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संभल के 1978 के साम्प्रदायिक दंगों की फिर से होगी जांच, 47 साल बाद खुलेंगी नई परतें, एक हफ्ते का दिया समय

BY: Shagun Chaurasia • LAST UPDATED : January 9, 2025, 11:45 am IST
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संभल के 1978 के साम्प्रदायिक दंगों की फिर से होगी जांच, 47 साल बाद खुलेंगी नई परतें, एक हफ्ते का दिया समय

Sambhal 1978 Report

India News (इंडिया न्यूज), Sambhal 1978 Report: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 1978 में हुए साम्प्रदायिक दंगों की जांच को एक बार फिर से शुरू किया गया है। राज्य सरकार ने इस मामले में ताजे आदेश जारी किए हैं और अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। इस आदेश के बाद अब एक बार फिर से 47 साल पुरानी दंगों की फाइल खोली जाएगी और पुलिस एवं प्रशासन मिलकर इन दंगों के तथ्यों की जांच करेंगे।

विधान परिषद के सदस्य ने करी थी मांग

संभल के पुलिस अधीक्षक (एसपी) केके बिश्नोई ने 7 जनवरी को एक पत्र के जरिए जिला अधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया को सूचित किया कि यूपी विधान परिषद के सदस्य श्रीचंद्र शर्मा ने 1978 के दंगों की फिर से जांच की मांग की थी। इसके बाद उप सचिव गृह और पुलिस अधीक्षक (मानवाधिकार) की तरफ से आदेश आए, जिसके बाद इस मामले की पुनः जांच शुरू की गई है।

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लोगो के मौत का हुआ खुलासा

1978 में हुए दंगों में आधिकारिक रूप से 24 लोगों की मौत का आंकड़ा बताया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि असल में मृतकों की संख्या कहीं ज्यादा थी। इस घटना में कई लोग बेघर भी हुए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में बयान दिया था कि इस दंगे में 184 लोग मारे गए थे और कई लोग बेघर हो गए थे। ऐसे में अब जब 47 साल बाद फिर से इस मामले की जांच की जा रही है, तो यह सवाल उठता है कि क्या नए तथ्य सामने आएंगे?

पुलिस और प्रशासन मिलकर करेगी जांच

संभल के SP के पत्र के अनुसार, संयुक्त प्रशासनिक जांच के लिए जिला प्रशासन से किसी अधिकारी को नामित करने के लिए कहा गया है। पुलिस और प्रशासन मिलकर जांच करेंगे और एक सप्ताह में रिपोर्ट शासन को सौंप देंगे। रिपोर्ट में यह देखा जाएगा कि दंगों में वास्तविक रूप से कितने लोग मारे गए थे, और उन लोगों का क्या हुआ जिन्होंने इस घटना में अपनी जान गंवाई या घर खो दिया।

दंगे में शामिल कई लोगो के नाम अभी भी दबे

इसके साथ ही यह भी जांच होगी कि कुछ ऐसे लोग जिनके नाम या भूमिका इस दंगे में अब तक सामने नहीं आए, उन्हें भी उजागर किया जाए। यह घटना संभल की साम्प्रदायिक स्थिति को लेकर कई सवाल खड़ा करती है, और अब जब पुनः इस मामले की जांच हो रही है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि 47 साल पुरानी यह फाइल नए तथ्यों के साथ किस दिशा में जाती है।

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