष्कर में होने वाले मेले का रुख करते हैं जहां देश भर के खरीददार उमड़ते हैं।
औरंगजेब के जमाने से चित्रकूट में लगते आ रहे गधों के मेले (Donkey Fair In Chitrakoot) में इस बार दीपावली के मौके पर देस के अलग-अलग हिस्सों से 15000 से ज्यादा बिकने के लिए आए। नेपाल व बंगलादेश तक के गधे इस बार मेले की रौनक बने। सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के व्यापारी अपने गधे बेचने के लिए पहुंचे। चित्रकूट के मंदाकिनी नदी के तट पर लगने वाले इस पांच दिन के मेले में लगभग 9000 गधे इस बार बिके।
हालांकि मेला आयोजकों का कहना है कि यह कोरोना से पहले के मुकाबले में तो नहीं है पर दो साल की बंदी के बाद हालात में काफी सुधार आया है। इस बार गधों और खच्चरों की आमद तो पहले के जैसी ही हुयी है और खरीददार भी खासी तादाद में पहुंचे हैं। हालांकि कीमतें ज्यादा होने के चलते बिक्री अपेक्षा के मुताबिक नहीं हो सकी है।
गौरतलब है कि चित्रकूट में गधों के मेले (Donkey Fair In Chitrakoot) की शुरूआत मुगल बादशाह औरंगजेब के जमाने में हुयी थी जब यहां से सेना के लिए गधे और खच्चरों की खरीद की गयी थी। वर्तमान में मंदाकिनी के तट पर सतना जिला पंचायत की ओर से मेले का आयोजन किया जाता है। चित्रकूट जिले के कर्वी निवासी अशोक मिश्रा बताते हैं कि बीते कुछ सालों से गधों की जगह खच्चर की खरीद फरोख्त ज्यादा होने लगी है। इसका बड़ा कारण गधों का ढुलाई के कम में कम उपयोग में लाना रहा है। इस बार भी ज्यादातर उत्तराखंड या हिमाचल जैसे प्रदेशों के व्यापारियों ने गधों की खरीद की है।
Read More: नशा बेचने वालों की संपत्ति होगी अटैच
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.