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Ram Mandir will be ready 4 months before
इंडिया न्यूज़, अयोध्या। रामजन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर की भव्यता को अंतिम स्पर्श कब तक मिलेगा, इसकी कोई सीमा नहीं है, किंतु प्रस्तावित मंदिर के भूतल और रामलला के गर्भगृह का निर्माण दिसंबर 2023 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य के अनुरूप रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट एवं कार्यदायी संस्था एलएंडटी के विशेषज्ञ पूरी तीव्रता बरत रहे हैं। इस तीव्रता की अद्यतन स्थिति यह है कि दिसंबर 2023 से चार माह पूर्व ही यानी अगस्त 2023 तक राम मंदिर का भूतल और गर्भगृह निर्मित हो जाएगा तथा इसके बाद कभी भी शुभ मुहूर्त में रामलला की स्थापना की जा सकेगी।
आपको बतादें कि मंगलवार को ही संपन्न रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की बैठक में कार्यदायी संस्था के शीर्ष प्रतिनिधियों से मिला यह संकेत न केवल रामलला की निर्धारित समय सीमा के भीतर गर्भगृह में प्रतिष्ठापना, बल्कि इसके बाद प्रथम एवं द्वितीय तल के निर्माण की कार्ययोजना को भी उत्साहित करने वाली है। प्रस्तावित मंदिर 360 फीट लंबा, 235 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा है।
यह तीन तल का है। इसमें कुल 366 स्तंभ प्रयुक्त होंगे। अकेले भूतल पर ही लगने वाले स्तंभों की संख्या 160 होगी। जबकि प्रथम तल पर 132 और दूसरे तल पर 74 स्तंभ लगेंगे। अधिष्ठान की सतह से भूतल की ऊंचाई 20 फीट होगी। इन दिनों राम मंदिर का अधिष्ठान निर्मित हो रहा है। यह 21 फीट ऊंचा है और इसे सात चरणों में निर्मित किया जाना है।
वर्तमान में तीसरे-चौथे चरण का निर्माण चल रहा है। भले ही मंदिर निर्माण अभी सतह तक ही दृष्टिगत हो रहा है, किंतु एक हजार वर्ष की आयु वाले मंदिर के लिए सतह के नीचे भी काफी काम हो चुका है।
15 जनवरी 2021 से शुरू निर्माण के बाद से चार सौ गुणे तीन सौ वर्ग फीट के परिक्षेत्र में 45 से 50 फीट तक की गहराई विशेष तरीके से तैयार कंक्रीट मसाले को अति दृढ़ता से स्थापित कर मंदिर की नींव तैयार की गई है। यह नींव जाड़ा, गर्मी, बरसात की मार से पूरी तरह सुरक्षित रहे, इसके लिए नींव के ऊपर पांच फीट मोटी एक और परत ढाली गई है।
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय के अनुसार मंदिर निर्माण का 30 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और ऐसे में हिसाब लगाया जा रहा है कि अब तक जितनी श्रम शक्ति व्यय की गई है, उतनी और श्रम शक्ति से रामलला को नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा कहते हैं, शुरुआती गतिरोध से उबर कर मंदिर निर्माण जिस द्रुतगति से आगे बढ़ा है, उसके लिए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का प्रबंधन और कार्यदायी संस्था के अभियंताओं तथा श्रमिकों की भूमिका प्रशंसनीय है।
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