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India News (इंडिया न्यूज), UP New Assembly: दिल्ली में संसद का नया भवन बनने के बाद अब यूपी में भी नया विधान भवन बनाने की तैयारी है। नए विधान भवन को कम से कम 200 एकड़ में बनाया जाना है। पहले इसे लखनऊ में लोकभवन के पीछे दारुलशफा में बनाने जाने का प्रस्ताव था। लेकिन रविवार को सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई एक मीटिंग में दारुलशफा में नए विधान भवन को बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी नहीं दी गई। सूत्रों का कहना है कि सीएम की मंशा है कि नई विधानसभा को बड़ा और भव्य बनाया जाए। इसके लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण, आवास विकास परिषद को जमीन तलाशने को कहा गया है। टारगेट है कि जब 2027 में नई सरकार बने तो नए विधानभवन में उसकी कार्यवाही चलायी जाए।
सूत्रों के मुताबिक रविवार को हुई बैठक में सीएम के सामने नए विधानभवन का प्रपोजल रखा गया। इस प्रजेंटेशन को देखने के लिए मुख्य सचिव डीएस मिश्रा, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद के साथ ही लोक निर्माण और राज्य संपत्ति, आवास विकास परिषद और एलडीए से जुड़े अधिकारी मौजूद थे। चर्चा की गई कि अभी मौजूदा विधानसभा, बगल में मौजूद बापू भवन और दारुलशफा, लोकभवन को मिलाकर एक बड़ा विधान भवन बना लिया जाए। पिछले दिनों दारुलशफा में प्रस्तावित निर्माण स्थल के पास मिट़्टी की जांच भी करायी गई थी।
हालांकि इस विस्तार को लेकर उच्च स्तर पर बहुत सहमति नहीं दिखी। इस दौरान चर्चा हुई कि अगर यहां नया भवन बनेगा तो जाम लग सकता है। ट्रैफिक जाम समेत अन्य समस्याओं जिसके समाधान की तलाश के लिए यहां से विधानभवन को शिफ्ट किए जाने की कवायद चल रही है, मौजूदा जगह पर उसके विस्तार से इसका हल नहीं निकलने वाला है। ऐसे में एलडीए को चार से पांच नई जगहें तलाशने के लिए कहा गया है।
बीती मार्च में विधान सभा सत्र के दौरान विधाससभाध्यक्ष सतीश महाना ने भी नए विधानभवन का निर्माण कराने की घोषणा की थी। सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने भी कहा था कि यूपी का नया विधानभवन बनेगा। इसकी संभावना तलाशने के लिए 50 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित किया गया था। इस दौरान यह भी चर्चा हुई कि 2027 तक यह विधानभवन बनाकर तैयार कर लिया जाए।
नरही क्षेत्र में मौजूद भी चिड़ियाघर को भी शिफ्ट किया जा रहा है। अब संभावना जतायी जा रही है कि चिड़ियाघर और उसके आसपास की जमीन को मिलाकर यहां भी नए विधान भवन का प्रपोजल तैयार किया जा सकता है। विधान भवन बनाने की कोशिश नई नहीं है। इससे पहले साल 2019 में सीजी सिटी में भी नए विधानभवन और सचिवालय के लिए करीब 150 एकड़ जमीन की जरूरत जताते हुए प्रस्ताव मांगा जा चुका है। उस वक्त सीजी सिटी में लखनऊ मेट्रो के लिए आरक्षित जमीन को इसके लिए देने की चर्चा शुरू हुई थी हालांकि बाद में यह प्रपोजल परवान नहीं चढ़ सका।
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