इंडिया न्यूज, Uttar Pradesh Varanasi News। वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi masjid controversy) में सर्वे के बाद मस्जिद में मिली अब पत्थरनुमा आकृति को लेकर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। हिंदू पक्ष का कहना है कि यह शिवलिंग (Shivling in Gyanvapi Mosque) है तो मुस्लिम पक्ष इसे एक फव्वारा बता रहा है।
बता दें कि कुंड के बीच मिली यह आकृति काले रंग की है। जिसमें जांच के बाद कोई ऐसा छेद नहीं मिला जिससे कि इसे फव्वारा कहा जा सके। न ही उसमें कोई पाइप घुसाने की जगह है।
2.5 फीट ऊंची गोलाकार आकृति का आकार शिवलिंग जैसी आकृति के ऊपर अलग से सफेद पत्थर लगा हुआ है। उस पर कटा हुआ निशान था। उसमें सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहराई पाई गई। पत्थर की गोलाकार आकृति के बेस का व्यास 4 फीट मिला गया।
वहीं कथित फव्वारे पर मस्जिद कमेटी ने गोल-मोल जवाब दिया। कभी उसे 20 साल तो कभी 12 साल से बंद बताया गया। हिंदू पक्ष ने मुंशी एजाज से फव्वारा चालू करके दिखाने को कहा तो वे इसे चलाने में असमर्थ रहे।
वहीं, मस्जिद में मुख्य गुंबद के नीचे दक्षिणी खंभे पर स्वास्तिक का चिह्न मिला। मस्जिद के प्रथम गेट (First Gate of Gyanvapi Mosque) के पास तीन डमरू के चिह्न मिले। उत्तर-पश्चिम दिशा में 15 बाई 15 फीट का एक तहखाना दिखा, जिसके ऊपर मलबा पड़ा था, वहां पड़े पत्थरों पर मंदिर जैसी कलाकृतियां दिखीं।
इसके अलावा मस्जिद के भीतर हाथी के सूंड़, त्रिशूल, पान, घंटियों की आकृतियां भी मिलीं। उत्तर-पश्चिम दिशा में 15*15 फीट का एक तहखाना भी है जिसके ऊपर मलबा पड़ा था, वहां पड़े पत्थरों पर मंदिर जैसी कलाकृतियां भी मिलीं हैं। वहीं 3 फीट गहरा कुंड जिसके चौतरफा 30 टोटियां लगी थीं। कुंड के बीच में लगभग 6 फीट गहरा कुआं दिखा। कुआं के बीच गोल पत्थरनुमा आकृति भी मिली है।
बाहर नंदी की प्रतिमा और अंदर कुंड मिले है। इसी कुंड के बीच में शिवलिंग स्थापित बताया जा रहा है। इसके बीच की दूरी 83 फीट 3 इंच है। कुंड के बीच स्थित पत्थर की गोलाकार आकृति में सींक डालने पर 63 सेमी गहराई मिली। पत्थर की गोलाकार आकृति के बेस का व्यास 4 फीट था। खंभे में हिंदी भाषा में 7 लाइनों में खुदा हुआ है। चार दरवाजे के स्थान को नई ईंटों से बंद किया गया है। बेसमेंट की दीवार पर सनातन संस्कृति के चिह्न हैं।
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी द्वारा बताया गया था कि परिसर में कोयले की दुकान भी चलती थी, लेकिन कहीं उसका प्रमाण नहीं मिला। चौथे तहखाने की चाबी न मिलने पर कटर मंगवाकर उसका ताला काटा गया था। उसके आगे जाने पर मलबे से भरा छोटा तहखाना (Gyanvapi Mosque Basement) मिला, जहां जा पाना संभव नहीं था।
यह सब बातें अधिवक्ता कमिश्नर विशाल सिंह (Advocate Commissioner Vishal Singh) की 8 पन्नों की रिपोर्ट में है। विशाल सिंह ने 14 से 16 मई के बीच शृंगार गौरी-ज्ञानवापी में सर्वे किया था। विशाल सिंह ने रिपोर्ट के आखिर में जिक्र किया कि सर्वे पूरा नहीं हो सका है। सर्वे अभी जारी रहना चाहिए। इतिहासकार और विषय विशेषज्ञों से परिसर की जांच कराना जरूरी है।
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