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India News (इंडिया न्यूज़), UP Politics, लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में जुटी बीजेपी अपने गठबंधन एनडीए में आंध्र प्रदेश से लेकर बिहार तक सहयोगियों को जोड़ने में लगी है। इस कड़ी में रविवार को उत्तर प्रदेश के ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव समाज पार्टी का एनडीए में शामिल हो गई। राजभर साल 2017 के विधानसभा के चुनाव में भी एनडीए का हिस्सा थे हालांकि बाद में वह अलग हो गए। लेकिन सुभासपा की एनडीए में वापसी ऐसी नहीं हुए बल्कि एक रणनीति के तहत हुई है।
यूपी के स्थित पर नजर डाले तो अन्य क्षेत्रों में मुकाबले पूर्वांचल में बीजेपी को स्थिति थोड़ी कमजोर हैं। 2019 में बीजेपी पूर्वांचल में 6 लोकसभा की सीटें हार गई थी। इस बार पार्टी ने यूपी में 80 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा। राजभर के आने से बीजेपी पूर्वांचल में मजबूत होगी।
पूर्वांचल में 26 लोकसभा की सीटे है। 2019 में बीजेपी को अंबेडकरनगर, आजमगढ़, घोसी, गाजीपुर, लालगंज और जौनपुर पर हार का सामना का करना पड़ा था। आजमगढ़ से अखिलेश यादव ने चुनाव लड़ा था। बाद में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने दिनेश लाल यादव ने यह चुनाव जीत लिया। हांलाकि 2019 में सपा-बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इसका सबसे ज्यादा असर आजमगढ़ और वाराणसी मंडल में हुआ था। पूर्वांचल और अवध में राजभर वोटों की अच्छी संख्या है। इनके पार्टी के ज्यादा विधायक भी इसी क्षेत्र से आते है।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल में 6 सीटें पर बीजेपी की हार तो हुई थी वही दो सीटों पर काफी कम अंतर से जीत हुई थी। मछलीशहर और बलिया में बीजेपी को जीत हासिल करने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। मछली शहर सीट पर सिर्फ 181 वोटों का अंतर था, जबकि बलिया की सीट पर पार्टी 15519 वोटों जीती थी। जबकि सुभासपा के प्रत्याशी को मछली शहर में 11 हजार वोट और बलिया में 35900 वोट मिले थे।
पूर्वांचल के क्षेत्र में ओम प्रकाश राजभर का काफी असर असर है। वह अपनी जाति के वोट को ट्रांसफर करा सकते हैं। 2022 में जब राजभर सपा के साथ चुनाव लड़े थे, तब भी इसका असर दिखाई दिखाई दिया था। आजमगढ़ और गाजीपुर जिले की सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी हार गई थी, जबकि बलिया में बीजेपी को सात में से एक और जौनपुर में नौ में से दो सीटें मिली थीं।
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