Banking: आजकल ज्यादातर लोगों के पास एक से अधिक बैंक खाते होते हैं, जिन्हें नौकरी बदलने, शहर बदलने या बढ़ते चार्ज के कारण बंद करने की जरूरत पड़ती रहती है. दिखने में यह काम आसान लगता है, लेकिन नियम न समझने पर बंद करते समय भी अतिरिक्त शुल्क काटा जा सकता है.
बैंक अकाउंट बंद करने से पहले निश्चित प्रक्रिया होती है, जिसे समझना जरूरी है.
मिनिमम बैलेंस और पेंडिंग चार्ज
हर बैंक सेविंग या करेंट अकाउंट के लिए एक न्यूनतम बैलेंस तय करता है. यदि अकाउंट बंद करते समय यह बैलेंस मेंटेन नहीं था, तो बैंक बकाया मिनिमम बैलेंस पेनल्टी या अन्य पेंडिंग चार्ज क्लोजर के समय समायोजित कर सकता है.
कार्ड से जुड़े शुल्क और फीस
अकाउंट से लिंक डेबिट या क्रेडिट कार्ड पर वार्षिक शुल्क, कार्ड चार्ज या अन्य बकाया फीस हो सकती है. कई बैंक अकाउंट बंद करने से पहले इन्हें काटते हैं, इसलिए क्लोजर रिक्वेस्ट देने से पहले लिखित में सभी बकाया शुल्क की सूची लेना समझदारी है, जिसे आप किसी भी तरह का शुल्क कटने पर साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं.
ऑटो-डेबिट, EMI और ECS अपडेट करना
बिजली बिल, OTT सब्सक्रिप्शन, इंश्योरेंस प्रीमियम, EMI या अन्य मासिक भुगतान अगर बंद करने वाले खाते से ऑटो-डेबिट हैं, तो अकाउंट बंद करने से पहले इन्हें या तो दूसरे खाते में शिफ्ट करना या बंद करना जरूरी है. ऐसा न करने पर ट्रांजैक्शन फेल होने के साथ पेनल्टी या रिटर्न चार्ज लग सकते हैं.
निगेटिव बैलेंस और पेनल्टी
कभी-कभी चार्ज या पेनल्टी की वजह से अकाउंट में निगेटिव बैलेंस बन जाता है. अगर यह बकाया साफ किए बिना आप अकाउंट क्लोजर का अनुरोध करते हैं, तो बैंक अंतिम चरण में वही रकम काटकर समायोजित कर देगा.
पैसा निकालना या ट्रांसफर करना
अकाउंट बंद होने के बाद उसमें रखी रकम निकालना जटिल हो सकता है और अलग प्रक्रिया अपनानी पड़ती है क्योंकि अकाउंट बंद होने के बाद उसमें रखी धनराशि निकालने की अलग प्रक्रिया अपनानी पड़ती है. इसलिए बैंक खाता बंद करने से पहले उपलब्ध बैलेंस या तो कैश में निकाल लें या किसी अन्य सक्रिय अकाउंट में ट्रांसफर कर लें, जिससे आपका पूरा अमाउंट सुरक्षित हो जाये.
सुरक्षित तरीके से अकाउंट बंद कैसे करें?
अकाउंट बंद करने से पहले मिनिमम बैलेंस की स्थिति, पेंडिंग फीस, कार्ड चार्ज, ऑटो-डेबिट निर्देश और निगेटिव बैलेंस की पूरी जांच कर लें. चरणबद्ध प्रक्रिया अपनाने से न सिर्फ अनचाहे पेनल्टी चार्ज से बचा जा सकता है, बल्कि क्लोजर के बाद किसी तरह की कानूनी या तकनीकी परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता है.