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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली : इस समय श्रीलंका (Sri Lanka) आर्थिक संकट (Economic Crisis) से गुजर रहा है। श्रीलंका को आर्थिक संकट से निकालने के लिए नया प्रधानमंत्री मिला है। रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) को श्रीलंका का नया प्रधानमंत्री घोषित किया गया है। प्रधानमंत्री बनने के बाद राष्ट्रपति की तरफ से उन्हें शुभकामनाएं भी दे दी गई हैं।
इस रेस में पहले विपक्षी पार्टी के ही नेता साजिथ प्रेमदासा (sajith premadasa) आगे बताए थे, लेकिन रानिल विक्रमसिंघे पर भरोसा जताया गया। श्रीलंका को आर्थिक संकट से निकालने के लिए जिम्मेदारी रानिल विक्रमसिंघे की होने वाली है।
रानिल विक्रमसिंघे का राजनीतिक करियर काफी लंबा है। वह यूनाइटेड नेशनल पार्टी (United National Party) के चीफ हैं। उन्हें मुश्किल समय में देश की कमान मिली है। ऐसे में उन पर सभी की उम्मीदें हैं कि वो देश को संकट से बाहर निकालेंगे। प्रधानमंत्री बनाए जाने से पहले उन्होंने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapaksa) से मुलाकात की थी। जिसके बाद उनके नाम पर मुहर लगाई गई। इससे पहले भी विक्रमसिंघे 4 बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री पद को संभाल चुके हैं।
इस समय संसदीय सदन में उनकी पार्टी की एक ही सीट है। जिसके बावजूूद उनके अनुभव को देखते हुए प्रधानमंत्री पद उन्हें सौंपा गया। 2018 में उन्हें प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया गया था। उस समय देश के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना थे। बर्खास्त होने के दो महीने बाद उन्हें फिर से प्रधानमंत्री बना दिया गया था।
इस समय श्रीलंका आजादी के बाद से सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। रानिल विक्रमसिंघे को दोबारा पीएम बनाया गया है। उन पर बड़ा दांव खेला गया है। उनके सामने कई चुनौतियां हैं। उन्हें देश को कर्ज के तले डूब रही अर्थव्यवस्था को बचाना है। श्रीलंका इस समय भारी कर्ज के तले है। उसे कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज लेने की नौबत पड़ रही है।
ऐसे में श्रीलंका को इस आपातकाल से निकालना नए प्रधानमंत्री के लिए चुनौती का काम होगा। इस आपातकाल की वजह से श्रीलंका में बड़े स्तर पर हिंसा हो रही है। सरकारी और प्राइवेट संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। कानून व्यवस्था को दुरुस्त करना नए प्रधानमंत्री के लिए चुनौती है।
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