India News (इंडिया न्यूज),Kanpur News: रावतपुर थाना प्रभारी अशोक कुमार सरोज ने बताया कि कोर्ट खुलते ही छात्रा के बयान दर्ज कराने के बाद आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी। विशेषज्ञों से राय लेने के बाद इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराई जाएगी। जिससे जल्द से जल्द परिवार को न्याय मिल सके।
कानपुर के रावतपुर में कक्षा छ की छात्रा से स्कूल वैन में दुष्कर्म करने वाले चालक कल्लू को पुलिस ने रविवार को जेल भेज दिया। आरोपी को जल्द सजा दिलाने के लिए केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाएगा। पुलिस भी उसके खिलाफ जल्द ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करेगी। पुलिस का कहना है कि कल्लू को उसके किए की सजा दिलाने में छात्रा के बयान, मेडिकल रिपोर्ट के साथ ही फोरेंसिक टीम की रिपोर्ट भी अहम भूमिका निभाएगी।
प्रकरण में पुलिस सीआरपीसी की धारा 161 के तहत पीड़ित छात्रा के बयान दर्ज कर चुकी है। जबकि कोर्ट बंद होने की वजह से पीड़िता के धारा 164 के बयान कोर्ट में दर्ज नहीं हो पाए हैं। पुलिस के अनुसार प्रकरण में पीड़ित छात्रा के बयान बहुत अहम हैं। छात्रा ने स्कूल की जिन टीचर्स पर उसकी मदद नही करने का आरोप लगाया, उनके भी बयान दर्ज किए जाएंगे। मेडिकल रिपोर्ट से लेकर फोरेंसिक टीम की रिपोर्ट भी कल्लू के खिलाफ है।
थाना प्रभारी अशोक कुमार का कहना है कि वैन की फॉरेंसिक टीम ने जांच की, जहां सीट पर खून मिला। वहीं, आरोपी कल्लू की अंगुलियों पर बेंजीडीन टेस्ट किया गया, जिनमें खून मिला है। आरोपी ने वारदात को अंजाम देने के बाद पानी से अपने हाथ धोए थे। इन सभी साक्ष्यों को कोर्ट में पेश करके कल्लू को सख्त सजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा। वही रावतपुर थाना प्रभारी अशोक कुमार सरोज ने बताया कि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराई जाएगी।
आरोपी कल्लू की तीन बेटियां हैं। बड़ी बेटी 10 साल की, दूसरी 7 साल और तीसरी 4 साल की है। तीन बेटियों के पिता कल्लू की इस हरकत से पूरा परिवार शर्मसार है। वहीं, लोगों में अपनी बेटी की उम्र की छात्र से वहशीपन की हरकत को लेकर चालक के खिलाफ रोष है। पुलिस के अनुसार कल्लू की नशेबाजी और विवाद करने से परेशान होकर उसकी पत्नी चार साल पहले कहीं चली गई थी। तबसे कल्लू अपनी तीनों बेटियों के साथ अपने भाई के परिवार साथ रह रहा था।
पीड़ित छात्रा की नानी ने दिल्ली से पीड़िता मां को उसके बचपन में लाने के बाद एक डीफ एंड डंब स्कूल में भर्ती करा दिया था। यहीं पर छात्रा की मां की मुलाकात साथ शिक्षा ले रहे छात्रा के पिता से हुई थी। दोनों में दोस्ती की बात पता चलने पर छात्रा की नानी ने दोनों की शादी करवा दी और बेटी-दामाद को साथ में रख लिया। छात्रा की नानी की कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने छात्रा की मां के अलावा एक बेटे को भी गोद लिया था, जो उनके साथ में ही रहते हैं।
अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश पांडे के अनुसार घटना की जानकारी के बाद भी वैन के चालक को भगा देना और छुट्टी के बाद दूसरे ड्राइवर से बच्ची को घर भिजवाना इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त है कि स्कूल की शिक्षकों ने जानकारी के बावजूद अपराधी को संरक्षण दिया।
स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी थी कि वह तत्काल घटना की सूचना पुलिस को देता और ड्राइवर कल्लू को पुलिस को सौंपा जाता। इसलिए प्रधानाचार्या व तीनों शिक्षकों को आईपीसी की धारा 212 के तहत अपराधी को संरक्षण देने का भी दोषी माना जाना चाहिए। इसके लिए दोषियों को 3 से 5 साल तक की सजा और जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है।
वही अधिवक्ता शशांक वर्मा ने बताया कि आईपीसी की धारा 202 के तहत जानबूझकर अपराध की सूचना न देना है। इसमें दोषी को 6 माह तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। जमानती अपराध होने के कारण आसानी से जमानत मिल जाएगी, लेकिन धारा 212 अपराधी को संरक्षण देना है। यह अजमानती है। इसमें जमानत मिलना आसान नहीं होगा। साथ ही 3 से 5 साल तक की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है।
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