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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Anil Ambani Story : हाल ही में अनिल अंबानी ने अपनी कंपनी रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रा के डायरेक्टर पद से इस्तीफा देना पड़ा है। मार्केट रेग्यूलेटर SEBI ने आदेश दिया था जिसमें उन्हें किसी भी लिस्टेड कंपनी के साथ जुड़ने पर सेबी ने पाबंदी लगाई गई थी। इतना ही नहीं, सेबी ने उन्हें फंड की गड़बड़ी करने का दोषी भी माना था।
वहीं दूसरी ओर आरबीआई ने भी कर्ज के बोझ तले दबी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए रूचि पत्र मंगवाए हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए 54 कंपनियों ने बोली लगाई है। इसमें टाटा एआईजी, जापानी कंपनी निप्पोन लाइफ इंश्योरेंस, आईसीआईसीआई लोंबार्ड, अदाणी फिनसर्व, एचडीएफसी अर्गो और अन्य शामिल हैं।
मुकेश अंबानी की तरह ही अनिल अंबानी को भी बिजनेस की विरासत मिली थी। लेकिन अनिल अंबानी के लिए आज ये नौबत आखिर कैसे आई। सन 2000 के दशक में चमचमाती जिंदगी जीने वाले और हमेशा मीडिया की सुर्खियां बटोरने वाले अनिल अंबानी कैसे आज अर्श से फर्श तक आ गए, इसे न केवल कोरपोरेट जगत बल्कि आप सभी के लिए समझना और नसीहत है। एक तरफ बिजनेस में लगातार नाकामी और परिवार से लड़ाई सबने मिलकर अनिल अंबानी के चमकते सितारे को अंधेरे में धकेल दिया है।
दरअसल, 40 की उम्र तक अनिल अंबानी एक मैरॉथन धावक थे। आत्मविश्वास उनकी आंखों में झलकता था। पिता धीरूभाई अंबानी के समय में अनिल अंबानी कॉरपोरेट जगत में सबके चहेते थे। मुकेश अंबानी ने मुंबई के एक कॉलेज से केमिकल इंजीनियरिंग और स्टैनफोर्ड से MBA की डिग्री हासिल की थी। वहीं अनिल अंबानी ने WHARTON से MBA की थी।
साल 2002 में जब पिता धीरुभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) का निधन हुआ तो अनिल अंबानी ने मुकेश अंबानी के साथ मिलकर विरासत को संभाला। उस समय बड़े भाई मुकेश अंबानी RIL के चेयरमैन बन गए, तो वहीं छोटे भाई अनिल अंबानी MD बन गए। इस दौरान पेट्रोकेमिकल का कामकाज मुकेश संभालने लगे और टेक्सटाइटल को अनिल अंबानी ने संभाल लिया। उस दौरान सबको ये लगा कि पिता की विरासत को दोनों भाई मिलकर आगे बढ़ाएंगे। किसी को ये नहीं पता था कि जल्द ही दोनों भाइयों में अनबन भी हो जाएगी।
साल 2004 के आखिर में मीडिया में ये खबरें सार्वजनिक होने लगी थी कि दोनों भाइयों में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसके बाद परिवार में बंटवारे की खबरें आती रही। लेकिन मां कोकिला बेन ने 2005 में दोनों भाइयों में समझौता करवा दिया। इस दौरान एक एग्रीमेंट भी हुआ कि न्यू एज बिजनेस टेलीकॉम जो तब भारतीय कारोबारी जगत में आसमान में एकलौते तारे की तरह चमक रहा था वो अनिल रखेंगे। अनिल अंबानी के पास R COM , R POWER, R CAPITAL और R INFRA गया। वहीं बड़े भाई मुकेश अंबानी के पास आयल एंड गैस, पेट्रोकेमिकल, रिफाइनरी और मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा आ गया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक मुकेश अंबानी की नेटवर्थ उस वक्त 4.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी और अनिल की नेटवर्थ 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। दोनों भाइयों ने एक दूसरे से भविष्य में 5 साल तक किसी तरह का कारोबारी मुकाबला नहीं करने के करार पर दस्तखत किए।
उन दिनों रिलायंस अनिल धीरू भाई अंबानी ग्रुप R-ADAG के चेयरमैन अनिल अंबानी की चमक बहुत बढ़ रही थी। मीडिया में चारों तरफ वो छाए रहते लेकिन मुकेश हमेशा मीडिया की चमकदमक से दूर रहते। मीडिया में अक्सर अनिल अंबानी और उनकी कारोबारी सफलता की कहानियां सुनाई जाती। अनिल अंबानी भी प्रेस कॉनफ्रेंस के दौरान अपने प्रोडक्ट की जानकारी देने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। अनिल अंबानी ने शादी भी फिल्म स्टार टीना मुनिम से की थी।
अनिल अंबानी की कंपनियां में सब ठीक चल रहा था। लेकिन अचानक से उन पर काफी सारे संकट के बादल इस कदर आ जाएंगे कि उन्होंने कभी सोचा भी न था। दरअसल, अनिल अंबानी कंपनियों का विस्तार तो करते रहे लेकिन वे रिस्क कैलकुलेट ठीक से न कर पाए।
2006 के बाद से देश में कई दिग्गज कारोबारी घराने पावर और इंफ्रा पर बुलिश थे। अनिल भी कहां पीछे रहने वाले थे, उन्होंने भी उक्त कंपनियों में कदम बढ़ा दिए। साल 2008 में रिलायंस पावर ने एक आईपीओ से रिकॉर्ड 11563 करोड़ रुपए जुटाए। 2008 में ही अनिल FORBES की अमीरों की सूची में दुनिया में छठे नंबर पर थे।
अनिल के साम्राज्य पर मुश्किलें उस दौरान बढ़ी जब 2G स्पेक्ट्रम हुआ। ए राजा ने जिस तरह स्पेक्ट्रम बांटे उससे भी अनिल की परेशानी बढ़ी। दूसरी तरफ मुकेश अंबानी से जो गैस अनिल को मिलनी थी यानि कि दादरी पावर प्लांट के लिए KG बेसिन, वो नहीं मिली। इसके बाद अनिल अंबानी कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से गैसें देने के लिए मुकेश तैयार तो हुए लेकिन दोनों भाइयों के बीच जो प्रतिस्पर्धा नहीं करने का एग्रीमेंट अब खत्म होने वाला था।
2010 में दोनों भाइयों नहीं आपस में कंपीटिशन न करने का क्लॉज खत्म हो गया। इसके तुरंत बाद मुकेश अंबानी ने टेलीकॉम में कदम रखें और RCOM जिसका अब तक एकछत्र राज था उसके बुरे दिन शुरू हो गए। साल 2016 में 4G टेक्नोलॉजी के साथ JIO की एंट्री ने RCOM का भट्ठा बिठा दिया।
टेलीकॉम में पिछड़ने और लगाता नुकसान के कारण अनिल बुरी तरह कर्ज के बोझ तले आ गए। आखिर में नौबत एक एक करके अपनी एसेट बेचने की आ गई। RCom ने कई अनमोल पूंजियां बेचकर कर्ज चुकाने की कोशिश की। इसके बाद अनिल अंबानी का सितारा ऐसा डूबा कि वो अंधेरे से बाहर ही न निकल पाया। एक एक करके उनको कंपनियां बेचनी पड़ी रही हैं। अब हाल ही में अनिल अंबानी को रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रा से भी इस्तीफा देना पड़ा।
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