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Anand Giri भीलवाड़ा में गांव सरेरी का आइकॉन

घरवालों ने 13 साल ढूंढा, एक बाबा ने बताया हरिद्वार में है बेटा; पिता बोले- पैसे होते तो ऐसे नहीं जीते इंडिया न्यूज, भीलवाड़ा: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत नरेंद्र गिरि (70) की मौत पोस्टमार्टम में दम घुटने से पुष्टि हुई। महंत नरेंद्र के लिखे 11 पन्नों के […]

BY: India News Editor • UPDATED :
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घरवालों ने 13 साल ढूंढा, एक बाबा ने बताया हरिद्वार में है बेटा; पिता बोले- पैसे होते तो ऐसे नहीं जीते
इंडिया न्यूज, भीलवाड़ा:

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़ा के सचिव महंत नरेंद्र गिरि (70) की मौत पोस्टमार्टम में दम घुटने से पुष्टि हुई। महंत नरेंद्र के लिखे 11 पन्नों के सुसाइड नोट में आनंद गिरि समेत आद्या प्रसाद तिवारी और उनके बेटे संदीप का भी नाम सामने आ रहा है।

बचपन से ही आनंद महंत नरेंद्र के संपर्क में थे (Anand Giri)

शिष्य आनंद गिरि बचपन से मठ के महंत नरेंद्र गिरि के संपर्क में थे। अशोक से आनंद गिरि बनने का सफर काफी लंबा रहा। घर से हरिद्वार जाने के बाद वे सीधे नरेंद्र गिरि के पास पहुंचे तो उन्होंने अपनी पनाह में ले लिया। बचपन से लेकर दीक्षा दिलाने तक महंत नरेंद्र ने उन्हें साथ ही रखा। महंत ने सभी के सामने दीक्षा दिलाकर अपना शिष्य बनाया, लेकिन अब आनंद गिरि सवालों के घेरे में हैं।

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Icon of village Sareri in Anand Giri Bhilwara

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भीलवाड़ा के सरेरी गांव के निवासी थे Anand Giri

आनंद गिरि भीलवाड़ा के सरेरी गांव के रहने वाले हैं। ग्रामीणों से पता चला कि आनंद गिरि यहां के आइकॉन हैं। यहां के लोग उन्हें मानते भी हैं। घर से हरिद्वार जाने के बाद वे केवल दो बार ही यहां आए।

25 साल पहले बिना बताए घर से निकल गए थे

रामेश्वर चोटिया पुत्र आनंद गिरि ने बताया कि 25 साल पहले आनंद गिरि घर से बिना बताए निकल गए थे। 13 साल तक उन्हें ढूंढने का प्रयास किया। जब घर से भाग निकले तो सभी चिंता में पड़ गए। इसके बाद गांव के ही एक बाबा के पास गए। उन्होंने बताया कि लड़का हरिद्वार में है। काफी मशक्कत के बाद पता चला कि अशोक हरिद्वार में महंत नरेंद्र के यहां है। घरवालों ने महंत नरेंद्र गिरि से बात की तो 2012 में वे अशोक को लेकर उनके गांव आए। यहां ग्रामीणों और परिवार के लोगों के सामने ही दीक्षा दिलाकर आनंद गिरि नाम दिया। पिता ने बताया कि इस दौरान वे एक घंटे यहां रुके और कभी परिवार से संपर्क नहीं किया।

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सभी आरोप निराधार

आरोप है कि आनंद गिरि मठ के रुपयों को इधर-उधर करने के साथ ही परिवार को भेजते हैं। पिता और भाई ने बताया कि 25 साल में उन्होंने आनंद गिरि को 2 बार देखा है। एक बार गांव में दीक्षा ली और दूसरी बार जब मां का देहांत हुआ तब। परिवार का कहना है कि उसके बाद उनका आनंद गिरि से कभी संपर्क नहीं रहा। जो भी आनंद गिरि पर आरोप लग रहे हैं, वे सभी गलत और निराधार हैं।

ग्रामीण बोले, Anand Giri काफी शांत और सरल हैं

गांव में काफी लोग आनंद गिरि को अपना जहां आइकन मानते हैं वहीं ग्रामीणों के लिए पूजनीय भी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वे सभी वे गलत हैं। वे स्वभाव से काफी सरल और शांत हैं। उनका दावा है कि  सच्चाई कभी भी नहीं छिपेगी और आनंद गिरि पर लगे आरोप भी निराधार साबित होंगे।

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