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अजीत मैंदोला, इंडिया न्यूज:
Rajya Sabha Elections कांग्रेस की अंतरिम अध्य्क्ष सोनिया गांधी के लिये जून जुलाई में खाली होने वाली राज्यसभा सीटो को भरना एक बड़ी चुनोती होगी।क्योंकि सीट गिनती की हैं और दावेदारों की संख्या ज्यादा है।इसमें भी युवा बनाम अनुभव वाला पेंच है।राहुल गांधी के करीबी तो उम्मीद लगाएं हैं कि इस बार नँबर आ ही जायेगा वहीं दूसरी तरफ पुराने दिग्गज कोई कोर कसर नही छोड़ना चाहते है।इसके साथ राज्यों का समीकरण साधना भी बड़ी चुनोती होगी। अब खाली होने वाली 55 सीटों में से कांग्रेस के हिस्से में केवल 8 सीटे ही आएंगी।अप्रेल में 19 में से कांग्रेस को केवल एक सीट केरल से मिली।लगातार राज्यों में हार के चलते कांग्रेस राज्यसभा में इस साल के आखिर तक अब तक की सबसे कमजोर स्थिति में आ जायेगी।जैसे तैसे सदन में दो तीन सीटों से विपक्ष का नेता पद बचा रह सकता है।
खाली हो रही सीट से बड़े बड़े दिग्गज नेताओं का कार्यकल समाप्त होने जा रहा है। इनमे अंबिका सोनी,पी चिदंबरम, जयराम रमेश,आनंद शर्मा,कपिल सिब्बल ओर विवेक तन्खा जैसे चेहरे शामिल हैं।गुलाम नवी आजाद का पहले ही कार्यकाल समाप्त हो चुका है।सोनिया गांधी की चुनोती यहीं से शुरू होती है।अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि चुनींदा सीटों पर वह किसे मौका दे।क्योंकि पार्टी पहले ही ऐसे दौर से गुजर रही है जहाँ पर एक भी फैसला गलत साबित हो सकता है।
रिटायर होने वाले अधिकांश चेहरे वापसी चाहते हैं, लेकिन इस बार सब कुछ बहुत आसान नही है। संकट यही है कि किसे कहाँ से लाया जाए।पार्टी में जिस तरह की गुटबाजी चल रही है उसमें फैसला आसान नही है।राज्यसभा के लिये अभी तक राहुल गांधी ही नामों को अंतिम रूप देते रहे हैं।उनकी खुद की एक टीम है।उनकी कोर टीम के एक सदस्य केसी वेणुगोपाल राजस्थान से पहले ही राज्यसभा में है।इनके अलावा उनकी टीम के दूसरे सदस्य अजय माकन,रणदीप सिंह सुरजेवाला, जितेंद्र सिंह पूरी उम्मीद लगाए हुए हैं कि इस बार नंबर आ जाएगा।
इनके साथ महासचिव अविनाश पांडे और मुकुल वासनिक भी कोशिश में लगे बताए जाते हैं। रिटायर वाले गुलाम नबी आजाद,अंबिका सोनी,जयराम रमेश,पी चिदंबरम,आनंद शर्मा,कपिल सिब्बल,विवेक तन्खा में से एक दो की ही वापसी तय मानी जा रही है।इनमे एक विवेक तन्खा तो दूसरे जयराम रमेश की उम्मीद है।पी चिदम्बरम भी वापसी की कोशिश में लगे हैं।इनके साथ एक बड़ा नाम है मीरा कुमार का।वह आज कल नाराज बताई जाती हैं। वह भी चाहती हैं उन्हें राज्यसभा की सीट मिले।बिहार में कांग्रेस जिस तरह से अलग थलग पड़ी है। उसमें बिहार के लिये कांग्रेस को एक नेता चाहिये। मतलब अधिकांश नेताओं की कोशिश है कि राज्यसभा का जुगाड़ लगाया जाए जिससे लोकसभा का चुनाव लड़ने से बचा जाये।
अब सीटों का गणित इस प्रकार है। तमिलनाडू से डीएमके एक सीट कांग्रेस को दे सकती है।बिहार में राजद के हिस्से में दो सीट हैं कांग्रेस को एक भी नही मिलेगी।लेकिन राहुल गांधी की बिहार के वरिष्ठ नेता शरद यादव की मुलाकात फिर से राजद के साथ तार जोड़ सकते है।यादव ने अपनी पार्टी का विलय राजद में कर दिया है।उम्मीद की जा रही है कि उन्हें राज्यसभा से लाया जा सकता है।
ऐसे में ले दे कर कांग्रेस की तीन सीट राजस्थान से,एक मध्य्प्रदेश से,दो छत्तीसगढ़ से और एक हरियाणा से पक्की हैं।राजस्थान पर सबसे ज्यादा नजरें नेताओं की लगी हुई हैं।जैसे कि परंपरा रही है कि एक सीट लोकल वाले याने राजस्थान के किसी नेता को दी जाएगी।बची दो सीट के लिये राहुल के करीबी पूरी उम्मीद लगाए हैं।बाकी नेताओं की भी नजरें राजस्थान पर ही लगी हैं। चलाने वालों ने तो प्रियंका गांधी का नाम राजस्थान से चलाना शुरू कर दिया है।दो साल पहले प्रियंका का नाम मध्य्प्रदेश से भी चलाया गया था।
राजस्थान के साथ मध्य्प्रदेश में भी बड़ा पेंच है। पार्टी ने कमलनाथ को 2023 के लिये अपना चेहरा घोषित कर दिया है।यूँ कहा जा सकता है कि मध्य्प्रदेश में जो कुछ होगा सब कमलनाथ तय करेंगे।मतलब अगर वह अध्य्क्ष और विधायक दल नेता पद पर बने रहना चाहते हैं तो वह ही तय करेंगे।ऐसे में बाकी नेताओं को कैसे राजी किया जाये आलाकमान के लिये यह बड़ी चुनोती है।राज्यसभा की एक सीट पर तीन दावेदार हैं।पहले विवेक तन्खा हैं।उन्हें एडजस्ट करना जरूरी है।सीनियर वकील हैं।दो बातें चल रही हैं तन्खा को छत्तीसगढ़ से लाया जाए और मप्र से अरुण यादव और अजय सिंह में से किसी को मौका दिया जाए।तन्खा राजी होंगे इसको लेकर आशंका है।ऐसे में एक सीट छत्तीसगढ़ की बचती है और एक हरियाणा की।
छत्तीसगढ़ में दूसरे राज्य वाले को एक सीट दी जाती है तो दूसरी लोकल को दी जायेगी। रहा सवाल हरियाणा का तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पार्टी की कमान सौंपी जाती है तो प्रदेश अध्य्क्ष शैलजा को राज्यसभा से मौका मिल सकता है।इन हालात में सोनिया गांधी के लिये खाली होने वाली राज्यसभा की सीटों को भरना बहुत आसान नहीं होगा। पँजाब,उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हुई करारी हार ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। पंजाब ओर उत्तराखंड से उसे करीबी 6 सीट का नुकसान हुआ है। करीबी 17 राज्य ऐसे हैं जहाँ से कांग्रेस का एक भी प्रतिनिधि कांग्रेस में नही होगा। कुल 30 सदस्य रह गए हैं। जुलाई के बाद यह संख्या और कम होगी। विपक्ष के नेता पद के लिये 25 सीट चाहिये। कांग्रेस ने अगर राज्यों में वापसी नही की तो राज्यसभा में भी कांग्रेस नेता पद खो सकती है।
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