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India News (इंडिया न्यूज), UP Crime: उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में दिन प्रतिदिन बढ़ती अवैध अस्पतालों की संख्या और वहां पर मौजूद अनट्रेंड डॉक्टरों के इलाज से मौतों की संख्या में लगातार इजाफा हो है। श्रावस्ती में झोलाछाप डॉक्टरों ने प्रसव पीड़िता का ऐसा इलाज किया कि मां के पेट में बच्चे की मौत हो गई और पीड़िता महिला का 3 दिन तक इलाज करते रहे और परिवार वालों से पैसा ऐंठते रहे, लेकिन किसी को मां के पेट में नवजात शिशु के मरने की भनक तक नहीं लगने दी।
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लेकिन, जब मां के पेट में इन्फेक्शन होने लगा तो परिजनों ने महिला को सरकारी अस्पताल ले गए। जहां जांच के दौरान पता चला कि उसका बच्चा जो उसके पेट में पल रहा है उसकी मौत दो-तीन दिन पहले हो चुकी है और मां के पेट में इंफेक्शन फैल रहा हैं, जिससे उसकी भी जान जा सकती है। मामला श्रावस्ती जिले के गिलौला कस्बे में मौजूद संतोष पॉलीक्लिनिक से जुड़ा हुआ हैं, जिसे करीब 3 महीने पहले SDM एसडीएम इकौना ने अवैध कार्य में लिप्त डिलीवरी और DNC कराने के मामले में सील कर दिया था।
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लेकिन, साठ गांठ कर उसे कुछ समय बाद खोल दिया गया। जहां से यह चौंकाने वाला मामला सामने आया है, बहराइच जिले के प्यागपुर थाना क्षेत्र के सेवढ़ा गांव के रहने वाले पीड़ित धर्मेंद्र यादव अपनी पीड़ा को बताते हुए संतोष पॉलीक्लिनिक पर गंभीर आरोप लगाया कि उसकी पत्नी गर्भवती थी। उसके प्रसव का समय पूरा हो चुका था। वह अपनी पत्नी को गिलौला में मौजूद संतोष पॉलीक्लिनिक पर 30 दिसंबर को ले गया था। जहां पर मौजूद डॉक्टरों ने पत्नी का 5 दिन में नॉर्मल प्रसव कराने की बात कहीं थी।
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पीड़िता ने आगे बताया कि जिनके बहकावे में पीड़ित परिवार आ गया, जिसके बाद प्रसव पीड़िता का पालिक्लिनिक पर मौजूद डॉक्टरों द्वारा दवा इलाज शुरू कर दिया गया। जब उसकी पत्नी का 30 दिसंबर को संतोष पॉलीक्लिनिक पर मौजूद अनट्रेंड डॉक्टरों के द्वारा इलाज किया गया तो उसी समय उसकी पत्नी की पेट में बच्चे का मोमेंट होना खत्म हो गया था, लेकिन उसके बावजूद तीन दिनों तक संतोष पॉलीक्लिनिक पर मौजूद डॉक्टरों द्वारा उसका इलाज किया जा रहा था और इलाज के नाम पर थोड़ा-थोड़ा करके 25 हजार रूपये से ऊपर लिया गया।
पीड़ित पति ने आगे बताया कि जब 2 तारीख को उसकी पत्नी की हालात बिल्कुल खराब हो गई तो वह फिर संतोष पॉलीक्लिनिक पर अपनी पत्नी को लेकर पहुंचा और वहां पर मौजूद डॉक्टरों को हो रही समस्या के बारे में बताया, तो डॉक्टरों ने उसे गुमराह किया और उसकी पत्नी का फिर इलाज करने की बात कही तो पति को कुछ गड़बड़ लगा तो पति अपनी पत्नी का इलाज के लिए सीधा गिलौला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गया।
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जहां डॉक्टरों ने धर्मेंद्र यादव को बताया कि उसकी पत्नी के पेट में पल रहे नवजात शिशु की मौत ही चुकी है। उसकी पत्नी के पेट में इंफेक्शन फैल रहा है उसे तत्काल जिलाअस्पताल ले जाए और उसका इलाज वहां कराया जाए नहीं तो उसकी पत्नी को कुछ भी हो सकता है, जिसके बाद पीड़ित पति अपनी पत्नी को श्रावस्ती मुख्यालय स्थित जिलाअस्पताल ले गया। जहां पर उसकी पत्नी को मरी हुई बेटी पैदा हुई, जिसके बाद पत्नी की जान बच गई। पीड़ित पति धर्मराज यादव ने अपनी मरी हुई बच्ची को न्याय दिलाने के लिए मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज करा कर न्याय की गुहार लगाई है।
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अब बड़ा सवाल यह उठता है कि संतोष पॉलीक्लिनिक को अवैध पाते हुए पूर्व में इकौना के एसडीएम के द्वारा सील कर दिया गया था तो इस अस्पताल को दोबारा से कैसे खोला गया? किसके आदेश पर खोला गया? हालांकि इस पूरे मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर ने जांच कराकर कार्यवाई करने की बात कही है, लेकिन सवाल यह है कि ये जांच कब तक पूरी होगी और इस तरह के जिले में मौजूद सैकड़ों अस्पतालों पर जो प्रतिदिन किसी न किसी मरीज की जान से खिलवाड़ करते रहते है ऐसे अवैध अस्पतालों पर कब कार्रवाई होगी। अवैध अस्पतालों पर कार्रवाई न करने के आरोप में पूर्व में CMO निलंबित भी हो चुके है, लेकिन नए CMO भी अवैध अस्पतालों पर कार्रवाई करने से कतराते नजर आ रहे हैं।
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