India News UP(इंडिया न्यूज),UP Police News: उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के चयन के लिए एक नई व्यवस्था की है। जिसके तहत अब यूपी सरकार को डीजीपी के नामों के चयन के लिए यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के पास पैनल नहीं भेजना पड़ेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट बैठक में इस बदलाव को मंजूरी दे दी गई है।
अब तक, सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत डीजीपी का चयन करने के लिए राज्य सरकारों को यूपीएससी को तीन वरिष्ठतम अधिकारियों के नाम भेजने होते थे। यूपीएससी उस पैनल से किसी एक अधिकारी के नाम को डीजीपी के पद के लिए राज्य को सुझाता था। मगर अब यूपी सरकार ने इस नियम को बदलकर डीजीपी का चयन स्वयं करने का निर्णय लिया है।
डीजीपी के चयन लिए बनाई गई विशेष कमेटी
नए नियमों के अनुसार, डीजीपी के चयन के लिए एक विशेष कमेटी बनाई जाएगी, जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज करेंगे। इस कमेटी में यूपी के मुख्य सचिव, यूपीएससी द्वारा नामित एक सदस्य, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष (या उनकी ओर से नामित कोई सदस्य), अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव गृह विभाग, और एक रिटायर्ड डीजीपी शामिल होंगे।
इस नियमावली के तहत, डीजीपी पद के लिए वह अधिकारी पात्र होंगे, जिनकी सेवा अवधि में कम से कम 6 महीने बचे हों। डीजीपी के चयन के बाद उनका कार्यकाल दो साल के लिए निश्चित किया जाएगा। यदि तैनाती के समय उनकी सेवा अवधि केवल छह माह की ही रह जाती है, तो उन्हें दो साल की अवधि पूरी करने तक सेवा में रखा जाएगा।
इस नई व्यवस्था के तहत, प्रशांत कुमार को यूपी का पूर्णकालिक डीजीपी बनाए जाने की संभावना है, और उन्हें दो साल का निश्चित कार्यकाल मिल सकता है। कैबिनेट द्वारा मंजूरी के बाद, इस नए नियम से यूपी में डीजीपी का चयन राज्य सरकार द्वारा खुद किए जाने की प्रक्रिया और भी सरल हो जाएगी।
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