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India News(इंडिया न्यूज) About hill herbs , latest news of Bageshwar , herbs of Munsiyari , Local 18 , where is the herb market held in Uttarayan fair , where to buy herbs : उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में उगाई जाने वाली हिमालयी जड़ी-बूटियां इस बार भी बागेश्वर के ऐतिहासिक उत्तरायणी मेले में आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। हर साल की तरह इस बार भी मुनस्यारी, दारमा घाटी, धारचूला और जोहार जैसे क्षेत्रों के व्यापारी अपनी दुर्लभ और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का खजाना लेकर पहुंचे हैं।
सरस मार्केट में जड़ी-बूटियों की धूम
बागेश्वर के सरस मार्केट में लगे इस विशेष जड़ी-बूटी बाजार में भोज पत्र, रतनजोत, जंबू, गंदरैणी, कुटकी, डोलू, मलेठी, अतीस, और सालम पंजा जैसी कीमती जड़ी-बूटियां बिक रही हैं। इनकी तासीर और औषधीय गुणों की वजह से दूर-दूर से लोग इन्हें खरीदने आ रहे हैं।
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50 साल पुरानी परंपरा का हिस्सा
मुनस्यारी से आए व्यापारी चैत सिंह ने बताया कि उनका परिवार 50 साल से इस मेले में भाग लेता आ रहा है। हिमालयी इलाकों में उगाई जाने वाली जड़ी-बूटियां सदियों से परंपरागत मेलों के जरिए देशभर में पहुंचती हैं। चैत सिंह बताते हैं कि रतनजोत और जंबू जैसे मसाले न सिर्फ स्वाद में बेमिसाल हैं, बल्कि दवाइयों की तरह भी काम करते हैं।
स्वास्थ्य का खजाना
दारमा घाटी के व्यापारी किशन सिंह बोनाल ने कहा, “हमारी जड़ी-बूटियां बीमारियों के इलाज में रामबाण हैं। कुटकी बुखार और पीलिया में, मलेठी खांसी में, अतीस पेट दर्द में, और सालम पंजा कमजोरी में बेहद फायदेमंद है।” उनका कहना है कि बढ़ती जागरूकता और बाजार की मांग के कारण इन जड़ी-बूटियों का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है।
बढ़ता बाजार, बढ़ती मांग
उत्तरायणी मेले में हिमालय की जड़ी-बूटियां सिर्फ औषधि नहीं, बल्कि पारंपरिक ज्ञान और प्राकृतिक चिकित्सा का प्रतीक हैं। इनकी बढ़ती मांग यह साबित करती है कि लोग अब फिर से आयुर्वेद और प्राकृतिक उपचार की ओर रुख कर रहे हैं। उत्तरायणी मेला सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और स्वास्थ्य का संगम है।
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