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'इसकी जरूरत नहीं…', सनातन बोर्ड की मांग को जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने किया खारिज , वजह भी बताया

BY: Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : January 28, 2025, 9:13 pm IST
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'इसकी जरूरत नहीं…', सनातन बोर्ड की मांग को जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने किया खारिज , वजह भी बताया

India News (इंडिया न्यूज)Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में 27 जनवरी को धर्म संसद का आयोजन किया गया था, जिसमें देशभर के प्रमुख संतों और धर्मगुरुओं ने हिस्सा लिया था। इस धर्म संसद में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें से एक प्रमुख मांग सनातन बोर्ड के गठन की थी। धर्म संसद के दौरान पीएम मोदी से सनातन बोर्ड बनाने की मांग की गई। सुझाव दिया गया कि जिस तरह वक्फ बोर्ड मुस्लिम समुदाय के मामलों को देखता है, उसी तरह सनातन धर्म के मामलों के लिए भी एक बोर्ड बनाया जाना चाहिए। इस प्रस्ताव का कई संतों और धर्मगुरुओं ने समर्थन किया था। लेकिन अब जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इस मांग पर अलग रुख अपनाते हुए इसे सिरे से खारिज कर दिया है। आइए जानते हैं इस खबर को विस्तार से..

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धर्म संसद में सनातन बोर्ड की मांग

दरअसल प्रयागराज महाकुंभ के दौरान धर्म संसद में वक्फ बोर्ड की तरह सनातन बोर्ड बनाने की मांग की गई थी। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि जिस तरह वक्फ बोर्ड मुस्लिम धर्म से जुड़ा है, उसी तरह सनातन बोर्ड हिंदू धर्म के मामलों को देखेगा। धर्मगुरुओं ने इसे जरूरी कदम बताया और इस पर मसौदा तैयार करने पर सहमति जताई।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य का बयान

लेकिन जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इस प्रस्ताव के खिलाफ अपनी राय दी है। एक न्यूज चैनल से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि सनातन बोर्ड की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म अनादि काल से अपने तरीके से काम करता आ रहा है और इसके लिए किसी नए बोर्ड की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन धर्म को किसी बोर्ड के अधीन आने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह आत्मनिर्भर और सर्वमान्य तरीके से काम करता आ रहा है।

सनातन धर्म का पुराना इतिहास

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने यह भी स्पष्ट किया कि सनातन धर्म का इतिहास बहुत पुराना है और यह बिना किसी बोर्ड या सरकारी नियंत्रण के चलता आ रहा है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की नीतियां, परंपराएं और मान्यताएं पहले से ही स्थापित हैं, और उनकी रक्षा के लिए किसी नए बोर्ड की जरूरत नहीं है। धर्म संसद में उठाई गई सनातन बोर्ड की मांग अब विवादास्पद हो गई है, क्योंकि जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सनातन धर्म के लिए नया बोर्ड बनाया जाना चाहिए या मौजूदा प्रथाओं को बनाए रखना ही उचित होगा।

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