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IIT मुंबई से महाकुंभ तक, प्रयागराज की रेती पर ज्ञान की गंगा बहाने वाले कौन है अभय सिंह

BY: Poonam Rajput • LAST UPDATED : January 15, 2025, 12:05 pm IST
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IIT मुंबई से महाकुंभ तक, प्रयागराज की रेती पर ज्ञान की गंगा बहाने वाले कौन है अभय सिंह

iit mumbai turned sadhu

India News (इंडिया न्यूज़),iit mumbai turned sadhu: प्रयागराज के महाकुंभ में एक संन्यासी से जब नाम पूछा गया तो उन्होंने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “कौन सा नाम बताऊं? मेरे कई नाम हैं – मसानी गोरख, बटुक भैरव, राघव, माधव, सर्वेश्वरी, जगदीश्वरी, या फिर जगदीश…” उनका यह जवाब सुनकर लोग हैरान रह गए। दरअसल, यह संन्यासी कोई और नहीं बल्कि IIT मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग करने वाले अभय सिंह हैं, जिन्होंने करोड़ों का पैकेज और कॉर्पोरेट की दुनिया छोड़कर साधना और योग की राह चुनी।

एक युवा इंजीनियर की संन्यास की ओर यात्रा
अभय सिंह की कहानी उतार-चढ़ावों से भरी हुई है। एक ओर जहां उन्होंने IIT मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की, वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपनी जिंदगी को पूरी तरह से बदलते हुए संन्यास लेने का निर्णय लिया। आज वह महाकुंभ के संगम तट पर भटकते हुए जीवन के रहस्यों को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

अभय सिंह के जीवन के दर्शन और उनके विचार कई लोगों को हैरान कर देते हैं। उनकी अंग्रेजी किताब A Beautiful Place to Get Lost में आपको उनकी आंतरिक यात्रा और जीवन के प्रति उनका नजरिया मिलेगा। उन्होंने एक बार कहा था, “सादगी और सरलता… यह एक पिंजरा है, जिसमें बैठा पक्षी डरता है उड़ने से।”

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कॉर्पोरेट दुनिया को छोड़कर साधना की ओर
अभय सिंह का जीवन दर्शन बेहद गहरा है। जब उनसे पूछा गया कि इस अवस्था को कैसे प्राप्त किया, तो वह बालकों की तरह मुस्कराए और कहा, “यह सबसे बेस्ट अवस्था है। ज्ञान के पीछे चलते जाओ, कहां जाओगे? यहीं पर आओगे।” उनकी हंसी और जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण बिल्कुल अलग है। वह कहते हैं, “दुनिया में कभी भी अंत हो सकता है, मैं हंसते हंसते मरूंगा। अगर मैं नहीं हंसा, तो ऐसा लगेगा कि मैं बिजी था, भगवान से कहूंगा, रुक जाओ, टाइम को रोक दो, मौत को रोक दो।”

एक वैरागी का जीवन
अभय सिंह खुद को संत या साधु मानने से इनकार करते हैं। उनका मानना है कि “संत या साधु कहना विवाद पैदा करता है, फिर लोग पूछते हैं कि तुमने दीक्षा किससे ली है, संन्यास किससे लिया है।” वे खुद को एक वैरागी कहते हैं और इसके पीछे उनकी सोच है। वह कहते हैं, “मान लो कि तुम अकेले ज्ञान की खोज में निकल पड़े, और तुम्हें ज्ञान किसी दुकान वाले से मिल जाए, चाय गुरु, बिजनेस गुरु।”

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महाकुंभ में उनकी उपस्थिति
महाकुंभ में अभय सिंह का नाम जब पूछा गया, तो उन्होंने हंसी में ही जवाब दिया कि उनके कई नाम हैं। यह घटना उनकी जीवन की रहस्यपूर्ण यात्रा को दर्शाती है, जिसमें वह न सिर्फ एक इंजीनियर बल्कि एक योगी, एक वैरागी और एक साधक के रूप में खुद को पहचानते हैं।

अभय सिंह की कहानी यह दिखाती है कि जीवन में यदि सही दिशा मिल जाए, तो आप किसी भी पहचान से परे अपनी वास्तविकता को पा सकते हैं।

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