India News (इंडिया न्यूज),Lucknow News: उत्तर प्रदेश में अब उम्र नहीं बनेगी बाधा, यूपी में जातीय समीकरण और परफार्मेंस पर मिलेगा टिकट यूपी में बीजेपी अगले महीने से लोकसभा चुनावों के लिए प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। इस बार चुनाव में टिकट चयन का फार्मूला 2019 से अलग होगा। प्रत्याशी चयन से पहले बीजेपी ने ‘ट्रिपल थ्री’ फार्मूले के आधार पर तीन स्तरों पर सर्वे कराना शुरू कर दिया है।
एक सर्वे केंद्रीय बीजेपी की टीम करा रही है। दूसरा सर्वे प्रदेश सरकार पर बीजेपी संगठन करा रहा था। तीसरे स्तर पर सर्वे का काम सरकार करा रही है। इन तीन सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही प्रत्याशी तय होंगे। सूत्रों के मुताबिक अभी शुरुआती सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद प्रत्याशी चयन का जो ‘फार्मूला’ बन रहा है, उसमें सिर्फ ‘जिताऊ’ प्रत्याशी को ही तरजीह दी जाएगी।
इसमें उम्रदराज होने से टिकट कटने में ढील दी जा सकती है, यानी अगर कोई प्रत्याशी ‘जिताऊ’ है और उसकी उम्र 75 या उसके पार हो रही है तो उसे भी चुनाव लड़ाया जा सकता है। इसके साथ ही बीजेपी ने स्थानीय और जातीय समीकरणों के साथ सांसदों की परफार्मेंस को भी प्रत्याशी बनाने का आधार बनाया है। जल्दी ही केंद्रीय बीजेपी के साथ प्रदेश बीजेपी की टीम बैठकर प्रत्याशी चयन के मानक तय कर लेगी।
सूत्रों के मुताबिक इस बार टिकट देने में उम्र के मानकों में छूट दी जा सकती है। 2014 में बीजेपी ने तय किया था कि 75 साल से ज्यादा आयु के नेताओं को टिकट नहीं दिया जाए। इसके बाद यूपी से कलराज मिश्र, मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं के टिकट कट गए थे। वहीं 2022 में विधानसभा चुनाव में भी मुकुट बिहारी वर्मा, राजेश अग्रवाल, ह्रदय नारायण दीक्षित जैसे नेताओं को भी विधानसभा का टिकट नहीं मिला था।
लेकिन पांच राज्यों के चुनाव के दौरान इस फार्मूले में ढील दी गई है। प्रत्याशी चयन के लिए 75 साल और उसके पार आयु सीमा वालों को भी टिकट दिया गया है। मध्य प्रदेश में जहां 75 साल से ज्यादा के जगन्नाथ सिंह रघुवंशी को चंदेरी सीट से उम्मीदवार बनाया गया तो वहीं सतना में नागौद सीट से 80 वर्षीय नागेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया गया।
मध्य प्रदेश की रीवा सीट से गुढ़ विधानसभा से भी 81 वर्षीय नागेंद्र सिंह को और मध्य प्रदेश में ही श्योपुर जिले की विजयपुर सीट से 79 साल के बाबूलाल मेवरा को टिकट दिया गया है। वहीं राजस्थान में अजमेर जिले की अजमेर उत्तर सीट से 75 साल के वासुदेव देवनानी को टिकट दिया गया है। वह पांचवी बार बीजेपी के उम्मीदवार होंगे वहीं इससे पहले गुजरात में भी ‘जिताऊ’ फार्मूल को ध्यान में रखते हुए कई टिकट दिए गए थे। इनमें से कई चुनाव भी जीत गए हैं।
70 की उम्र पार करने वाले यूपी के सात सांसदों के टिकट पर संकट मंडरा रहा है। इनमें संतोष गंगवार 76 वर्ष, बरेली के सांसद, रीता बहुगुणा जोशी, 75 वर्ष प्रयागराज की सांसद, हेमा मालिनी 76 वर्ष, मथुरा की सांसद, सत्यदेव पचौरी, 77 वर्ष, कानपुर के सांसद, वीके सिंह 73 वर्ष, गाजियाबाद के सांसद,अक्षयवर लाल गौड़, 77 वर्ष, बहराइच के सांसद और राजेंद्र अग्रवाल 73 वर्ष मेरठ के सांसद हैं। फार्मूला बदलने के बाद अब इन सांसदों ने राहत की सांस ली है। सूत्रों का कहना है कि अब इन लोकसभा सीटों पर जातीय, क्षेत्रीय सीटों के अलावा परफार्मेंस को फामूर्ला बनाया गया है।
बीजेपी ने 2019 में भी 12 सांसदों के टिकट काटे थे। अभी प्रारंभिक सर्वे में पराफार्मेंस और क्षेत्रीय जातीय समीकरण को लेकर कुछ सांसदों पर टिकट न मिलने की तलवार लटक रही है। इसमें उनकी क्षेत्र में कम लोकप्रियता को भी पैमाना बनाया जाएगा। बीजेपी में संगठन के कामों में निष्क्रिय रहने वाले और गतिविधियों में हिस्सा न लेने वाले सांसदों का भी टिकट काटने का मन बना लया है।
विवाद में रहने वाले सांसदों को भी प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा। पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी का नाम सबसे ऊपर है, वह संगठन की किसी गतिविधि में हिस्सा नहीं लेते हैं। इनके अलावा अकबरपुर के सांसद देवेंद्र सिंह भोले, हाथरस के राजवीर दिलेर, भदोही के रमेश चंद्र बिंद, सुल्तानपुर से मेनका गांधी के टिकट पर भी संकट है। संतकबीर नगर से प्रवीण निषाद का टिकट भी बदला जा सकता हैं।
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