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इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली : आज का दिन भारतीय सिनेमा के इतिहास का बहुत बड़ा दिन है। आज ही के दिन भारतीय सिनेमा की पहली बोलती फिल्म आलम आरा रिलीज हुई थी। 14 मार्च 1931 को रिलीज हुई आलम आरा में पहली बार दर्शकों ने कलाकारों को फिल्म में बोलते हुए सुना था। आज आलम आरा को रिलीज हुए 91 साल हो गए हैं। यह फिल्म भारतीय सिनेमा की शुरूआत मानी जाती है और इसी की तर्ज पर आगे बोलती फिल्मों का प्रचलन शुरू हुआ।
इस फिल्म को मुंबई के मेजेस्टिक सिनेमा 14 मार्च 1931 को रिलीज किया गया था। फिल्म में पृथ्वीराज कपूर, मास्टर विट्ठल और जुबैदा मुख्या भूमिका में मौजूद थे। इस फिल्म के निर्देशक अर्देशिर ईरानी थे। ईरानी की कंपनी इंपीरियल मूवीटोन के बैनर तले यह फिल्म रिलीज हुई थी। फिल्म के लेखक जोसेफ डेविड और मुंशी जहीर थे। इस फिल्म में संगीतकार के तौर पर फिरोजशाह मिस्त्री और बहराम ईरानी ने काम किया।
आलमआरा फिल्म की कहानी एक राजकुमार और एक बंजारन लड़की के प्रेम पर आधारित है। फिल्म में एक राजा अपनी दो रानियों दिलबहार और नवबहार के साथ महल में रहता है। दोनों रानियां आपस में हर समय लड़ती रहती हैं। राजा के पास कोई औलाद नहीं होती। एक दिन फकीर भविष्यवाणी करता है कि राजा के उत्तराधिकारी को रानी नवबहार जल्द ही जन्म देगी। जिसके बाद दोनों रानियों में लड़ाई और बढ़ जाती है।
ऐसे में दिलबहार राजा से बदला लेने की साजिश बनाती है। दिलबहार राज्य के मंत्री आदिल को प्रेम का प्रस्ताव भेजती है लेकिन आदिल रानी के प्रस्ताव को ठुकरा देता है। जिसके बाद रानी गुस्से में आकर आदिल को जेल में डलवा देती है और उसकी गर्भवती बीवी को राज्य से बाहर निकालने का हुक्म देती है।
आदिल की बीवी जिस लड़की को जन्म देती है उसका नाम ही आजमआरा होता है। जिसे बंजारे पालते हैं। बड़ी होने पर आलमआरा महर में दोबारा आ जाती है और राजा के बेटे से प्यार करने लग जाती है। अंत में रानी को उसके बुरे कामों की सजा मिलती है। आदिल को रिहा कर दिया जाता है। राजा के बेटे का आलमआरा के साथ विवाह हो जाता है।
भारतीय सिनेमा की पहली बोलती फिल्म होने के बावजूद भी फिल्म का रखरखाव नहीं किया गया। आज आलमआरा की एक भी कॉपी मौजूद नहीं है। आज इस फिल्म के कुछ दृश्य ही मौजूद हैं। कुछ जानकारों का मानना था कि फिल्म की कॉपी नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ़ इंडिया के पास थी लेकिन नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ़ इंडिया के फाउंडर पी के नायर ने कहा कि फिल्म का कोई प्रिंट उनके पास नहीं था।
फिल्म में राजकुमार का रोल मास्टर विट्ठल ने किया था। विट्ठल उस समय मूक फिल्मों के सफल निर्माता थे। सारधी स्टूडियो ने विट्ठल पर एग्रीमेंट तोड़ने का आरोप लगाकर मुकदमा दायर किया था। विट्ठल और सारधी स्टूडियो के बीच एग्रीमेंट था कि वह विट्ठल किसी अन्य स्टूडियो की फिल्म नहीं करेंगे। जिसके बाद मोहम्मद अली जिन्ना ने विट्ठल का केस लड़ा था और उन्हें मुकद्दमें में जीत दिलवाई।
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