India News (इंडिया न्यूज़), Uniform Civil Code, मुजफ्फरनगर: देश में समान नागरिक संहिता को लेकर बवाल मचा हुआ है। खासतौर पर मुस्लिम संगठनों की तरफ से इसे लेकर विरोध जताया जा रहा है। वहीं वहीं हिंदुस्तान की सबसे बड़ी इस्लामिक संस्था जमीयत उलेमा ए हिंद ने भी समान नागरिकता कानून का कड़ा विरोध करते हुए शुक्रवार के दिन योमे दुआ मनाया गया। इस मौके पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा मुजफ्फरनगर की सभी मस्जिदों पर लगाए बार कोड पर स्केन अपना विरोध जताया है।
नमाज से पहले मस्जिदों पर लगाए गए बारकोड
उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर की जहां जुमे की नमाज से पहले जनपद की सभी मस्जिदों पर जमीयत उलेमा ए हिंद द्वारा मस्जिदों के बाहर लगाए गए। बारकोड पर मस्जिद में नमाज अदा करने वाले नमाजियों ने बारकोड पर अपने मोबाइल से स्कैन कर समान नागरिकता कानून पर एतराज जताया है। प्रदेश जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रदेश सचिव कारी जाकिर हुसैन साहब ने यह बारकोड जमीयत उलेमा ए हिंद ने जारी किया है। इसके माध्यम से समाज के लोगों को जागरूक किया है। जगह-जगह बारकोड मस्जिद और मदरसों पर लगाया गया है। वह इसलिए जो संविधान विरोधी कानून सरकार लाने जा रही है। समान नागरिक संहिता कानून के नाम से हम उस कानून को रिजेक्ट करते हैं। यह कानून भारत के संविधान के खिलाफ हैं।
“UCC कानून का विरोध नहीं बल्कि एतराज कर रहे”
यह कानून देश की एकता और अखंडता को तोड़ने वाला कानून है। हर देश के अंदर अलग-अलग धर्म अलग-अलग समाज के लोग हैं। सभी का अलग-अलग कल्चर है सभी की अलग-अलग जुबान हैं। हर कुछ दूरी पर लोगों का अलग अलग अंदाज और नजरिया है। इसलिए कोई भी कानून जबरन तरीके से किसी पर थोपा नहीं जा सकता। इसलिए यह कानून देश हित के लिए अच्छा नहीं है। यह कानून तो डायरेक्ट शरीयत से छेड़छाड़ है। आदिवासियों के कानून इससे प्रभावित हो रहे हैं। एसटीएससी कानून भी से प्रभावित होगा। इस कानून के बनने से दलित भाइयों का आरक्षण भी खत्म हो जाएगा। इसलिए हम यह कहते हैं कि इस तरह का कानून जो किसी के जज्बात को ठेस पहुंचाता है। उस पर हमें ऐतराज है। हम इस कानून का विरोध नहीं बल्कि एतराज कर रहे हैं।
इस कानून का विरोध करती रहेगी जमीयत
जमीयत राष्ट्रीय हित में इस कानून का विरोध कर रही है और करती रहेगी। हम चाहते हैं कि ऐसा कोई कानून देश में लागू ना हो जिससे यहां रहने वाले लोगों के बीच में नफरतें पैदा हो। वही समान नागरिकता कानून को लेकर मस्जिद के बाहर नमाज अदा कर रहे। मुस्लिम धर्म के लोगों का कहना भी है कि यह कानून ना सिर्फ धर्म के खिलाफ है बल्कि शरीयत और इद्दत के खिलाफ भी है। मुस्लिम समाज के लोगों ने कहा, “हमें किसी संगठन या उलेमाओं ने ऐसी कोई चीज नहीं कही है कि आप सरकार या इस कानून का विरोध करें बल्कि यह कहा गया है कि आप जो नया कानून केंद्र सरकार बनाने जा रही है उस पर अपनी राय दें।”
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