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India News(इंडिया न्यूज)Mahakumbh 2025: नागा साधु भारत की प्राचीन सनातन परंपरा का हिस्सा हैं और अखाड़ों से जुड़े तपस्वी साधु हैं। कुंभ मेले के दौरान ये साधु बड़ी संख्या में नजर आते हैं और श्रद्धालुओं के लिए खास आकर्षण का केंद्र होते हैं। हालांकि कुंभ खत्म होने के बाद ये साधु आम जिंदगी में नजर नहीं आते। सवाल उठता है कि कुंभ से पहले और बाद में नागा साधु कहां रहते हैं?
आपको बता दें कि नागा साधु ज़्यादातर समय अपने-अपने अखाड़ों में रहते हैं। देश में कई अखाड़े हैं, जो इन साधुओं के निवास स्थान हैं। ये अखाड़े देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं, जैसे हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक। नागा साधु एकांत में रहना पसंद करते हैं। वे अक्सर पहाड़ों, जंगलों और गुफाओं जैसी शांत और एकांत जगहों पर ध्यान और साधना में समय बिताते हैं।
इसके साथ ही नागा साधु स्थायी रूप से एक जगह नहीं रहते हैं। वे साधुओं की तरह भिक्षा पर निर्भर रहते हुए विभिन्न धार्मिक स्थलों और तीर्थों पर घूमते रहते हैं। नागा साधु अपना जीवन ध्यान, योग और धर्म प्रचार में लगाते हैं। वे कठोर तप और साधना के लिए समय निकालते हैं। नागा साधु सांसारिक मोह-माया से दूर रहने का व्रत लेते हैं। उनका समाज से ज़्यादा संपर्क नहीं होता, इसलिए उनकी मौजूदगी कुंभ जैसे बड़े आयोजनों तक ही सीमित रहती है।
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