India News (इंडिया न्यूज),UP News: उत्तर प्रदेश में बीएसपी के अकेले चुनाव लड़ने के ऐलान से प्रदेश में बीजेपी के खिलाफ एक प्रत्याशी उतारने की मुहिम को झटका लगा है। पर अब सपा इंडिया गठबंधन में सीट तय करने में निर्णायक भूमिका में होगी और अब तक मायावती कार्ड खेल रही कांग्रेस पर दबाव भी बढ़ेगा। वही सपा शुरू से ही इंडिया गठबंधन में बीएसपी के साथ आने को लेकर उत्साहित नहीं थी, वही अखिलेश यादव ने बीएसपी पर भरोसे का सवाल उठाया था। और संकेत दिया कि बीएसपी चुनाव बाद बीजेपी के साथ जा सकती है।

मुख्य धुरी वाली भूमिका नहीं

सपा को आशंका थी कि बीएसपी के आने से एक ओर उसकी गठबंधन में मुख्य धुरी वाली भूमिका नहीं रहेगी। साथ ही बसपा को 80 सीटों में बड़ा हिस्सा देना पड़ता। और यूं कहें कि सपा को अपने बराबर ही सीटें देनी पड़तीं। असल में कांग्रेस बीएसपी की इंट्री के जरिए सपा पर दबाव बनाने की जुगत में थी। सपा और बीएसपी दोनों को लगता है कि 2019 के आम चुनाव में सहयोगी दल ने अपना वोट ट्रांसफर नहीं कराया। हालांकि कांग्रेस को बसपा के आने से फायदा होता। एक तो उसे सपा और बीएसपी दोनों मजबूत पार्टियों का वोट मिलता और दूसरे वह सीटों को लेकर सपा पर दबाव भी बना सकती थी।

अब कांग्रेस की भी दावेदारी

पिछले विधानसभा चुनाव में सपा को एकतरफा मुस्लिम वोट मिला लेकिन अब इस पर कांग्रेस की भी दावेदारी है और बीएसपी भी कुछ सीटों पर इस समुदाय में अभी भी असर रखती हैं। माना जा रहा है कि मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर अगर बीएसपी ने मुस्लिम प्रत्याशी खड़े किए तो सपा की एक मुश्त मुस्लिम वोट पाने के अरमानों पर पानी फिर सकता है।

  • बीएसपी ने अखिलेश यादव को बताया था अपरिपक्व नेता
  • अखिलेश ने बसपा को बताया था अविश्वसनीय
  • मायावती ने बताया सपा को पिछड़ा दलित विरोधी
  • सपा ने लगाया बीजेपी से मिलीभगत का आरोप

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