Russia Continues To Wreak Havoc On Ukraine : जिन वैक्यूम बमों से रूस यूक्रेन में मचा रहा तबाही, जानिए कितने घातक हैं? - India News
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Russia Continues To Wreak Havoc On Ukraine : जिन वैक्यूम बमों से रूस यूक्रेन में मचा रहा तबाही, जानिए कितने घातक हैं?

Suman Tiwari • LAST UPDATED : March 12, 2022, 11:39 am IST
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Russia Continues To Wreak Havoc On Ukraine : जिन वैक्यूम बमों से रूस यूक्रेन में मचा रहा तबाही, जानिए कितने घातक हैं?

Russia Continues To Wreak Havoc On Ukraine

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Russia Continues To Wreak Havoc On Ukraine: 24 फरवरी 2022 से शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध आज 17वें दिन में प्रवेश कर गया। बताया जाता है कि यह 2014 में शुरू हुए रूस-यूक्रेनी युद्ध की नाटकीय वृद्धि को भी चिह्नित करता है। वहीं ब्रिटेन रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि रूस ने यूक्रेन में वैक्यूम बमों (acuum Weapons Russia) का प्रयोग करना शुरू कर दिया है जिससे आम जनता को भी खतरा पैदा हो गया है। इससे पुतिन के खिलाफ वॉर क्राइम के लिए केस भी चलाया जा सकता है। तो आइए जानते हैं वैक्यूम बम (Vacuum Weapon) क्या है। आम बमों से ये कितना है घातक। इस बम के इस्तेमाल से क्या पुतिन के खिलाफ चल सकता है केस।

क्या है वैक्यूम बम?

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वैक्यूम बम या थमोर्बेरिक बम को दुनिया के सबसे खतरनाक गैर-परमाणु बमों में गिना जाता है। (Vacuum In Nuclear Weapon) वैक्यूम बम वातावरण की हवा से आक्सीजन को सोखकर एक हाई टेंपरेचर ब्लास्ट करता है। वैक्यूम बम से विस्फोटक एक बहुत बड़े इलाके में फैल जाता है ( Weapons Work In Vacuum) और जब इससे विस्फोट होता है, तो एक ब्लास्ट वेव पैदा होती है जो आम विस्फोटकों की तुलना में ज्यादा देर तक रहती है। वैक्यूम या थमोर्बेरिक बम इंसान के फेफड़ों से हवा को चूस लेने में सक्षम होते हैं, जिससे उसमें लिक्विड भर जाता है, या इसके विस्फोट से व्यक्ति के फेफड़े फट सकते हैं। वैक्यूम बम के धमाके से लंबे समय तक टिकने वाली ब्लास्ट वेव पैदा होती हैं, जो इंसान के शरीर को पल भर में भाप बना सकती हैं।

कैसा करता है काम?  (Russia Continues To Wreak Havoc On Ukraine)

  • थमोर्बेरिक बम को वैक्यूम बम या एयरोसोल बम या फ्यूल एयर एक्सप्लोसिव भी कहते हैं। वैक्यूम बम में दो अलग-अलग एक्सप्लोसिव चार्ज के साथ एक फ्यूल कंटेनर होता है। इस बम को रॉकेट के रूप में लॉन्च किया जा सकता है या विमान से बम के रूप में गिराया जा सकता है। जब यह अपने लक्ष्य से टकराता है, तो पहला एक्सप्लोसिव चार्ज कंटेनर को खोलता है और बड़े पैमाने पर फ्यूल मिक्स्चर को बादल के रूप में बिखेर देता है।
  • वहीं एक दूसरा चार्ज इस बादल को सुलगा देता है, जिससे एक बड़ा आग का गोला बनता है और एक जोरदार ब्लास्ट वेव निकलती है और एक वैक्यूम बन जाता है, जो आसपास के आक्सीजन को चूस लेता है। आम विस्फोटकों की तुलना में थमोर्बैरिक बम कई गुना ज्यादा एनर्जी और शॉक वेव पैदा करते हैं। थमोर्बेरिक बम का पानी के अंदर, ज्यादा ऊंचाई और प्रतिकूल मौसम में यूज नहीं किया जा सकता है। थमोर्बेरिक बम या हथियार मजबूत इमारतों को नष्ट कर सकते हैं, लोगों को मार सकते हैं या घायल कर सकते हैं।

क्या रूस वैक्यूम बम का कर रहा प्रयोग?

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  • थमोर्बेरिक हथियार बहुत ही विवादास्पद माने जाते हैं। क्योंकि ये सेम साइज के पारंपरिक विस्फोटकों की तुलना में कहीं अधिकर खतरनाक होते हैं और अपने धमाके के आसपास के इलाके में ज्यादा तबाही मचाते हैं। अमेरिका में यूक्रेन के राजदूत भी यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस के इन खतरनाक हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगा चुके हैं।
  • बता दें कि ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय का कहना है कि रूस ने माना है कि वह यूक्रेन के खिलाफ वैक्यूम बम यानी थमोर्बेरिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है। हालांकि, रूस ने खुद अभी इसके इस्तेमाल की पुष्टि नहीं की है। ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रूसी सेना यूक्रेन में जबर्दस्त विस्फोट करने वाले थमोर्बेरिक रॉकेट्स या वैक्यूम बम को दागने के लिए टीओएस-1ए वेपन सिस्टम का इस्तेमाल कर रही है।

वैक्यूम बम का इस्तेमाल किन देशों में हुआ?  (Russia Continues To Wreak Havoc On Ukraine)

  • इन हथियारों का सबसे पहले इस्तेमाल दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने किया था। 1960 के दशक में अमेरिका ने वियतनाम के खिलाफ इनका इस्तेमाल किया था। आधुनिक थमोर्बैरिक हथियारों का विकास सोवियत संघ और अमेरिका ने 1960 के दशक में ही शुरू कर दिया था। अमेरिका ने 2002 में ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए अफगानिस्तान में इसका यूज किया था। 2017 में भी अमेरिका ने आईएसआईएस के खिलाफ अफगानिस्तान में इन बमों को गिराया था।  (Russia Continues To Wreak Havoc On Ukraine)
  • 1999 में रूस ने चेचेन्या के खिलाफ थमोर्बेरिक बम का इस्तेमाल किया था। वहीं रूस पर 2016 में सीरिया में भी इनके इस्तेमाल का आरोप है। अब 2022 में यूक्रेन में भी रूस पर इनके यूज का आरोप है। रूस का फादर आफ आल बॉम्ब और अमेरिका का मदर आफ आल बॉम्ब थमोर्बेरिक हथियारों का सबसे घातक वर्जन हैं। अमेरिका ने 2003 में मदर आफ आल बॉम्ब, जबकि रूस ने 2007 में फादर आफ आल बॉम्ब का पहली बार परीक्षण किया था। इन बमों का इस्तेमाल किलेबंदी, सुरंगों, बंकरों, गुफाओं को तबाह करने में होता है।

युद्ध में वैक्यूम बम के यूज का नियम क्या?

बताया जाता है कि वैक्यूम या थमोर्बेरिक बमों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं है। हालांकि, अगर कोई देश इनका इस्तेमाल आम नागरिकों, रिहायशी इलाकों, स्कूलों या अस्पतालों को निशाना बनाने के लिए करता है तो उसके खिलाफ हेग कन्वेंशन 1899 और 1907 के तहत वॉर क्राइम यानी युद्ध अपराध का मुकदमा चलाया जा सकता है।

क्या पुतिन के खिलाफ चल सकता है केस?  (Russia Continues To Wreak Havoc On Ukraine)

  • इराक के तानाशाह रहे सद्दाम हुसैन पर 2003 में मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार के लिए वॉर क्राइम का केस चलाया गया था। सद्दाम के खिलाफ ये वॉर क्राइम का केस 80 और 90 के दशक में कुर्दों और शियाओं के खिलाफ हिंसक अपराधों के लिए चलाया गया था। सद्दाम को वॉर क्राइम का दोषी ठहराते हुए दिसंबर 2006 में फांसी दे दी गई थी।
  • अब यूक्रेन रूस पर वॉर क्राइम करने के आरोप लगा रहा है। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यूक्रेन में रूस के कथित वॉर क्राइम की जांच शुरू कर चुका है। वहीं यूक्रेन का आरोप है कि रूस ने उसके आम जनता, अस्पतालों और रिहाइशी इलाकों को निशाना बनाते हुए वॉर क्राइम किया है।
  • यूक्रेन का कहना है कि नौ मार्च को रूस ने मारियुपोल में एक अस्पताल पर एयर स्ट्राइक करते हुए मैटरनिटी वॉर्ड और बच्चों के वॉर्ड को नष्ट कर दिया। इस हमले में एक बच्चे सहित तीन लोगों की मौत हो गई जबकि 17 स्टाफ और मरीज घायल हो गए। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने रूस के इस हमले को वॉर क्राइम करार दिया।
  • तीन मार्च को भी यूक्रेन ने रूस के हमले में जाइटॉमिर में एक मैटरनिटी अस्पताल के नष्ट होने का दावा किया था। रूस पर यूक्रेन के भागते हुए नागरिकों को भी निशाना बनाने के आरोप लगे हैं। साथ ही रूस पर खार्कीव शहर में नागरिक इलाकों पर वैक्यूम बम इस्तेमाल करने का भी आरोप है। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के खिलाफ यूक्रेन में कथित वॉर क्राइम की जांच शुरू कर दी है।
  • इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का कहना है कि यूक्रेन में वॉर क्राइम की जांच के लिए उसे 39 देशों की सहमति मिली है। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट 2013 से यूक्रेन में रूस द्वारा किए जा रहे कथित वॉर क्राइम के आरोपों की जांच करेगा।
    रूस ने 2014 में यूक्रेन का हिस्सा रहे क्रीमिया पर कब्जा किया था और उसके दो शहरों लुहान्सक और डोनेट्स्क में रूसी समर्थित सरकारें बनवा दी थीं। रूस पर तभी से यूक्रेन में वॉर क्राइम करने के आरोप लगते रहे हैं।

आईसीसी व आईसीजे का क्या है ?

  • दुनिया में दो इंटरनेशनल कोर्ट हैं- इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी आईसीसी और इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस यानी आईसीजे।
  • इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट: यानी आईसीसी की स्थापना 1998 में हुई थी। इसका कानूनी आधार रोम स्टैचूट या अधिनियम है। कहते हैं कि आईसीसी चार प्रमुख अपराधों के लिए जिम्मेदारी तय करता है। जैसे कि नरसंहार, वार क्राइम, मानवता के खिलाफ अपराध और आक्रामकता का अपराध। आईसीसी का काम इंटरनेशनल क्रिमिनल जस्टिस के जरिए अपराधियों का सजा देना है। आईसीसी के 123 सदस्य देश हैं। रूस और यूक्रेन दोनों इसके सदस्य नहीं है।
  • इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस: यानी आईसीजे यूएन का प्रमुख न्यायिक अंग है। इसकी स्थापना 1945 में हुई थी। इसका मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में है। आईसीजे के जजों को यूएन की आम सभा और सुरक्षा परिषए चुनती है। इसके अधिकार क्षेत्र के दायरे में परी दुनिया आती है। इसके 193 सदस्य हैं। आईसीजे का काम दो देशों के बीच विवाद को निपटाना होता है। आईसीजे के पैनल में 15 जज होते हैं। जो 9 साल के लिए चुने जाते हैं।

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आखिर वॉर अपराध क्या है?

  • यूनाइटेड नेशन अनुसार 20वीं सदी की शुरूआत में युद्ध के नियमों को बनाया गया था। इन नियमों को हेग कन्वेंशन 1899 और 1907 और 1864 से 1949 के दौरान जिनेवा कन्वेंशन के तहत हुई चार संधियों से तय किया गया था। हेग कन्वेंशन जहां युद्ध के समय कुछ घातक हथियारों जैसे एंटी पर्सनेल लैंडमाइंस और केमिकल या बॉयोलॉजिकल वेपंस आदि के इस्तेमाल पर रोक लगाता है, तो वहीं जिनेवा कन्वेंशन युद्ध के दौरान किए जाने वाले वॉर क्राइम के नियम निर्धारित करता है।
  • जैसा कि बताया जाता है कि युद्ध के कुछ नियम होते हैं, इन नियमों को जिनेवा कन्वेंशन, हेग कन्वेंशन और अन्य अंतरराष्ट्रीय कानूनों और समझौतों के तहत बनाया गया है। वॉर क्राइम युद्ध के नियमों का उल्लंघन है, जिसके तहत जानबूझकर नागरिकों को मारना या जानबूझकर युद्ध बंदियों को मारना, यातना देना, बंधक बनाना, नागरिक संपत्ति को अनावश्यक रूप से नष्ट करना, युद्ध के दौरान यौन हिंसा, लूटपाट, सेना में बच्चों की भर्ती, नरसंहार आदि जैसे अपराध शामिल हैं।

क्या आईसीसी दिला सकता है पुतिन को सजा?

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  • इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट उन युद्ध अपराधियों की जांच करती और मुकदमा चलाती है, जिन पर किसी और देश की अदालतों में मुकादमा नहीं चल रहा है। अगर यूक्रेन में रूस के खिलाफ वॉर क्राइम के सबूत मिलते हैं तो इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट संबंधित दोषियों के खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी कर उन्हें ट्रायल के लिए हेग लाने का आदेश दे सकता है। ऐसा करने के लिए इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के पास सीमित अधिकार हैं। दरअसल इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्टके पास अपनी पुलिस फोर्स नहीं है और संदिग्धों को अरेस्ट करने के लिए वह देशों की पुलिस पर निर्भर है।
  • आपको बता दें कि रूस इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का सदस्य नहीं है। वह 2016 में इससे निकल चुका है। ऐसे में पुतिन किसी भी युद्ध अपराधी के प्रत्यर्पण को बाध्य नहीं होंगे और न ही ये कोर्ट पुतिन या रूस के अन्य नेताओं के खिलाफ मुकदमा ही चला पाएगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट को पुतिन के खिलाफ जांच के लिए कह सकता है, लेकिन रूस इस फैसले के खिलाफ सुरक्षा परिषद में वीटो कर सकता है।

रूस के खिलाफ क्या आईसीजे कदम उठा सकता है? 

इंटरनेशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस में रूस के हमले को लेकर यूक्रेन ने उसके खिलाफ मुकदमा किया है। अगर आईसीजे इस केस में रूस के खिलाफ फैसला देता है तो उसे लागू कराने की जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी यूएनएससी की होगी। रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों में शामिल है और वह इस फैसले के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल कर वह इसे लागू करने से रोक सकता है।  Russia Continues To Wreak Havoc On Ukraine

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