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India News (इंडिया न्यूज), Municipal Council: उत्तराखंड के रामनगर नगर पालिका परिषद की राजनीतिक इतिहास में भाजपा अब तक अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज करने में असफल रही है। कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा इस सीट पर हमेशा बना रहा है। पिछले 35 वर्षों में चार बार निर्दलीय और तीन बार कांग्रेस के उम्मीदवार अध्यक्ष पद पर काबिज हुए।
रामनगर नगर पालिका की स्थापना 1957 में हुई थी। उस समय सभासद अपने वोट से अध्यक्ष चुनते थे। कांग्रेस का दबदबा शुरुआती वर्षों में बना रहा। 1957 में प्रेम बल्लभ बेलवाल पहले अध्यक्ष बने। इसके बाद 1962 में रेवादत्त पड़लिया, 1967 में प्यारेलाल गलबलिया, और 1972 में रामकुमार गलबलिया अध्यक्ष बने। 1974 में रामकुमार गलबलिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के बाद देवीदत्त छिम्वाल ने अध्यक्ष पद संभाला।
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1989 में पहली बार आम जनता द्वारा सीधे अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ। मोहम्मद अकरम निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर अध्यक्ष बने। इसके बाद 1997 में भगीरथ लाल चौधरी और 2003 में उनकी पत्नी उर्मिला चौधरी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। 2008 में फिर से मोहम्मद अकरम ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। 2013 और 2018 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर अध्यक्ष पद संभाला।
भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज करने के कई प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। 2013 में भाजपा ने भगीरथ लाल चौधरी को उतारा, लेकिन वह हार गए। 2018 में ओबीसी सीट होने पर रुचि गिरि को मैदान में उतारा गया, लेकिन वह भी दूसरे स्थान पर रहीं। 2024 में नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए सीट सामान्य हो गई है। भाजपा सहित सभी दल इस बार नए दावेदारों को लेकर रणनीति बना रहे हैं। भाजपा के लिए यह एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि पिछले 35 वर्षों में पार्टी इस सीट पर कब्जा नहीं जमा पाई है।
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