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महाकुंभ से पहले जल शोधन पर जोर, आधुनिक जियो ट्यूब तकनीक से ट्रीट होंगे प्रयागराज के सभी 22 अनटैप्ड नाले

By: Ajeet Singh

• LAST UPDATED : December 16, 2024, 5:01 pm IST
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महाकुंभ से पहले जल शोधन पर जोर, आधुनिक जियो ट्यूब तकनीक से ट्रीट होंगे प्रयागराज के सभी 22 अनटैप्ड नाले

India News (इंडिया न्यूज)Maha Kumbh 2025: प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक विश्व का सबसे बड़ा मानव समागम महाकुंभ-2025 आयोजित होने जा रहा है। इसके लिए प्रयागराज में तैयारियां अंतिम चरण में हैं। सीएम योगी की प्रेरणा से इस महाकुंभ को दिव्य और भव्यता के साथ ही स्वस्थ और सुरक्षित महाकुंभ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इसी दिशा में यूपी जल निगम, शहरी ने प्रयागराज के सलोरी में जियो ट्यूब तकनीक आधारित ट्रीटमेंट प्लांट लगाया है, जो शहर के सभी 22 अनटैप्ड नालों के अपशिष्ट जल को शुद्ध करेगा, जिससे सीएम के निर्देशानुसार किसी भी नाले का पानी बिना उपचार के गंगा नदी में नहीं डाला जाएगा। इससे गंगा जी के जल को स्वच्छता के मानकों के अनुरूप स्वच्छ और अविरल बनाने में मदद मिलेगी।

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यहाँ 55 करोड़ रुपये की लागत से लगा ट्रीटमेंट प्लांट

महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम में पवित्र स्नान करने आते हैं। लेकिन, 2019 से पहले माघ और कुंभ मेले में उन्हें संगम के दूषित जल में स्नान करने के लिए मजबूर होना पड़ा। सीएम योगी के स्पष्ट निर्देशों के अनुसार, इस बार महाकुंभ में, किसी भी नाले या सीवेज के अनुपचारित अपशिष्ट जल का दूषित पानी पवित्र नदियों में नहीं डाला जाएगा। उनके निर्देश के अनुसार, जल निगम, नगरिया ने प्रयागराज के सभी अप्रयुक्त 22 नालों के उपचार के लिए सलोरी में जियो ट्यूब तकनीक आधारित ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया है। इस बारे में बात करते हुए अधिशासी अभियंता सौरभ कुमार ने कहा कि 55 करोड़ रुपये की लागत से बने इस ट्रीटमेंट प्लांट का फिलहाल ट्रायल रन चल रहा है, जो 01 जनवरी से अपनी पूरी क्षमता से काम करना शुरू कर देगा।

जियो ट्यूब तकनीक जलीय जीवन के संरक्षण में भी कारगर

जल निगम शहरी के अधिशासी अभियंता सौरभ कुमार ने बताया कि जियो ट्यूब तकनीक सीवेज जल शोधन की आधुनिक तकनीक है। इसमें सीवेज जल का 40 से 50 प्रतिशत बीओडी स्तर और करीब 80 प्रतिशत टीएसएस जियो ट्यूब में ही शोधित कर दिया जाता है। इसके बाद इस शोधित जल को हाइड्रोजन परॉक्साइड से शुद्ध करके ओजोनेशन किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस ट्रीटमेंट प्लांट में क्लोरीनेशन की जगह ओजोनेशन किया जाता है, क्योंकि शोधित जल में अधिक मात्रा में घुली क्लोरीन जलीय जीवों के लिए हानिकारक होती है।

ओजोनेशन से सभी प्रकार के फेकल बैक्टीरिया मर जाते हैं, फिर इस शोधित जल को नदियों में छोड़ा जा सकता है। ओसीईएमएस तकनीक से इसकी चौबीसों घंटे ऑनलाइन निगरानी की जाती है। सीएम योगी ने 12 दिसंबर को प्रयागराज दौरे पर ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया था और महाकुंभ के दौरान किसी प्रकार की समस्या न आए इसके निर्देश भी दिए थे।

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