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जालोर में ‘डिजिटल पहरा’: बहू-बेटियों के मोबाइल पर पंचायत का बैन, क्या ये है 21वीं सदी का राजस्थान?

Written By: Aksha Choudhary
Last Updated: December 23, 2025 15:53:42 IST

Women Smartphone Ban Rajasthan: राजस्थान के जालोर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पंचायत ने महिलाओं और बच्चियों को लेकर एक मनमाना और विवादित फैसला सुना दिया है, जिले के 15 गांवों में 26 जनवरी से बहू-बेटियों के कैमरे वाले मोबाइल फोन इस्तेमाल करने पर पूरी तरह रोक लगाने का ऐलान किया गया है, पंचायत के इस फैसले के मुताबिक अब न सिर्फ विवाहित महिलाएं बल्कि स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली बच्चियां भी घर से बाहर किसी समारोह, कार्यक्रम या रोजमर्रा के काम के दौरान स्मार्टफोन या कैमरे वाला मोबाइल फोन अपने साथ नहीं ले जा सकेंगी, बताया जा रहा है कि पंचायत का तर्क है कि मोबाइल फोन की वजह से सामाजिक मर्यादाएं प्रभावित हो रही हैं, लेकिन इस फैसले ने महिला अधिकारों और शिक्षा से जुड़े सवाल खड़े कर दिए हैं, खास बात यह है कि पढ़ाई के लिए मोबाइल पर निर्भर बच्चियों पर भी यह पाबंदी लागू होगी, जिससे उनकी शिक्षा और डिजिटल सीखने की प्रक्रिया पर सीधा असर पड़ सकता है.

Women Smartphone Ban Rajasthan: राजस्थान के जालोर जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पंचायत ने महिलाओं और बच्चियों को लेकर एक मनमाना और विवादित फैसला सुना दिया है, जिले के 15 गांवों में 26 जनवरी से बहू-बेटियों के कैमरे वाले मोबाइल फोन इस्तेमाल करने पर पूरी तरह रोक लगाने का ऐलान किया गया है, पंचायत के इस फैसले के मुताबिक अब न सिर्फ विवाहित महिलाएं बल्कि स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली बच्चियां भी घर से बाहर किसी समारोह, कार्यक्रम या रोजमर्रा के काम के दौरान स्मार्टफोन या कैमरे वाला मोबाइल फोन अपने साथ नहीं ले जा सकेंगी, बताया जा रहा है कि पंचायत का तर्क है कि मोबाइल फोन की वजह से सामाजिक मर्यादाएं प्रभावित हो रही हैं, लेकिन इस फैसले ने महिला अधिकारों और शिक्षा से जुड़े सवाल खड़े कर दिए हैं, खास बात यह है कि पढ़ाई के लिए मोबाइल पर निर्भर बच्चियों पर भी यह पाबंदी लागू होगी, जिससे उनकी शिक्षा और डिजिटल सीखने की प्रक्रिया पर सीधा असर पड़ सकता है, पंचायत के इस निर्णय को लेकर क्षेत्र में चर्चा तेज हो गई है और कई लोग इसे महिलाओं की स्वतंत्रता और आधुनिक जरूरतों के खिलाफ बता रहे हैं, वहीं कुछ ग्रामीण इसे सामाजिक अनुशासन से जोड़कर देख रहे हैं, यह फैसला ऐसे समय में आया है जब सरकार और समाज दोनों ही डिजिटल शिक्षा और महिला सशक्तिकरण पर जोर दे रहे हैं, ऐसे में जालोर की यह पंचायत व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है.

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